अलविदा 2025: जख्म मिले...कराहने के बजाय हमने दुनिया को दिखाया पराक्रम, आतंक को बताया एक चुटकी सिंदूर की ताकत
साल 2025 जम्मू-कश्मीर के लिए ऐतिहासिक उपलब्धियों और गहरे घावों का साक्षी बना, जहां रेल मंडल, कटड़ा-श्रीनगर ट्रेन और सोनमर्ग टनल जैसी बड़ी सौगातें मिलीं। वहीं पहलगाम आतंकी हमला, प्राकृतिक आपदाएं और सियासी घटनाएं पीड़ा का कारण बनीं, लेकिन सफल अमरनाथ यात्रा ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और उम्मीद का संदेश दिया।
विस्तार
2025 की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के लिए ऐतिहासिक साैगातों के साथ हुई थी। जनवरी में जम्मू को रेल मंडल का तोहफा मिला, सोनमर्ग टनल की सौगात मिली। प्रदेश इन उपलब्धियों का ठीक से जश्न भी नहीं मना पाया था कि 22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरन में पाकिस्तानी आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर 25 निर्दोष पर्यटकों व एक स्थानीय गाइड की नृशंस हत्या कर पूरे देश को झकझोर दिया। देश ने दशकों बाद ऑपरेशन सिंदूर जैसी प्रतिकार की कार्रवाई देखी। एक वक्त था जब लोगों को उम्मीद नहीं थी कि पहलगाम की घटना के बाद वहां से सटे क्षेत्र अमरनाथ की यात्रा भी हो पाएगी लेकिन एलजी प्रशासन व केंद्र सरकार के प्रयासों ने इस यात्रा को सफल बनाया। देश-दुनिया के करीब 5 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के सकुशल दर्शन कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया।
आतंकियों ने धर्म पूछकर गोलियां बरसाईं, पूरा देश गम-गुस्से से उबल पड़ा
देश ने इस साल आतंकवाद का बेहद क्रूर दंश झेला। कश्मीर घाटी के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम के बायसरन में 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया। धर्म पूछ-पूछकर परिवार के सामने गोलियां बरसाईं। यह महज आतंकी वारदात भर नहीं थी, बल्कि सीधे तौर पर देश की सांप्रदायिक सद्भावना को छिन्न-भिन्न करने की साजिश भी थी। इससे पूरा देश गम-गुस्से से उबल पड़ा। लश्कर-ए-ताइबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली।
देश ने कहा, खून-पानी एक साथ नहीं बहेगा... आतंक को बताया एक चुटकी सिंदूर की ताकत
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने निर्णायक कदम उठाते हुए पाकिस्तान की जीडीपी में एक चौथाई का योगदान देने वाली सिंधु नदी का पानी देने पर रोक लगा दी। सिंधु जलसंधि स्थगित करना ऑपरेशन सिंदूर के तहत बड़ा निर्णायक कदम रहा। इसके पानी से पाकिस्तान अपनी 1.60 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि में से 80 फीसदी की सिंचाई के लिए निर्भर था। भारत ने साफ कहा-खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को बेनकाब कर देश ने उसे गंभीर राजनयिक और आर्थिक क्षति पहुंचाई। ये कदम यहीं नहीं रुके।
- 7 मई की आधी रात में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के नौ ठिकानों पर मिसाइलें बरसाईं।
- इस हमले में आईसी-814 विमान अपहरणकांड व पुलवामा विस्फोट से जुड़े आतंकियों में शामिल यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद समेत 100 से अधिक दहशतगर्द मारे गए। आतंकियों पर हमले से बिलबिलाए पाकिस्तान ने रिहायशी इलाकों में हमले शुरू कर दिए।
- देश ने इसका ऐसा जवाब दिया कि परमाणु हथियार संपन्न किसी देश के 11 एयरबेस पर एक ही अभियान में हमला करने वाला भारत पहला देश बन गया। नतीजा-पाकिस्तान को सीजफायर के लिए घुटने टेकने पड़े।
ऑपरेशन महादेव...बेगुनाहों का खून बहाने वालों को मार गिराया
