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Jammu News: कश्मीर की स्वास्थ्य सेवाओं को 124.83 करोड़ से मिलेगी संजीवनी
संवाद न्यूज एजेंसी, जम्मू
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:57 AM IST
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य सेवा को मज़बूत करने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रमुख उन्नयन के लिए 124.83 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की है। जानकारों के अनुसार कश्मीर की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह रकम संजीवनी साबित होगी। वहीं लोगों का कहना है कि कि सुविधाएं नजदीक मिलेंगी तो इलाज के लिए दौड़ कम होगी। स्वास्थ्य सेवाओं का नजदीक आना और टेलीमेडिसिन इकाइयों को मजबूत करना एक राहत भरा कदम है।
जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए सरकार ने 124.83 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अधिकारियों के अनुसार इससे जीएमसी जम्मू में सीटी स्कैन, जीएमसी कठुआ और जीएमसी राजौरी में एमआरआई मशीनें, जीएमसी डोडा में कैथ लैब लगेगी। कश्मीर के जीएमसी बारामूला में एमआरआई मशीनें, जीएमसी श्रीनगर में पीईटी स्कैन मशीन लगेगी। पूरे जम्मू-कश्मीर में टेलीमेडिसिन की 80 इकाइयां और स्थापित की जाएंगी।
वर्तमान में कश्मीर में केवल स्किम्स सौरा में ही पीईटी स्कैन सुविधा है, जो घाटीभर के हज़ारों कैंसर रोगियों के लिए नाकाफी है। जीएमसी श्रीनगर में एक पीईटी स्कैन मशीन है, यहां दूसरी मशीन की स्थापना की जा रही है। पुलवामा के कैंसर रोगी मोहम्मद सुल्तान ने कहा, यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत है। पहले मुझे अपने पीईटी स्कैन के लिए एक महीने से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता था। अब जीएमसी श्रीनगर में एक और मशीन मिलने से मेरे जैसे मरीज़ों को इतनी देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इसी तरह, जीएमसी जम्मू में वर्तमान में केवल एक सीटी स्कैन मशीन है, जिससे भीड़भाड़ हो जाती है। एक अतिरिक्त सीटी स्कैन मशीन स्वीकृत होने से, मरीज़ों और उनके तीमारदारों का मानना है कि प्रतीक्षा समय कम हो जाएगा।
सरकार जीएमसी बारामूला, जीएमसी कठुआ और जीएमसी राजौरी में एमआरआई मशीनें लगाने की भी योजना बना रही है, जो उत्तरी कश्मीर, पीर पंजाल और कठुआ के मरीजों को सेवा प्रदान करेंगी। अब तक, इन क्षेत्रों के मरीज़ों को स्कैन के लिए श्रीनगर या जम्मू तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी।
सोपोर निवासी गुलाम नबी ने कहा, एमआरआई के लिए श्रीनगर जाना न केवल समय लेने वाला था, बल्कि महंगा भी था। बारामुला में सुविधा मिलने से कुपवाड़ा, बांदीपोरा और बारामुला जिलों के लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा।
जीएमसी डोडा में एक कैथ लैब को भी मंजूरी दी गई है, जिससे चिनाब घाटी में लोगों को बहुत मदद मिलेगी। दिल के आपातकालीन मामलों में मरीजों को अक्सर जम्मू ले जाना पड़ता था।
जीएमसी अनंतनाग में एक कैथ लैब पहले ही चालू हो चुकी है और साल के अंत तक वहां एमआरआई सुविधा शुरू करने के लिए काम चल रहा है। यहां निवासी बिलाल लोन ने कहा कि इससे अनंतनाग में स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा मिलेगा। अभी मरीजों को श्रीनगर जाना पड़ता है।
80 नई इकाइयों से मिलेगी राहत
सरकार ने 80 नई इकाइयों के साथ पूरे जम्मू-कश्मीर में टेलीमेडिसिन सेवाओं को मजबूत करने का भी फैसला किया है, जिसका उद्देश्य दूर-दराज के इलाकों के मरीजों को तृतीयक स्वास्थ्य सेवा अस्पतालों के विशेषज्ञों से जोड़ना है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, इससे ग्रामीण क्षेत्रों और उन्नत चिकित्सा सेवाओं के बीच की खाई पाटने में मदद मिलेगी। सीमावर्ती और पहाड़ी क्षेत्रों के मरीज़ लंबी दूरी तय किए बिना डॉक्टरों से परामर्श ले सकेंगे। केंद्र शासित प्रदेश में कैंसर, हृदय रोग और आघात के मामलों में वृद्धि के साथ, मरीज़ों और उनके तीमारदारों का मानना है कि इन कदमों से न केवल पैसे की बचत होगी, बल्कि जान भी बचेगी।

