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Kathua News: जरूरी सेवाओं को छोड़कर कठुआ में रही साप्ताहिक बंदी
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कठुआ। साप्ताहिक बंदी को लेकर श्रम आयुक्त की ओर से जारी निर्देश के बाद शहर में पहली बार प्रभावी बंद देखने को मिला। रविवार को जरूरी सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी व्यवसाय की दुकानों को बंद रखा गया।
विभागीय टीम ने शहर में नियमों का उल्लंघन कर रहे बड़े व्यवसायिक संस्थानों के चालान भी काटे हैं। 12 प्रतिष्ठानों के चालान काटते हुए इन्हें बंद करवा दिया गया है। इस दौरान शहर में केवल केमिस्ट शॉप, क्लीनिक और मिठाइयों की दुकान ही खुली दिखाई दी। उधर, शहर में लगने वाली रेहड़ी और फड़ी पर आम दिनों की तरह ही कारोबार होता रहा।
रविवार को होने वाली इस बंदी को लेकर जहां कई दुकानदार मौन दिखाई दिए। वहीं, कुछ ने इसका खुलकर विरोध करते हुए आदेश को उन्हें परेशान करने वाला बताया। सुबह करीब 11 बजे साप्ताहिक बंदी को प्रभावी बनाए रखने की कवायद के तहत जब सहायक श्रम आयुक्त रुपाली गंडोत्रा के साथ श्रम अधिकारी रमन शर्मा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ मुखर्जी चौक पहुंचीं तो वहां दुकानदारों ने उन्हें घेर कर पहले उन व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की, जहां बड़े-बड़े अक्षरों में संडे ओपन का बोर्ड लगा हुआ है।
प्रदर्शन में शामिल दुकानदार बालकृष्ण शर्मा और मोहिंदर सिंह आदि ने सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा कि अगर साप्ताहिक बंदी का आदेश उनके ऊपर लागू होता है तो शहर में खुले बड़े मॉल इससे अलग नही हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेशानुसार अगर उनकी दुकानें बंद हाे रही हैं तो मॉल भी बंद होने चाहिए, जहां दर्जनों कर्मचारी काम कर रहे हैं। दुकानदारों के विरोध को देखते हुए सहायक श्रम आयुक्त ने अपने दल-बल के साथ शहर के विभिन्न मॉल में कार्रवाई की। उन पर दुकानें और प्रतिष्ठान अधिनियम, 1966 की धारा-13 का उल्लंघन मामले में जुर्माना किया। करीब तीन घंटे चली इस कार्रवाई में बड़े मॉल, शराब की दुकान और कुछ अन्य दुकानों पर जुर्माना लगाया गया है। श्रम अधिकारी रमन शर्मा ने बताया कि व्यवसायियों की ओर से सी फार्म में स्वघोषित साप्ताहिक बंदी पर ही अमल करवाया जा रहा है। यह जबरन की गई कार्रवाई नहीं है। उन्होंने बताया कि सी फार्म हासिल करते समय व्यापारी नियमों के अनुसार सप्ताह में अपनी बंदी का दिन घोषित करते हैं। कठुआ में 95 प्रतिशत संस्थानों ने रविवार को साप्ताहिक बंदी दस्तावेजों में बताया है। सरकार के निर्देश पर इसी पर अमल करवाया जा रहा है। जरूरी सेवाएं प्रभावित नहीं हैं। कार्रवाई के दौरान बड़े बड़े संस्थानों के चालान काटे गए हैं। इनके कंपाउंड चालान किए जाएंगे यदि कंपाउंड चालान के लिए व्यवसायी आगे नहीं आए तो इन चालान को सीजेएम की कोर्ट में पेश किया जाएगा।
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एक वर्ग को राहत भी