पहलगाम के गुनहगारों का 22 मई को दाचीगाम में मौजूदगी का पता चलते ही सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव शुरू कर दिया। दो महीने से ज्यादा वक्त तक सुरक्षाबल आतंकियों की तलाश में दिन-रात एक किए रहे। 28 जुलाई को दाचीगाम में ही मुठभेड़ में पहलगाम के गुनहगारों-सुलेमान, अफगान और जिब्रान को ढेर कर दिया।
जरा याद इन्हें भी कर लो...ऑपरेशन सिंदूर में हमने इन्हें खोया
राजोरी में एडीसी रहे राजकुमार थापा, बीएसएफ के मो. इम्तियाज, सूबेदार मेजर पवन कुमार, लांस नायक दिनेश शर्मा, बारामुला की नरगिस, अरुबा और अयान पुंछ के जुड़वां भाई बहन, अमरजीत सिंह, अमरिख सिंह, मोहम्मद अकरम, रनजीत सिंह, काजी मोहम्मद इकबाल, ज्योति कौर व अन्य।
सीमा से एलओसी तक हमारी स्वदेशी की ताकत
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे स्वदेशी हथियारों ने दुश्मन की चौकियों पर कहर बरपाया। इन्हीं में से एक है-एंटी मटेरियल राइफल (एएमआर) विध्वंसक। बंकरों, सैन्य डिपो और बख्तरबंद गाड़ियों को तबाह करने में सक्षम विध्वंसक ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सटीकता से दुश्मन की चौकियों को तबाह किया। जम्मू स्थित बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय में बीएसएफ ने ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल स्वचालित ग्रेनेड लॉन्चर प्रणाली और अन्य स्वदेशी भारी हथियारों के साथ इसका प्रदर्शन किया।
अश्नि प्लाटून...दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर
ऑपरेशन सिंदूर में भविष्य के युद्ध की झलक भी मिली। यह साफ हो गया कि भविष्य के युद्धों में ड्रोन की कितनी अहम भूमिका होगी। भारतीय सेना की हर इंफैंट्री (पैदल सेना) बटालियनों में अब अश्नि प्लाटून हैं। ‘अश्नि’ ड्रोन प्लाटून है। इन प्लाटून के पास निगरानी, आक्रमण और लॉजिस्टिक सपोर्ट में सक्षम हर तरह के ड्रोन हैं। इंफैंट्री की रफ्तार और मारक क्षमता बढ़ाने वाली भैरव बटालियनों के गठन ने इंफैंट्री को और सशक्त बनाया है।
आतंकवाद पीड़ितों के जख्मों पर मरहम
यह साल अपनों के जख्मों पर मरहम लगाने वाले साल के तौर पर भी जाना जाएगा। आतंकी वारदात में अपनों को गंवाने वाले परिवारों की उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सुध ली। पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का काम शुरू किया। यही नहीं पीड़ित परिवारों की जमीन पर आतंकी, अलगाववादी और आतंक के समर्थकों के कब्जों की जांच के भी आदेश दिए। पुराने मामलों की जांच भी उन्होंने शुरू कराई।
सात साल बाद विधानसभा के पटल पर आया बजट
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सात मार्च, 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया गया। करीब सात साल बाद विधानसभा के पटल पर आया यह पहला पूर्ण बजट रहा। वर्ष 2018-19 के बाद, राज्य के पुनर्गठन और केंद्र शासित प्रदेश बनने के चलते लंबे समय तक विधानसभा में बजट पेश नहीं हो सका था। इस बजट का कुल आकार करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये रहा। सरकार ने इसे शून्य घाटे वाला बजट बताया।
यानी आय और व्यय के बीच संतुलन बनाए रखने का लक्ष्य रखा गया। बजट में महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा, गरीब परिवारों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को मजबूत करने की घोषणाएं की गईं।
28 सड़कों, 93 पुलों से हिमपात में भी नहीं रुकेंगे सेना के कदम
दिसंबर में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की रणनीतिक परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें 28 सड़कें, 93 पुल शामिल हैं। श्योक टनल के शुरू हो जाने से पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के बढ़ते कदमों को अब भारी हिमपात और हिमस्खलन भी नहीं रोक पाएगा। अब भारतीय सेना अपने टैंकों के साथ दुश्मन से निपटने के लिए श्योक सुरंग से होेते हुए दौलत बेग ओल्डी व नियंत्रण रेखा के अन्य हिस्सों तक आसानी से पहुंच पाएगी।
