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रणनीति बदल रहे आतंकी: सुरक्षाबलों की कार्रवाई से डरे दहशतगर्द... घने जंगलों और चोटियों में बना रहे भूमिगत बंकर

अमर उजाला नेटवर्क, श्रीनगर Published by: शाहरुख खान Updated Mon, 15 Sep 2025 11:01 AM IST
सार

आतंकी सुरक्षाबलों की कार्रवाई से डर गए हैं। आतंकी अब घने जंगलों और चोटियों में भूमिगत बंकर बना रहे हैं। पिछले सप्ताह कुलगाम के ऊंचे क्षेत्रों में मुठभेड़ से आतंकियों के नए षड्यंत्र का खुलासा हुआ है।

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security forces - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबल जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ व्यापक अभियान चला रहे हैं। सेना की कार्रवाई व स्थानीय लोगों के समर्थन में कमी आने से डरे आतंकी संगठनों ने अब नया षड्यंत्र रचा है। ये स्थानीय लोगों के घरों में शरण लेने से बच रहे हैं।
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आतंकी छिपने के लिए अब घने जंगलों के अंदर और ऊंची चोटियों में भूमिगत बंकर बना रहे हैं। आतंकियों का यह बदलाव सेना और सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती है। एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि आतंकियों की बदली रणनीति का खुलासा पिछले सप्ताह कुलगाम के ऊंचे इलाकों में हुई मुठभेड़ से हुआ था। 
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इसमें दो आतंकी मारे गए थे। सुरक्षाबलों को गुप्त खाई में राशन, छोटे गैस स्टोव, प्रेशर कुकर, हथियार और गोला-बारूद मिला था। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि यह चलन कुलगाम और शोपियां जिलों के साथ-साथ जम्मू क्षेत्र में पीर पंजाल के दक्षिण में भी व्यापक हो गया है। यहां के घने जंगल आतंकियों के छिपने के लिए मददगार हैं। 

सुरक्षाबलों की आतंकियों के कुछ नए ठिकानों पता लगाने में सफलता मिली है लेकिन अफसरों की चिंता भी बड़ी है। खासकर खुफिया जानकारी मिलने के बाद कि आतंकियों को ऊंची व मध्य पहाड़ियों में रहने और सीमापार से निर्देश मिलने पर हमले करने के लिए कहा गया है। 

2016 के सफल सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व करने वाले सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के अनुसार, आतंकियों ने ऐसे ही पहयंत्र 1990 व 2000 के दशक के शुरू में रखे थे लेकिन उन्हें विश्वास है कि सेना नई चुनौती से निपटने के लिए अपनी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करेगी। 

प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर खतरे से निपटेंगी एजेंसियां
एक अधिकारी के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां नए खतरे से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेंगी। आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान तैनाती के लिए भू-भेदी रडार (जीपीआर) से लैस ड्रोन व भूकंपीष सेंसर तैनात करने की योजना बना रही है। ड्रोन दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचने में सक्षम है। जीपीआर व भूकंपीय सेंसर भूमिगत रिकिायों और जमीन में संरचनात्मक परिवर्तनों की पहचान कर सकते हैं। इससे भूमिगत बंकरों की जगह की पहचान करना संभव हो जाता है।

आतंकी अब स्थानीय लोगों को मान रहे मुखबिर
जम्मू-कश्मीर पुलिस में तीन दशक तक कार्यरत रहे पुडुचेरी पुलिस के सेवानिवृत महानिदेशक बी. श्रीनिवास ने बताया कि आतंकियों को अब स्थानीय लोगों पर भरोसा नहीं रहा है।

लोगों की ओर से अलगाववादी विचारधारा से मुंह मोड़ने से आतंकी अब उनको मुखबिर मानने लगे हैं। इसलिए आतंकी खाइयों-बंकरों में छिप रहे हैं। उन्होंने कहा, यह 2003 में 'ऑपरेशन सर्प विनाश' में देखी गई घटना की पुनरावृत्ति होगी, जब सुरक्षाबल पुंछ क्षेत्र में छिपे आतंकी शिविरों को निशाना बनाने में सफल रहे थे।

पहले भी ऐसी परिस्थिति का सामना कर चुके सुरक्षाबल
सेना और सुरक्षाबलों की अतीत में भी भूमिगत बंकरों और मानव निर्मित गुफाओं के खतरे का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2020-22 में यह मुख्य रूप से पुलवामा, कुलगाम और शोपियां में आवासीय क्षेत्रों में ऐसी परिस्थतियां बनीं थीं। अधिकारियों ने बताया कि रामबी आरा के मध्य में एक छिपने की जगह है, जो अपने घटते-बढ़ते जल स्तर के लिए जाना जाता है। आतंकी इसके बीच में बने लोहे के बंकर के अंदर छिपे हुए थे।

सैनिकों ने एक खाली तेल बैरल का छेद देखा जिसका उपयोग बाद में आतंकियों ने बंकर में प्रवेश करने के लिए किया। इस अवधि के दौरान पारंपरिक कश्मीरी घरों और भूमिगत बंकरों में अधिक गुफाओं की खबरें सामने आई थीं। सेना को घने सेब के पेड़ों से घिरे और ऊंचाई पर स्थित बंदपोह क्षेत्र में एक और भूमिगत बंकर मिला था। यहां आतंकी भूमिगत कमरा बनाए हुए थे।
 
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