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US-India: कहीं 1500 करोड़ के निर्यात रोके गए, कहीं हीरों के दफ्तर खाली, जानें अमेरिकी टैरिफ का भारत पर असर
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 28 Aug 2025 11:11 AM IST
सार
अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी आने की आशंका के मद्देनजर भारत में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों से लेकर बड़ी इंडस्ट्रीज तक ने तैयारी कर ली है। भारत के उत्तर में पंजाब से लेकर, पश्चिम में गुजरात और दक्षिण में तमिलनाडु तक इसका असर दिखने भी लगा है।
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अमेरिकी टैरिफ
- फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर जुर्माने के तौर पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए 25 फीसदी आयात शुल्क 27 अगस्त से लागू हो गए। इसी के साथ भारत पर अब अमेरिका ने कुल 50 फीसदी टैरिफ लगा दिए हैं। दरअसल, 7 अगस्त को ट्रंप प्रशासन ने व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारत पर पहले ही 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया था। ऐसे में अमेरिका के 50% टैरिफ का बोझ अब भारत पर पड़ा है। माना जा रहा है कि अमेरिका के इस कदम का असर तुरंत नहीं होगा, हालांकि लंबी अवधि में दोनों देशों में होने वाला व्यापार काफी प्रभावित हो सकता है।
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अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी आने की आशंका के मद्देनजर भारत में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों से लेकर बड़ी इंडस्ट्रीज तक ने तैयारी कर ली है। भारत के उत्तर में पंजाब से लेकर, पश्चिम में गुजरात और दक्षिण में तमिलनाडु तक इसका असर दिखने भी लगा है। जहां पंजाब में अमेरिकी टैरिफ की वजह से 20 हजार करोड़ के निर्यात से जुड़े उद्योगों पर असर पड़ना तय है तो वहीं उत्तर प्रदेश के कानपुर और भदोही के हजारों करोड़ के चमड़ा और कालीन उद्योग पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता दिख रहा है। आइये जानते हैं कि अमेरिका के टैरिफ से अब तक भारत के किस राज्य में कितना असर पड़ता दिख रहा है।
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कौन से उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ का किस राज्य-शहर पर पड़ेगा असर?
भारत में जिन सेक्टर्स पर 50 फीसदी टैरिफ लग रहा है, उनमें टेक्सटाइल, आभूषण और रत्न, कृषि और कुछ अन्य सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे। इन सेक्टर्स से जुड़े उत्पादों पर आयात शुल्क लगने के बाद यह अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इसका असर यह होगा कि अमेरिका में भारतीय उत्पादों की मांग घट सकती है और उसके मुकाबले ऐसे देशों के उत्पाद की मांग बढ़ सकती है, जिन पर अमेरिका ने कम टैरिफ लगाया है और इसके चलते वे सस्ते हैं।
दूसरी तरफ इसका असर भारत के बाजार पर भी पड़ेगा। अमेरिका जैसे बड़े निर्यात बाजार में कम बिक्री होने से भारत में उत्पादन में कमी आ सकती है, जिसके चलते कंपनियों को न सिर्फ घाटा होगा, बल्कि यहां कई उद्योगों में लोगों को रोजगार गंवाना पड़ सकता है। हालांकि, यह स्थिति तब बेहतर हो सकती है, अगर भारत ने अमेरिका जैसा ही निर्यात बाजार बनाने में सफलता हासिल कर ली।