प्रतिर्स्पधा के दौर में एक दूसरे की देखादेखी साप्ताहिक बंदी में खुलने वाली दुकानों पर सरकारी आदेश से कुछ दुकानदारों ने भी राहत बताई है। वहीं इन दुकानों में सप्ताह में एक भी अवकाश हासिल न कर सकने वाले कर्मचारी भी राहत की सांस लेते दिखाई दिए। दरअसल, शहर में खरीदारी का एक बड़ा दौर रविवार को चलता है। वहीं साप्ताहिक अवकाश के बाद नजदीकी बाजार पंजाब में उपलब्ध है। ऐसे में दुकानदारों की एक चिंता यह भी है कि कठुआ में विकल्प न मिलने पर लोग पंजाब से खरीदारी कर लेंगे, जिससे व्यवसाय प्रभावित होगा।
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कुछ व्यापारियों ने विरोध में रखे विचार
साप्ताहिक बंदी से किसी तरह का कोई विरोध नहीं है लेकिन इससे छोटे दुकानदारों को मुक्त रखना चाहिए क्योंकि उनकी इतनी आमदनी नहीं है कि महीने में चार दिन वे अपनी दुकान को बंद कर परिवार का भरण-पोषण कर पाएं।
-प्रिंस कुमार, दुकानदार
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कोरोना महामारी के बाद से कमजोर हुआ कारोबार आज तक पटरी पर नहीं लौटा है। इसके साथ ही ऑनलाइन प्लेटफार्म ने बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा किया है। ऐसे में दुकानदार अपनी दुकानों को बंद करते हैं तो उनका नुकसान बढ़ेगा।
-मितुल महाजन, कपड़ा दुकानदार
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बाजार में दुकानों के बंद होने से ग्राहकों की आमद भी कम हो जाएगी। इसका सीधा असर रेहड़ी-फड़ी पर पड़ेगा। इस वर्ग की आय इतनी नहीं है कि वह बंद से होने वाले नुकसान को बर्दाश्त कर सके।
-मिंटू सिंह, फड़ी दुकानदार
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रविवार को जब सभी सरकारी कार्यालय और स्कूल बंद होते तो लोग ज्यादा से ज्यादा बाजार के अपने काम को निपटाने के लिए आते हैं। अगर इस दिन दुकानें बंद रहेंगी तो लोगों की परेशानी बढ़ेगी। लोगों को खरीदारी के लिए कार्य दिवसों में ही समय निकालना पड़ेगा।
-चतर देव शर्मा, ग्राहक
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विभागीय टीम ने शहर में नियमों का उल्लंघन कर रहे बड़े व्यवसायिक संस्थानों के चालान भी काटे हैं। 12 प्रतिष्ठानों के चालान काटते हुए इन्हें बंद करवा दिया गया है। इस दौरान शहर में केवल केमिस्ट शॉप, क्लीनिक और मिठाइयों की दुकान ही खुली दिखाई दी। उधर, शहर में लगने वाली रेहड़ी और फड़ी पर आम दिनों की तरह ही कारोबार होता रहा।
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रविवार को होने वाली इस बंदी को लेकर जहां कई दुकानदार मौन दिखाई दिए। वहीं, कुछ ने इसका खुलकर विरोध करते हुए आदेश को उन्हें परेशान करने वाला बताया। सुबह करीब 11 बजे साप्ताहिक बंदी को प्रभावी बनाए रखने की कवायद के तहत जब सहायक श्रम आयुक्त रुपाली गंडोत्रा के साथ श्रम अधिकारी रमन शर्मा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ मुखर्जी चौक पहुंचीं तो वहां दुकानदारों ने उन्हें घेर कर पहले उन व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की, जहां बड़े-बड़े अक्षरों में संडे ओपन का बोर्ड लगा हुआ है।
