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Jammu News: मानसिक दिव्यांगों के जबरन बाल काटने पर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से मांगा जवाब
संवाद न्यूज एजेंसी, जम्मू
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:42 AM IST
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श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग और टीम केवाईसी को एक जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। इस याचिका में मानसिक दिव्यांगों के बाल और दाढ़ी को जबरन काटने और कैमरे के सामने नहलाने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की खंडपीठ ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को उसके सचिव के माध्यम से और टीम केवाईसी को उसके संस्थापक मुसादिक बशीर के माध्यम से नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा, प्रधान जिला न्यायाधीश, पुलवामा भी यह सुनिश्चित करें कि मुसादिक बशीर को 7 अक्तूबर से पहले नोटिस तामील कराने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
इससे पहले, अदालत ने कश्मीर विश्वविद्यालय के कुछ विधि छात्रों द्वारा पिछले वर्ष दायर जनहित याचिका में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग को प्रतिवादी पक्ष बनाया था। उनमें से दो, शीराज अहमद नज़र और मेहविश मंज़ूर, अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, टीम केवाईसी नामक एक संगठन द्वारा फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मानसिक दिव्यांगों के बाल और दाढ़ी जबरन काटने वाले भयावह वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं।
इन वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि संगठन के सदस्य उनके बाल और दाढ़ी जबरन काट रहे हैं, उन्हें कैमरे के सामने नहला रहे हैं, जो उनकी निजता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है। पीड़ितों को विरोध करते और चीखते हुए देखा जा सकता है, लेकिन वे असहाय हैं।
छात्रों ने बताया कि उन्होंने अगस्त 2024 में राज्य आयुक्त, दिव्यांगजन को इन व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने, घटनाओं का संज्ञान लेने और संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश देने के लिए एक आवेदन लिखा था। 13 दिसंबर को, अदालत ने राज्य आयुक्त, दिव्यांगजन अधिकार को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के संदर्भ में अपने द्वारा की गई गतिविधियों का खुलासा करने के उद्देश्य से एक बेहतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। हलफनामा दायर कर दिया गया है और अदालत ने इसे रिकॉर्ड में ले लिया है।

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इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की खंडपीठ ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को उसके सचिव के माध्यम से और टीम केवाईसी को उसके संस्थापक मुसादिक बशीर के माध्यम से नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
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अदालत ने कहा, प्रधान जिला न्यायाधीश, पुलवामा भी यह सुनिश्चित करें कि मुसादिक बशीर को 7 अक्तूबर से पहले नोटिस तामील कराने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
इससे पहले, अदालत ने कश्मीर विश्वविद्यालय के कुछ विधि छात्रों द्वारा पिछले वर्ष दायर जनहित याचिका में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग को प्रतिवादी पक्ष बनाया था। उनमें से दो, शीराज अहमद नज़र और मेहविश मंज़ूर, अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, टीम केवाईसी नामक एक संगठन द्वारा फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मानसिक दिव्यांगों के बाल और दाढ़ी जबरन काटने वाले भयावह वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं।
इन वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि संगठन के सदस्य उनके बाल और दाढ़ी जबरन काट रहे हैं, उन्हें कैमरे के सामने नहला रहे हैं, जो उनकी निजता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है। पीड़ितों को विरोध करते और चीखते हुए देखा जा सकता है, लेकिन वे असहाय हैं।
छात्रों ने बताया कि उन्होंने अगस्त 2024 में राज्य आयुक्त, दिव्यांगजन को इन व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने, घटनाओं का संज्ञान लेने और संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश देने के लिए एक आवेदन लिखा था। 13 दिसंबर को, अदालत ने राज्य आयुक्त, दिव्यांगजन अधिकार को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के संदर्भ में अपने द्वारा की गई गतिविधियों का खुलासा करने के उद्देश्य से एक बेहतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। हलफनामा दायर कर दिया गया है और अदालत ने इसे रिकॉर्ड में ले लिया है।