भारत में जिन सेक्टर्स पर 50 फीसदी टैरिफ लग रहा है, उनमें टेक्सटाइल, आभूषण और रत्न, कृषि और कुछ अन्य सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे। इन सेक्टर्स से जुड़े उत्पादों पर आयात शुल्क लगने के बाद यह अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इसका असर यह होगा कि अमेरिका में भारतीय उत्पादों की मांग घट सकती है और उसके मुकाबले ऐसे देशों के उत्पाद की मांग बढ़ सकती है, जिन पर अमेरिका ने कम टैरिफ लगाया है और इसके चलते वे सस्ते हैं।
दूसरी तरफ इसका असर भारत के बाजार पर भी पड़ेगा। अमेरिका जैसे बड़े निर्यात बाजार में कम बिक्री होने से भारत में उत्पादन में कमी आ सकती है, जिसके चलते कंपनियों को न सिर्फ घाटा होगा, बल्कि यहां कई उद्योगों में लोगों को रोजगार गंवाना पड़ सकता है। हालांकि, यह स्थिति तब बेहतर हो सकती है, अगर भारत ने अमेरिका जैसा ही निर्यात बाजार बनाने में सफलता हासिल कर ली।
1. रत्न और आभूषण
भारत की तरफ से वित्त वर्ष 2024-25 में 10 अरब डॉलर के रत्न-आभूषण अमेरिका को निर्यात किए गए थे। यानी दुनिया में रत्न-आभूषणों का जितना अमेरिका को निर्यात होता है, उसकी कुल 40 फीसदी हिस्सेदारी अकेले भारत की है। अमेरिका के टैरिफ अगस्त से ठीक पहले तक 2.1 फीसदी थे। हालांकि, अब यह 52.1 प्रतिशत हो जाएंगे।
भारत में गुजरात का सूरत, महाराष्ट्र का मुंबई और राजस्थान का जयपुर रत्न-आभूषणों के निर्यात के केंद्र के तौर पर जाने जाते हैं। इन केंद्रों में लाखों लोगों को रत्न-आभूषणों की कटिंग, पॉलिशिंग और मैन्युफैक्चरिंग में शामिल किया जाता है।
भारत की तरफ से वित्त वर्ष 2024-25 में 10 अरब डॉलर के रत्न-आभूषण अमेरिका को निर्यात किए गए थे। यानी दुनिया में रत्न-आभूषणों का जितना अमेरिका को निर्यात होता है, उसकी कुल 40 फीसदी हिस्सेदारी अकेले भारत की है। अमेरिका के टैरिफ अगस्त से ठीक पहले तक 2.1 फीसदी थे। हालांकि, अब यह 52.1 प्रतिशत हो जाएंगे।
भारत में गुजरात का सूरत, महाराष्ट्र का मुंबई और राजस्थान का जयपुर रत्न-आभूषणों के निर्यात के केंद्र के तौर पर जाने जाते हैं। इन केंद्रों में लाखों लोगों को रत्न-आभूषणों की कटिंग, पॉलिशिंग और मैन्युफैक्चरिंग में शामिल किया जाता है।
2. कपड़े और बुनकर उद्योग
भारत के कपड़ा उद्योग के निर्यात का बड़ा हिस्सा अमेरिका पर निर्भर है। भारत से होने वाला कुल टेक्सटाइल निर्यात का 28 फीसदी अकेले अमेरिका को जाता है, जिसकी कुल कीमत 10.3 अरब डॉलर से ज्यादा है। अमेरिका अब तक भारत के इस क्षेत्र पर नौ से 13 फीसदी तक टैरिफ लगाता था, हालांकि अब इस क्षेत्र पर आयात शुल्क कुल मिलाकर 63 फीसदी से ज्यादा हो गया है। दूसरी तरफ भारत पर इस सेक्टर में अतिरिक्त टैरिफ लगने का फायदा वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देशों को होगा, जहां अमेरिकी टैरिफ 20 फीसदी के दायरे में रखे गए हैं।
भारत में तमिलनाडु का तिरुपुर, उत्तर प्रदेश का नोएडा, हरियाणा का गुरुग्राम, कर्नाटक का बंगलूरू और पंजाब का लुधियाना और राजस्थान का जयपुर सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।
ये भी पढ़ें: कपड़े, आभूषण और...: ट्रंप के टैरिफ 50% होने का क्या नतीजा, किस सेक्टर पर होगा कितना असर; कौन रहेगा बेअसर?