प्रदर्शन में शामिल दुकानदार बालकृष्ण शर्मा और मोहिंदर सिंह आदि ने सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा कि अगर साप्ताहिक बंदी का आदेश उनके ऊपर लागू होता है तो शहर में खुले बड़े मॉल इससे अलग नही हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेशानुसार अगर उनकी दुकानें बंद हाे रही हैं तो मॉल भी बंद होने चाहिए, जहां दर्जनों कर्मचारी काम कर रहे हैं। दुकानदारों के विरोध को देखते हुए सहायक श्रम आयुक्त ने अपने दल-बल के साथ शहर के विभिन्न मॉल में कार्रवाई की। उन पर दुकानें और प्रतिष्ठान अधिनियम, 1966 की धारा-13 का उल्लंघन मामले में जुर्माना किया। करीब तीन घंटे चली इस कार्रवाई में बड़े मॉल, शराब की दुकान और कुछ अन्य दुकानों पर जुर्माना लगाया गया है। श्रम अधिकारी रमन शर्मा ने बताया कि व्यवसायियों की ओर से सी फार्म में स्वघोषित साप्ताहिक बंदी पर ही अमल करवाया जा रहा है। यह जबरन की गई कार्रवाई नहीं है। उन्होंने बताया कि सी फार्म हासिल करते समय व्यापारी नियमों के अनुसार सप्ताह में अपनी बंदी का दिन घोषित करते हैं। कठुआ में 95 प्रतिशत संस्थानों ने रविवार को साप्ताहिक बंदी दस्तावेजों में बताया है। सरकार के निर्देश पर इसी पर अमल करवाया जा रहा है। जरूरी सेवाएं प्रभावित नहीं हैं। कार्रवाई के दौरान बड़े बड़े संस्थानों के चालान काटे गए हैं। इनके कंपाउंड चालान किए जाएंगे यदि कंपाउंड चालान के लिए व्यवसायी आगे नहीं आए तो इन चालान को सीजेएम की कोर्ट में पेश किया जाएगा।
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एक वर्ग को राहत भी
प्रतिर्स्पधा के दौर में एक दूसरे की देखादेखी साप्ताहिक बंदी में खुलने वाली दुकानों पर सरकारी आदेश से कुछ दुकानदारों ने भी राहत बताई है। वहीं इन दुकानों में सप्ताह में एक भी अवकाश हासिल न कर सकने वाले कर्मचारी भी राहत की सांस लेते दिखाई दिए। दरअसल, शहर में खरीदारी का एक बड़ा दौर रविवार को चलता है। वहीं साप्ताहिक अवकाश के बाद नजदीकी बाजार पंजाब में उपलब्ध है। ऐसे में दुकानदारों की एक चिंता यह भी है कि कठुआ में विकल्प न मिलने पर लोग पंजाब से खरीदारी कर लेंगे, जिससे व्यवसाय प्रभावित होगा।
कुछ व्यापारियों ने विरोध में रखे विचार
साप्ताहिक बंदी से किसी तरह का कोई विरोध नहीं है लेकिन इससे छोटे दुकानदारों को मुक्त रखना चाहिए क्योंकि उनकी इतनी आमदनी नहीं है कि महीने में चार दिन वे अपनी दुकान को बंद कर परिवार का भरण-पोषण कर पाएं।
-प्रिंस कुमार, दुकानदार
कोरोना महामारी के बाद से कमजोर हुआ कारोबार आज तक पटरी पर नहीं लौटा है। इसके साथ ही ऑनलाइन प्लेटफार्म ने बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा किया है। ऐसे में दुकानदार अपनी दुकानों को बंद करते हैं तो उनका नुकसान बढ़ेगा।
-मितुल महाजन, कपड़ा दुकानदार
बाजार में दुकानों के बंद होने से ग्राहकों की आमद भी कम हो जाएगी। इसका सीधा असर रेहड़ी-फड़ी पर पड़ेगा। इस वर्ग की आय इतनी नहीं है कि वह बंद से होने वाले नुकसान को बर्दाश्त कर सके।
-मिंटू सिंह, फड़ी दुकानदार
रविवार को जब सभी सरकारी कार्यालय और स्कूल बंद होते तो लोग ज्यादा से ज्यादा बाजार के अपने काम को निपटाने के लिए आते हैं। अगर इस दिन दुकानें बंद रहेंगी तो लोगों की परेशानी बढ़ेगी। लोगों को खरीदारी के लिए कार्य दिवसों में ही समय निकालना पड़ेगा।
-चतर देव शर्मा, ग्राहक