जम्मू-कश्मीर में आपदाओं ने लिया इम्तिहान
इस साल अगस्त में आई प्राकृतिक आपदा ने जम्मू संभाग को गहरे जख्म दिए। रामबन की आपदा हो या फिर चिशोती की, वैष्णोदेवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन हो या फिर बारिश व बाढ़...गहरे जख्म मिले। इन आपदाओं में 10 हजार परियोजनाओं और 15 हजार आवासीय संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। उधमपुर, राजोरी, जम्मू, कठुआ और रियासी जिले में सर्वाधिक नुकसान हुआ। पीडब्ल्यूडी की 2224 संपत्तियां, 1151 किमी की सड़कें 2152 स्कूलों के भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं। 3,398 घर पूरी तरह से ढह गए और क्षतिग्रस्त मकानों की संख्या 10 हजार से अधिक है। चिशोती में 100 से अधिक लोगों को हमने खोया। कटड़ा में हुए भूस्खलन में 35 लोगों की जान गई। ऑपरेशन सिंदूर में भी 14 लोगों की जान गई। आपदा और गोलाबारी प्रभावितों के लिए 1869 आवासों की नींव रखी जा चुकी है
सियासत की इन चार घटनाओं ने जमाया रंग
विधानसभा उपचुनाव : सियासत के अनेक उतार-चढ़ाव भी इस साल ने दिखाए। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला विधानसभा उप चुनाव में न सिर्फ नगरोटा सीट भाजपा से छीनने में विफल रहे बल्कि अपनी छोड़ी गई बडगाम सीट भी पार्टी को नहीं जिता पाए। बडगाम में कई दिनों तक डेरा डालने के बावजूद हार मिली।
राज्यसभा चुनाव : लंबे अंतराल के बीच हुए राज्यसभा उप चुनाव में सत्ताधारी नेशनल काॅन्फ्रेंस की धुर विरोधी पीडीपी साथ आ गई। सहयोगी कांग्रेस सहित लगभग पूरे विपक्ष का समर्थन और सारे समीकरण पक्ष में होने का दावा करने के बावजूद एनसी राज्यसभा की चौथी सीट नहीं निकाल पाई। कम संख्याबल होने के बावजूद भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष व प्रत्याशी सत शर्मा को आवश्यकता से अधिक वोट हासिल कर जिताने में कामयाब रही।
नेकां के सांसद आगा रुहुल्ला मेहदी सिर्फ साल भर अपने मुख्यमंत्री और पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले रहे बल्कि विधानसभा चुनाव के दौरान खुली नाराजगी दिखाते हुए क्षेत्र छोड़कर विदेश चले गए। उन्होंने साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री आवास के सामने धरना देकर अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ाई जो अभी तक बनी हुई हैं।
पीछे हिंदू संगठन भी नहीं रहे। आरएसएस व विहिप जैसे संगठनों से जुड़े नेताओं की अगुवाई वाली संघर्ष समिति श्री मां वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से संचालित मेडिकल इंस्टीट्यूट में मुस्लिम छात्रों के प्रवेश के मुद्दे को उठाते-उठाते अपने ही उप राज्यपाल और प्रतिष्ठित श्राइन बोर्ड के खिलाफ सड़क पर मोर्चा खोलने पहुंच गई। ऐसा यह जानते हुए किया कि लोकभवन उनकी आशाओं व आकांक्षाओं के प्रति न सिर्फ संवेदनशील रहता है बल्कि उनके विचारों को खाद-पानी भी देता है।
शाह की चाय पर चर्चा से भी नहीं कम हुई एलजी व सीएम के बीच की दूरी
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार की तारीफ करते नजर आए। समय-समय पर दिल्ली जाकर पीएम, गृहमंत्री व अन्य केंद्रीय मंत्रियों मिलते रहे। जब भी प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर आए उन्होंने उनका पूरा सम्मान व सत्कार किया। पर, उपराज्यपाल से उनका मन नहीं मिला। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश की यात्रा के दौरान एलजी व सीएम को एक साथ चाय पर चर्चा कर संबंधों में मिठास घोलने की कोशिश की। इसके बावजूद दोनों सांविधानिक प्रमुखों के बीच दूरी कम नहीं हुई।
पूरे देश के रेल नेटवर्क से जुड़ा कश्मीर पहाड़ों का सीना चीर गढ़ा रास्ता