भारत के कपड़ा उद्योग के निर्यात का बड़ा हिस्सा अमेरिका पर निर्भर है। भारत से होने वाला कुल टेक्सटाइल निर्यात का 28 फीसदी अकेले अमेरिका को जाता है, जिसकी कुल कीमत 10.3 अरब डॉलर से ज्यादा है। अमेरिका अब तक भारत के इस क्षेत्र पर नौ से 13 फीसदी तक टैरिफ लगाता था, हालांकि अब इस क्षेत्र पर आयात शुल्क कुल मिलाकर 63 फीसदी से ज्यादा हो गया है। दूसरी तरफ भारत पर इस सेक्टर में अतिरिक्त टैरिफ लगने का फायदा वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देशों को होगा, जहां अमेरिकी टैरिफ 20 फीसदी के दायरे में रखे गए हैं।
भारत में तमिलनाडु का तिरुपुर, उत्तर प्रदेश का नोएडा, हरियाणा का गुरुग्राम, कर्नाटक का बंगलूरू और पंजाब का लुधियाना और राजस्थान का जयपुर सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।
ये भी पढ़ें: कपड़े, आभूषण और...: ट्रंप के टैरिफ 50% होने का क्या नतीजा, किस सेक्टर पर होगा कितना असर; कौन रहेगा बेअसर?
3. कृषि उत्पाद-मरीन उत्पाद
भारत फिलहाल अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर से ज्यादा के कृषि उत्पाद निर्यात करता है। उसके बड़े निर्यातों में से मरीन उत्पाद, मसाले, डेयरी उत्पाद, चावल, आयुष और हर्बल उत्पाद, खाद्य तेल, शक्कर और ताजा सब्जियां और फल भी निर्यात इसमें शामिल है। माना जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारत की सीफूड इंडस्ट्री यानी मरीन उत्पादों पर पड़ेगा। भारत पर अतिरिक्त टैरिफ के चलते पाकिस्तान, थाईलैंड, वियतनाम, केन्या और श्रीलंका जैसे कम टैरिफ वाले देशों के कृषि-मरीन उत्पाद अमेरिका को सस्ते पड़ेंगे।
इसे भारत के अधिकतर राज्यों को नुकसान होने की संभावना है। दरअसल, भारत मुख्यतः कृषि प्रधान देश है, ऐसे में अमेरिकी निर्यात बाजार में ज्यादा टैरिफ लगने से पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक कृषि उत्पादों के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत फिलहाल अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर से ज्यादा के कृषि उत्पाद निर्यात करता है। उसके बड़े निर्यातों में से मरीन उत्पाद, मसाले, डेयरी उत्पाद, चावल, आयुष और हर्बल उत्पाद, खाद्य तेल, शक्कर और ताजा सब्जियां और फल भी निर्यात इसमें शामिल है। माना जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारत की सीफूड इंडस्ट्री यानी मरीन उत्पादों पर पड़ेगा। भारत पर अतिरिक्त टैरिफ के चलते पाकिस्तान, थाईलैंड, वियतनाम, केन्या और श्रीलंका जैसे कम टैरिफ वाले देशों के कृषि-मरीन उत्पाद अमेरिका को सस्ते पड़ेंगे।
इसे भारत के अधिकतर राज्यों को नुकसान होने की संभावना है। दरअसल, भारत मुख्यतः कृषि प्रधान देश है, ऐसे में अमेरिकी निर्यात बाजार में ज्यादा टैरिफ लगने से पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक कृषि उत्पादों के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
4. लेदर-फुटवियर
भारत के चमड़ा और फुटवियर उद्योग से अमेरिका को हर वर्ष 1.18 अरब डॉलर के उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। इस क्षेत्र पर 50 फीसदी टैरिफ लगने का फायदा वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे देशों को पहुंचने का अनुमान है।
उधर इससे भारत के चमड़ा और फुटवियर उद्योग के केंद्र- उत्तर प्रदेश के कानपुर, आगरा और तमिलनाडु के अंबूर-रानीपेट क्लस्टर को बड़ा नुकसान होगा।
