आतंकी हमले में दो जवान शहीद, एक नागरिक की मौत
जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पांपोर के निकट आतंकियों ने शनिवार की शाम जम्मू से श्रीनगर की ओर जा रही सीआरएपीएफ के कानवाय में शामिल एक बस पर हमला किया। इसमें दो जवान शहीद हो गए, जबकि नौ घायल हो गए।
हमले में घायल दो नागरिकों में से एक नागरिक ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मृतक की पहचान अब्दुल गनी मीर निवासी पुलवामा के रूप में हुई है। हमले के बाद आतंकी भागकर पास में ही इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ईडीआई) के पांच मंजिले भवन में छिप गए।
उस समय वहां करीब 100-150 छात्र और स्टाफ के सदस्य ट्रेनिंग ले रहे थे। अतिरिक्त जवानों को ऑपरेशन के लिए बुलाया लिया गया।
छुट्टियां बिताकर ड्यूटी पर लौट रहे थे जवान
हमले के बाद आतंकी ईडीआई भवन में जा छिपे। घटना के बाद सीआरपीएफ के जवानों ने भवन को चारों ओर से घेर लिया। सीआरपीएफ के प्रवक्ता भावेश चौधरी ने बताया कि कानवाय में विभिन्न कंपनियों के जवान थे जो छुट्टियां बिताकर ड्यूटी पर लौट रहे थे।
शहीद जवानों की शिनाख्त मध्य प्रदेश के हेड कांस्टेबल भोला सिंह (144 बटालियन) और हिमाचल प्रदेश के कांस्टेबल (ड्राइवर) आरके राणा (79 बटालियन) के रूप में हुई है।
इलाके में तीन से पांच आतंकियों के छुपे होने की आशंका
हमले के बाद आतंकी फायरिंग करते हुए सीधे ईडीआई इमारत में जाकर छिप गए। वहां करीब 100-150 लोग मौजूद थे। ऐसी स्थिति में आम लोगों की जान बचाने के लिए जवानों ने संयम बरतते हुए कार्रवाई नहीं की। उधर, आपरेशन में मदद के लिए मुठभेड़ स्थल से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित 15 कोर मुख्यालय से सेना के जवान भी पहुंच गए।
उन्होंने भी पुलिस के जवानों के साथ मोर्चा संभाल लिया। आतंकियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ दिया गया। पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रा कुमार ने बताया कि लगभग तीन घंटे बाद जवानों ने भवन में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है।
वहीं ऑपरेशन में भाग ले रहे सेना के एक अधिकारी ने बताया कि तीन आतंकी इमारत में पनाह लिए हुए हैं यह तो पक्का है, लेकिन इनकी संख्या पांच भी हो सकती है।
फंसे लोगों को आतंकियों ने सुरक्षित जाने दिया
दक्षिणी कश्मीर के पांपोर में सीआरपीएफ काफिले को निशाना बनाकर घटना स्थल से भागे आतंकियों ने ईडीआई बिल्डिंग में फंसे नागरिकों को खुद ही सुरक्षित निकलने दिया।
घटना के चश्मदीद एक कर्मचारी ने बताया कि बिल्डिंग में दाखिल होने के बाद आतंकियों ने तत्काल वहां से भागने को कहा। उनका कहना था कि वे नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते।
ईडीआई में ट्रेनिंग करने वाले गांदरबल के मंसूर अहमद राथर ने कहा कि हम अंदर हॉस्टल में थे। अचानक से ताबड़तोड़ फायरिंग की आवाजें सुनाई दीं। कुछ नहीं पता चला क्या हुआ। हम सभी सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। मौत के मुंह से निकलकर बाहर पहुंचे हैं।