कश्मीर बोला: धर्म पूछकर मारे आतंकियों ने, लेकिन धर्म देखे बिना बचाया कश्मीरियों ने; घाटी में इंसानियत जिंदा है
पहलगाम के बायसरन में आतंकियों ने धर्म पूछकर पर्यटकों को निशाना बनाया, लेकिन स्थानीय कश्मीरियों ने बिना धर्म देखे उनकी जान बचाई। घाटी के लोगों ने हमले की निंदा करते हुए अन्य राज्यों में कश्मीरियों को निशाना न बनाने की अपील की है।


विस्तार
पहलगाम के बायसरन में आतंकी हमले को दो सप्ताह बीतने के बाद भी बेगुनाहों की हत्या करने वाले दहशतगर्दों के खिलाफ कश्मीरियों का आक्रोश कम नहीं हुआ है। उनका कहना है कि हमले के पीछे चाहे पाकिस्तानी हो या कश्मीरी आतंकी, गुनहगारों को मौत के घाट उतार दो।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आतंकियों ने धर्म पूछकर पर्यटकों को मारा, लेकिन यह भी सच है कि बचाने वालों ने धर्म पूछकर सैलानियों को नहीं बचाया। इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि कुछ लोग धर्म के आधार पर दूसरे राज्यों में कश्मीरी व्यापारियों और छात्रों को निशाना बना रहे हैं, जिससे उनके परिवार वाले चिंता में हैं।
घोड़े वालों ने दिखाई बहादुरी, जान पर खेलकर बचाए पर्यटक
पहलगाम हमले के बाद घोड़े वाले आदिल और सज्जाद सहित अन्य कुछ टूरिस्ट गाइड की स्टोरी मीडिया में आई कि उन्होंने कैसे पर्यटकों की जान बचाई। उसके अलावा भी कई ऐसे युवा थे, जिन्होंने पर्यटकों को बायसरन घाटी से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। यह सब दर्शाता है कि कश्मीर में इंसानियत जिंदा है।पहलगाम के एक स्थानीय निवासी आदिल अहमद ने कहा कि जब हमले की खबर पहलगाम बाजार तक पहुंची तो अफरातफरी मच गई।
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हमें पुलिस ने मदद के लिए बुलाया और हम तुरंत बायसरन की ओर निकल पड़े। अंदाजा नहीं था कि आगे क्या हुआ है। वहां जो देखा, वह बयान करने लायक नहीं। रोते पर्यटक और खून में लथपथ कुछ घायलों को देखकर हम डर गए। हिम्मत जुटाकर बचाव कार्य शुरू किया।
मैंने दो लोगों को एंबुलेंस तक पहुंचाया। जेहन में सिर्फ यही था कि कैसे भी सबको सुरक्षित निकालना है, लेकिन यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है? कुछ देर बाद किसी ने कहा कि आतंकियों ने हमला किया है। आज भी दिल दुखी है और हम चाहते हैं कि जिन्होंने भी यह किया है, उसे फांसी दी जाए।
यह हमला इंसानियत का कत्ल है
एक अन्य स्थानीय मुनीर अहमद ने कहा कि यह हमला साफ तौर पर इंसानियत का कत्ल है। जिसने भी किया है, वह कश्मीर का दुश्मन है और यहां अमन-शांति नहीं देखना चाहता। आतंकियों ने धर्म पूछकर बेगुनाहों को निशाना बनाया। जिन कश्मीरियों ने घायलों को बचाया और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया, उन्होंने किसी की भी मदद धर्म पूछकर नहीं की। यह सभी को समझना होगा। मेरा भांजा पंजाब में पढ़ रहा था, जब हमने यह सुना तो उसे वापस आने के लिए कहा और फिलहाल वह घर पर ही है। अभी भेजने में डर लगता है।
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