5. कालीन
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 1.2 अरब डॉलर के कालीन निर्यात किए हैं। अमेरिकी बाजार में भारत करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। जहां पहले इस उत्पाद पर अमेरिका का टैरिफ महज 2.9 फीसदी था, वहीं अब यह 53 फीसदी तक पहुंच गया है। इसके चलते भारत के कालीनों के लिए एक अहम बाजार बंद होने का खतरा पैदा हो गया है।
भारत में उत्तर प्रदेश के भदोही, मिर्जापुर और जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित कालीन के कारोबार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दूसरी तरफ भारत पर जबरदस्त टैरिफ का लाभ तुर्किये, पाकिस्तान, नेपाल और चीन जैसे देश उठा सकते हैं।
भारत के चमड़ा और फुटवियर उद्योग से अमेरिका को हर वर्ष 1.18 अरब डॉलर के उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। इस क्षेत्र पर 50 फीसदी टैरिफ लगने का फायदा वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे देशों को पहुंचने का अनुमान है।
उधर इससे भारत के चमड़ा और फुटवियर उद्योग के केंद्र- उत्तर प्रदेश के कानपुर, आगरा और तमिलनाडु के अंबूर-रानीपेट क्लस्टर को बड़ा नुकसान होगा।
5. कालीन
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 1.2 अरब डॉलर के कालीन निर्यात किए हैं। अमेरिकी बाजार में भारत करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। जहां पहले इस उत्पाद पर अमेरिका का टैरिफ महज 2.9 फीसदी था, वहीं अब यह 53 फीसदी तक पहुंच गया है। इसके चलते भारत के कालीनों के लिए एक अहम बाजार बंद होने का खतरा पैदा हो गया है।
भारत में उत्तर प्रदेश के भदोही, मिर्जापुर और जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित कालीन के कारोबार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दूसरी तरफ भारत पर जबरदस्त टैरिफ का लाभ तुर्किये, पाकिस्तान, नेपाल और चीन जैसे देश उठा सकते हैं।
6. हथकरघा
भारत की तरफ से अमेरिका को वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 1.6 अरब डॉलर के हथकरघा उत्पादों का निर्यात किया गया है। अमेरिका के ऐसे उत्पादों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी तक है। यानी हथकरघा जैसे सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ लगने से राजस्थान के जोधपुर, जयपुर और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और सहारनपुर जैसे केंद्रों में फैक्टरियों में संचालन संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। इसकी जगह चीन, तुर्किये और मैक्सिको जैसे देश आगे अमेरिका को निर्यात बढ़ा सकते हैं।
भारत की तरफ से अमेरिका को वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 1.6 अरब डॉलर के हथकरघा उत्पादों का निर्यात किया गया है। अमेरिका के ऐसे उत्पादों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी तक है। यानी हथकरघा जैसे सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ लगने से राजस्थान के जोधपुर, जयपुर और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और सहारनपुर जैसे केंद्रों में फैक्टरियों में संचालन संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। इसकी जगह चीन, तुर्किये और मैक्सिको जैसे देश आगे अमेरिका को निर्यात बढ़ा सकते हैं।
कई राज्यों में असर भी दिखना शुरू?
