शहीद फयाज के पिता बोले-मैं बेटियों को भी फौज में भेजने को तैयार
शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज आज घाटी समेत देश के कई युवाओं का रोल मॉडल बन चुका है। लेफ्टिनेंट के घर अमर उजाला टीम पहुंचीं तो पाया कि पूरा परिवार अभी तक सदमे से बाहर नहीं आ पाया था। जवान इकलौते बेटे को खोने का गम परिवार के हर शख्स के चेहरे पर दिख रहा था।
शहीद के पिता फैयाज अहमद पर्रे बात करने की स्थिति में भले ही नहीं थे, लेकिन देश के लिए बेटे की शहादत का गर्व साफ झलक रहा था। उमर फैयाज के पिता से जब अमर उजाला की टीम ने बात करने के लिए कहा तो उनके ताया अब्दुल रजाक ने कहा कि वह बात करने की स्थिति में नहीं है।
इसलिए मैं आपको सब बताता हूं, लेकिन उमर के पिता ने कहा पूछिए क्या पूछना है, लेकिन जो मैं कहूं, वही लिखना। पिता ने कहा फैयाज सेना में कमीशन होने के बाद पहली बार घर छुट्टी पर आया था। उसके मामा की बेटी की शादी थी, जिसमें शिरकत करने बड़े चाव से घर आया।
खुश हूं कि सारा देश मेरे बेटे के साथ खड़ा है
एक माह की छुट्टी थी। 25 मई को वापस यूनिट अखनूर में जाना था, लेकिन 9 मई को आतंकियों ने उनके लाल को उनसे छीन लिया। पिता ने बताया कि गम नहीं देश के लिए बेटे के कुर्बान होने का, लेकिन दुख है इस बात का कि छुुट्टी पर घर ही नहीं आया होता। उन्होंने बताया कि शुरू में जब वह सेना में भर्ती के लिए गया तो मैंने कहा, मत जाओ, लेकिन उसने कहा कि मेरा सपना है सेना में जाने का।
सेना का साथ मिला, राजनेता नहीं पहुुंचे
सेना ने उन्हें बहुत कुछ दिया। सेना के अधिकारी हमारा दुख बांटने आए, लेकिन राजनेता नहीं आए, इसका दुख रहेगा। सेना ने हमें मदद का आश्वासन दिया है। चाहता हूं कि सेना में बेटियों को नौकरी मिले।
दिल्ली और मुंबई में कैंडल मार्च से खुशी
देश भर में उनके बेटे के समर्थन में लोगों के आने पर खुशी हुई। मुंबई और दिल्ली में कैंडल मार्च निकाला, मुझे इस पर गर्व है। सेना की ओर से आर्मी गुडविल स्कूल का नाम उनके बेटे के नाम पर करने से भी गर्व हुआ। लोग अब हमेशा उनके बेटे को याद रखेंगे।