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जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए सरकार ने 124.83 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अधिकारियों के अनुसार इससे जीएमसी जम्मू में सीटी स्कैन, जीएमसी कठुआ और जीएमसी राजौरी में एमआरआई मशीनें, जीएमसी डोडा में कैथ लैब लगेगी। कश्मीर के जीएमसी बारामूला में एमआरआई मशीनें, जीएमसी श्रीनगर में पीईटी स्कैन मशीन लगेगी। पूरे जम्मू-कश्मीर में टेलीमेडिसिन की 80 इकाइयां और स्थापित की जाएंगी।
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वर्तमान में कश्मीर में केवल स्किम्स सौरा में ही पीईटी स्कैन सुविधा है, जो घाटीभर के हज़ारों कैंसर रोगियों के लिए नाकाफी है। जीएमसी श्रीनगर में एक पीईटी स्कैन मशीन है, यहां दूसरी मशीन की स्थापना की जा रही है। पुलवामा के कैंसर रोगी मोहम्मद सुल्तान ने कहा, यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत है। पहले मुझे अपने पीईटी स्कैन के लिए एक महीने से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता था। अब जीएमसी श्रीनगर में एक और मशीन मिलने से मेरे जैसे मरीज़ों को इतनी देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इसी तरह, जीएमसी जम्मू में वर्तमान में केवल एक सीटी स्कैन मशीन है, जिससे भीड़भाड़ हो जाती है। एक अतिरिक्त सीटी स्कैन मशीन स्वीकृत होने से, मरीज़ों और उनके तीमारदारों का मानना है कि प्रतीक्षा समय कम हो जाएगा।
सरकार जीएमसी बारामूला, जीएमसी कठुआ और जीएमसी राजौरी में एमआरआई मशीनें लगाने की भी योजना बना रही है, जो उत्तरी कश्मीर, पीर पंजाल और कठुआ के मरीजों को सेवा प्रदान करेंगी। अब तक, इन क्षेत्रों के मरीज़ों को स्कैन के लिए श्रीनगर या जम्मू तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी।
सोपोर निवासी गुलाम नबी ने कहा, एमआरआई के लिए श्रीनगर जाना न केवल समय लेने वाला था, बल्कि महंगा भी था। बारामुला में सुविधा मिलने से कुपवाड़ा, बांदीपोरा और बारामुला जिलों के लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा।
जीएमसी डोडा में एक कैथ लैब को भी मंजूरी दी गई है, जिससे चिनाब घाटी में लोगों को बहुत मदद मिलेगी। दिल के आपातकालीन मामलों में मरीजों को अक्सर जम्मू ले जाना पड़ता था।
जीएमसी अनंतनाग में एक कैथ लैब पहले ही चालू हो चुकी है और साल के अंत तक वहां एमआरआई सुविधा शुरू करने के लिए काम चल रहा है। यहां निवासी बिलाल लोन ने कहा कि इससे अनंतनाग में स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा मिलेगा। अभी मरीजों को श्रीनगर जाना पड़ता है।
80 नई इकाइयों से मिलेगी राहत
सरकार ने 80 नई इकाइयों के साथ पूरे जम्मू-कश्मीर में टेलीमेडिसिन सेवाओं को मजबूत करने का भी फैसला किया है, जिसका उद्देश्य दूर-दराज के इलाकों के मरीजों को तृतीयक स्वास्थ्य सेवा अस्पतालों के विशेषज्ञों से जोड़ना है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, इससे ग्रामीण क्षेत्रों और उन्नत चिकित्सा सेवाओं के बीच की खाई पाटने में मदद मिलेगी। सीमावर्ती और पहाड़ी क्षेत्रों के मरीज़ लंबी दूरी तय किए बिना डॉक्टरों से परामर्श ले सकेंगे। केंद्र शासित प्रदेश में कैंसर, हृदय रोग और आघात के मामलों में वृद्धि के साथ, मरीज़ों और उनके तीमारदारों का मानना है कि इन कदमों से न केवल पैसे की बचत होगी, बल्कि जान भी बचेगी।