1. पंजाबवर्ल्ड एमएसएमई फोरम के अनुसार पंजाब से अमेरिका को करीब आठ हजार करोड़ के रेडिमेड गारमेंट्स एवं टेक्सटाइल उत्पाद, दो हजार करोड़ के फास्टनर्स, पांच हजार करोड़ के इलेक्ट्रिकल्स और मशीन टूल्स, चार हजार करोड़ के ऑटो पार्ट्स व हैंड टूल्स, पांच सौ करोड़ के लेदर प्रोडक्ट्स, तीन सौ करोड़ के स्पोर्ट्स गुड्स और दो सौ करोड़ के कृषि उपकरण का निर्यात करता है। उच्च टैरिफ से इस निर्यात पर सीधा असर होने की संभावना है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी देशों पर भारत के मुकाबले काफी कम टैरिफ है।
2. उत्तर प्रदेश
टैरिफ का प्रभाव कानपुर के चमड़ा, टेक्सटाइल और मशीनरी उद्योग पर खासा पड़ा है। 40 दिन के भीतर ही 1500 करोड़ के निर्यात आर्डर रोक दिए गए हैं। निर्यात रुकने से उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है। इकाइयों में अब एक या दो शिफ्ट में ही काम किया जा रहा है। जहां दो शिफ्ट में काम होता था वहां पर एक और जहां पर तीन शिफ्ट में काम होता था वहां दो शिफ्ट में ही काम हो रहा है।
इसके अलावा भदोही और मिर्जापुर 17 हजार करोड़ वाले इस व्यवसाय से जुड़े 30 लाख श्रमिकों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है। भारतीय कालीन संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के मुताबिक अमेरिका, भारतीय कालीनों के व्यापार में करीब 60 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। देशभर में करीब 17 हजार करोड़ रुपये का कालीन कारोबार होता है। इसमें 10 हजार करोड़ का कारोबार उत्तर प्रदेश और उसमें भी छह हजार करोड़ की हिस्सेदारी भदोही-मिर्जापुर परिक्षेत्र की है।
3. हरियाणा
भारत 127 देशों को करीब 60 लाख टन बासमती चावल निर्यात करता है। इसमें से करीब 2.70 लाख टन यानी चार फीसदी बासमती चावल अमेरिका जाता है। भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ ने बासमती चावल निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। फिलहाल, चावल निर्यातक वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। उधर पानीपत से हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल निर्यात होता है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये तक का व्यापार अकेले अमेरिकी बाजार से जुड़ा है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से 500 करोड़ रुपये के पुराने ऑर्डर पर संकट आ गया है। नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि इससे ढाई लाख लोगों की आजीविका पर संकट आ सकता है।
कुछ इसी तरह का असर रोहतक के नट-बोल्ट उद्योग पर पड़ सकता है। यहां होने वाले 5000 करोड़ के कारोबार में से 70 फीसदी निर्यात अमेरिका को होता है। टैरिफ के कारण अमेरिका से मांग में कमी देखी गई है और फिलहाल करीब 50 करोड़ रुपये के ही ऑर्डर बुक हुए हैं।
भारत 127 देशों को करीब 60 लाख टन बासमती चावल निर्यात करता है। इसमें से करीब 2.70 लाख टन यानी चार फीसदी बासमती चावल अमेरिका जाता है। भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ ने बासमती चावल निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। फिलहाल, चावल निर्यातक वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। उधर पानीपत से हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल निर्यात होता है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये तक का व्यापार अकेले अमेरिकी बाजार से जुड़ा है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से 500 करोड़ रुपये के पुराने ऑर्डर पर संकट आ गया है। नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि इससे ढाई लाख लोगों की आजीविका पर संकट आ सकता है।
कुछ इसी तरह का असर रोहतक के नट-बोल्ट उद्योग पर पड़ सकता है। यहां होने वाले 5000 करोड़ के कारोबार में से 70 फीसदी निर्यात अमेरिका को होता है। टैरिफ के कारण अमेरिका से मांग में कमी देखी गई है और फिलहाल करीब 50 करोड़ रुपये के ही ऑर्डर बुक हुए हैं।