2025 की सबसे बड़ी कामयाबियों का जिक्र उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक(यूएसबीआरएल) परियोजना की चर्चा के बिना अधूरा रहेगा। 6 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शुभारंभ किया। इसके साथ ही कश्मीर का पूरे देश के रेल नेटवर्क से जुड़ गया। इससे हमारी सामरिक क्षमता में भी इजाफा हुआ।
रेल नेटवर्क की मदद से सैन्य साजो सामान जल्द से जल्द सीमा तक पहुंचाना आसान हुआ। कश्मीर के उत्पादों की पहुंच देश के हिस्सों में आसान हुई। हमारी जिंदगी और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाली यह परियोजना अपनी बेमिसाल इंजीनियरिंग, हमारे धैर्य और जज्बे की गवाह है। दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब आर्च ब्रिज, गगन को चूमते स्टेड केबल ब्रिज और सुरंगों ने इसे इतिहास के पन्नों में खास बना दिया।
जम्मू रेल डिविजन और सोनमर्ग सुरंग से बढ़ी जिंदगी की रफ्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में दो अहम सौगातें प्रदेश को दीं। पहली-6 जनवरी को रणनीतिक रूप से बेहद अहम जम्मू रेल डिविजन का पीएम ने शुभारंभ किया। इसका गठन फिरोजपुर डिविजन से अलग करके किया गया जो कश्मीर घाटी व आसपास के क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने और उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं के प्रबंधन के लिए अहम है।
13 जनवरी को पीएम ने सोनमर्ग सुरंग (जेड मोड़ टनल) को देश को सौंपा। 20 अक्तूबर 2024 को श्रमिकों पर आतंकी हमले के बावजूद इसका काम नहीं रुका। श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी 6.5 किमी लंबी इस सुरंग से जोजिला दर्रा बंद होने की दशा में आसानी से सेना के साजो-सामान लद्दाख पहुंचाए जा सकते हैं। हिमपात के दौरान स्थानीय लोगों का भी प्रदेश के अन्य हिस्सों से जुड़ाव संभव हो सका।
कश्मीर में पहलगाम आतंकी घटना के बाद पर्यटन उद्योग बुरी तरह से लड़खड़ा गया। पर्यटन को संभालने की कोशिशें तो हुईं लेकिन कश्मीर संभाग इससे पूरी तरह से उबर नहीं पाया। इसका एक कारण यह भी रहा कि वहां सुरक्षा कारणों की वजह से कई पर्यटन स्थलों को लंबे अरसे तक नहीं खोला जा सका। जम्मू संभाग में प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद पर्यटकों के कदम नहीं रुके। इस साल 30 नवंबर तक एक करोड़ 47 लाख 32 हजार 552 सैलानियों ने जम्मू संभाग के विभिन्न क्षेत्रों की सैर की। पिछले वर्ष इस दौरान एक करोड़ 10 लाख 41 हजार 610 पर्यटकों ने सैर की थी। तवी आरती ने भी आस्था का उल्लास भरा।
चर्चा के केंद्र में रहे ये चार विवाद
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित मेडिकल इंस्टीट्यूट में 2025-26 सत्र के एमबीबीएस में 50 सीटों में से 42 मुस्लिम छात्रों को लेकर विवाद।
संतोष ट्रॉफी 2025 के लिए टीम चयन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जम्मू क्षेत्र के खिलाड़ियों को नज़रअंदाज़ किए जाने पर विवाद, जांच के आदेश।
सामान्य वर्ग आरक्षित वर्ग के कोटे को 50 प्रतिशत या फिर उससे कम किए जाने की मांग कर रहा है। कैबिनेट ने प्रस्ताव एलजी के पास भेज दिया है। निर्णय का इंतजार।
वैष्णो देवी रोपवे के श्राइन बोर्ड के फैसले के खिलाफ हैं कटड़ा के कारोबारी व घोड़ा-खच्चर वाले। फिलहाल निर्माण कार्य स्थगित है।
इन्होंने बढ़ाया मान
अनेखा देवी दृष्टिबाधित महिला विश्व कप विजेता टीम की खिलाड़ी।
शीतल देवी सामान्य खिलाड़ियों के साथ खेलकर पैरा तीरंदाज ने बनाया रिकाॅर्ड।
आकिब नबी डार आईपीएल में दिल्ली कैपिटल ने 8.6 करोड़ में अपने साथ जोड़ा।
ललित मंगोत्रा डोगरी संस्था के अध्यक्ष हैं। जिन्हें मिला पद्मश्री अवाॅर्ड।
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