गोलियों से टूटा सैलानियों का भरोसा: डल झील अब भी उदास, आतंक ने छीन ली कश्मीर की मुस्कान; पर लाल चौक पर रौनक
संघर्ष विराम के बाद श्रीनगर में आम जनजीवन तो पटरी पर लौट रहा है, लेकिन डल झील और अन्य पर्यटन स्थल अब भी सूने पड़े हैं। आतंकी हमलों और पाकिस्तानी गोलाबारी ने पर्यटकों को डरा दिया है, जिससे स्थानीय कारोबार पर गहरा असर पड़ा है।


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संघर्ष विराम के बाद सोमवार को पर्यटन स्थल खाली ही नजर आए। डल झील सूनी पड़ी थी, शिकारे किनारे पर शांत खड़े थे। वहीं, लाल चौक पर रौनक तो थी, लेकिन अधिकतर स्थानीय लोग ही थे। पर्यटक बहुत कम नजर आए, इनमें भी वो ज्यादा थे जो उड़ानें और जम्मू-कश्मीर हाईवे के बंद होने के कारण यहां रुके हुए हैं।

पहले पहलगाम में आतंकी हमला, फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण पर्यटक तो चले ही गए, आम जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। शनिवार को संघर्ष विराम के बाद रविवार को साप्ताहिक बाजार में चहलपहल दिखाई दी थी। सोमवार को आम जनजीवन पूरी तरह पटरी पर लौट आया, लेकिन पर्यटन स्थल सूने ही नजर आए।

टीम जब डल झील पहुंची तो यहां सभी शिकारे किनारे पर खड़े मिले। पर्यटक नहीं थे शिकारे वाले भी अलसाए से दिखाई दिए। इन्हीं में से एक गनी अहमद ने बताया कि पहलगाम में हमले के बाद पर्यटक एकदम कम हो गए थे। तीन-चार दिन बाद थोड़े पर्यटक आने शुरू हुए तो पाकिस्तान की गोलाबारी ने उन्हें डरा दिया।
फिर भी उन्हें उम्मीद है कि सीजफायर के बाद जब उड़ानें शुरू होंगी तो पर्यटक आएंगे।यहां के बाजार भी सूने दिखाई दिए। करीब आधी दुकानें ही खुली थीं। दुकानदार मोहम्मद रऊफ ने बताया कि आतंकियाें ने पर्यटकों पर हमला कर हमारे पेट पर लात मारी, फिर पाकिस्तान ने नागरिकों पर कायराना हमला कर नुकसान पहुंचाया। हर तरफ से नुकसान सबसे ज्यादा कश्मीरियों का ही है।

लाल चौक पर चहलपहल नजर आई। अधिकतर स्थानीय लोग ही थे। यहां के एक बुजुर्ग दुकानदार ने बताया कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीरी मुख्यधारा से जुड़ें, इसीलिए उसने पर्यटकों पर हमला करा सीधे पर्यटन कारोबार पर चोट की है। कश्मीर के 80 फीसदी लोग पर्यटन से ही जुड़े हैं। घाटी में पर्यटन बढ़ा तो लोग मुख्यधारा से जुड़ते चले गए। पाकिस्तान ने इसी रीढ़ पर हमला किया। धर्म के नाम पर नफरत फैलाई जिसका शिकार अन्य राज्यों में कश्मीरी छात्र व अन्य लोग हुए।
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