4. गुजरात
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के अध्यक्ष राजेश रोकड़े ने कहा कि हाथ से बने आभूषणों के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि पहले जब 10 प्रतिशत टैरिफ लगा था, तो करीब 50 हजार श्रमिकों के बेरोजगार होने की संभावना थी। अगर नए टैरिफ में भी यही स्थिति रही, तो इस बार एक लाख से ज्यादा श्रमिक प्रभावित हो सकते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो बुधवार को डायमंड सिटी के नाम से लोकप्रिय गुजरात के सूरत में ट्रंप के टैरिफ के बाद से ही रौनक कम हुई है। कई जगहों पर निर्यात ऑर्डर भी रोके गए हैं।
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के अध्यक्ष राजेश रोकड़े ने कहा कि हाथ से बने आभूषणों के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि पहले जब 10 प्रतिशत टैरिफ लगा था, तो करीब 50 हजार श्रमिकों के बेरोजगार होने की संभावना थी। अगर नए टैरिफ में भी यही स्थिति रही, तो इस बार एक लाख से ज्यादा श्रमिक प्रभावित हो सकते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो बुधवार को डायमंड सिटी के नाम से लोकप्रिय गुजरात के सूरत में ट्रंप के टैरिफ के बाद से ही रौनक कम हुई है। कई जगहों पर निर्यात ऑर्डर भी रोके गए हैं।
5. पश्चिम बंगाल
समुद्री निर्यात में बंगाल के वार्षिक निर्यात के अधिकांश हिस्से पर दबाव पड़ सकता है। भारत के सीफूड निर्यात में राज्य की 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिले में उगाई जाने वाली झींगा किस्मों का प्रभुत्व है। भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (पूर्व) के अध्यक्ष राजर्षि बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल से अमेरिका को होने वाले कुल 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात में से राज्य से होने वाले कम से कम 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये के समुद्री निर्यात पर सीधा असर पड़ रहा है। गुप्ता ने चेतावनी दी कि प्रसंस्करण इकाइयों में लगभग 7,000 से 10,000 नौकरियां और कृषि स्तर पर इससे भी अधिक नौकरियां खतरे में हैं।
इसके अलावा कोलकाता के पास बंटाला लेदर हब में ही पांच लाख लोग काम करते हैं। भारत के चमड़ा निर्यात में पश्चिम बंगाल का योगदान लगभग आधा है। इसका मूल्य 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है, जिसमें से अमेरिका लगभग 20 प्रतिशत निर्यात करता है। देश के सबसे बड़े चमड़ा उत्पाद केंद्रों में से एक कोलकाता में 538 चमड़ा कारखाने, 230 फुटवियर इकाइयां और 436 चमड़ा उत्पाद इकाइयां हैं।
समुद्री निर्यात में बंगाल के वार्षिक निर्यात के अधिकांश हिस्से पर दबाव पड़ सकता है। भारत के सीफूड निर्यात में राज्य की 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिले में उगाई जाने वाली झींगा किस्मों का प्रभुत्व है। भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (पूर्व) के अध्यक्ष राजर्षि बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल से अमेरिका को होने वाले कुल 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात में से राज्य से होने वाले कम से कम 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये के समुद्री निर्यात पर सीधा असर पड़ रहा है। गुप्ता ने चेतावनी दी कि प्रसंस्करण इकाइयों में लगभग 7,000 से 10,000 नौकरियां और कृषि स्तर पर इससे भी अधिक नौकरियां खतरे में हैं।
इसके अलावा कोलकाता के पास बंटाला लेदर हब में ही पांच लाख लोग काम करते हैं। भारत के चमड़ा निर्यात में पश्चिम बंगाल का योगदान लगभग आधा है। इसका मूल्य 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है, जिसमें से अमेरिका लगभग 20 प्रतिशत निर्यात करता है। देश के सबसे बड़े चमड़ा उत्पाद केंद्रों में से एक कोलकाता में 538 चमड़ा कारखाने, 230 फुटवियर इकाइयां और 436 चमड़ा उत्पाद इकाइयां हैं।