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Encounter: वीडीजी सदस्यों ने खाई कसम...आतंकियों को यहां से जिंदा न जाने देंगे; थ्री नॉट थ्री से कर रहे मुकाबला

अमर उजाला नेटवर्क, उधमपुर/डोडा Published by: शाहरुख खान Updated Thu, 18 Jul 2024 08:56 AM IST
सार

ग्राम रक्षा गार्ड वीडीजी सदस्यों ने कसम खाई है कि आतंकियों को यहां से जिंदा नहीं निकलने देंगे। सुरक्षाबलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घने जंगलों में दहशतगर्दों को ढूंढने में जुटे हैं। आतंकियों की अत्याधुनिक अमेरिकी एम 4 कार्बाइन का थ्री नॉट थ्री से मुकाबला कर रहे हैं।

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Jammu Encounter VDG members took an oath they will not let terrorists leave alive from here
Jammu Encounter - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दर्जनों ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) डोडा जिले के देसा के जंगल में आतंकियों की तलाश में सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जुटे हैं। इन वीडीजी ने कसम खाई है कि इन दहशतगर्दों को क्षेत्र से जिंदा भागने नहीं देंगे। हालांकि उनकी इच्छा है कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों का मुकाबला करने के लिए उन्हें 303 राइफल्स की बजाए स्वचालित राइफलें मुहैया कराई जाएं।
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आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दहशतगर्दों की तलाश के लिए गाई और बांदा इलाकों में गश्त कर रहे वीडीजी समूह के सदस्य सुदर्शन सिंह ने कहा कि हम पिछले कईं घंटों से सोए नहीं हैं। आतंकी भले ही सोमवार की रात को देसा के जंगल में हुई गोलीबारी की जगह से भाग गए, लेकिन वे कब तक भागते रहेंगे मारे जरूर जाएंगे क्योंकि हम उन्हें भागने नहीं देंगे।
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सुदर्शन ने कहा कि उन्हें पिछले कुछ दिनों से आतंकियों की आवाजाही के बारे में इनपुट मिल रहे थे लेकिन उनके स्थान का पता नहीं चल सका। सोमवार की रात एक आतंकी हमले में एक कैप्टन सहित चार जवान मारे गए। पिछले तीन सप्ताह के दौरान जम्मू क्षेत्र में तीसरी बड़ी आतंकी घटना थी।

वह बताते हैं कि हम क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को जानते हैं , परंतु अमेरिका निर्मित एम 4 कार्बाइन जैसे सबसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों से मुकाबला करने के लिए स्वचालित हथियारों की जरूरत है। हमारे पास 303 राइफल है। सरकार को वीडीजी के लिए एक उचित नीति बनानी चाहिए। 

हम चाहते हैं कि पूर्व सैनिक, चाहे वे सेना, पुलिस या अर्धसैनिक बलों से हों, हमारे समूहों का नेतृत्व करें। एक अन्य वीडीजी सदस्य संजय सिंह कहते हैं, आतंकी भाग रहे हैं और हम उन्हें इस क्षेत्र से जिंदा नहीं निकलने देंगे। वीडीजी स्वचालित हथियारों के साथ या उनके बिना आतंकियों से लड़ना जारी रखेंगे।

 

गौरतलब है कि आतंकी खतरों के मद्देनजर ग्रामीणों को आत्मरक्षा क्षमता प्रदान करने के लिए 1995 में जम्मू क्षेत्र में 10-15 सदस्यों वाली ग्रामीण रक्षा समितियों का गठन किया गया था। हालांकि इनके पास आज भी पुराने समय की थ्री नॉट थ्री राइफल ही उपलब्ध है, जिससे आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों से मुकाबला करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
 

एक स्थानीय निवासी रमेश गोपिया ने कहा कि 17 साल से अधिक के अंतराल के बाद क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी से स्थानीय आबादी में डर पैदा हो गया है। उन्होंने बेहतर हथियारों की वीडीजी की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि रात में भी गोलीबारी हुई थी लेकिन हम सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि हमारे पास वीडीजी हैं। हमले की स्थिति में वे सेना और पुलिस के आने तक आतंकवादियों से मुकाबला कर सकते हैं।
 

आतंकी हमले बढ़ने के बाद फोकस में आए वीडीजी
गौरतलब है कि इस साल जम्मू क्षेत्र के राजोरी, पुंछ, रियासी, उधमपुर, कठुआ और डोडा जिलों में आतंकियों द्वारा किए गए हमलों की एक श्रृंखला के बाद वीडीजी फोकस में आए हैं जिसमें 11 सुरक्षा कर्मियों और एक वीडीजी सदस्य सहित 22 लोग मारे गए। पिछले महीने कठुआ और डोडा जिले में दो मुठभेड़ों में पांच आतंकी भी मारे गए थे।
 

जम्मू-कश्मीर में 4153 वीडीजी
गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कुल 4,153 वीडीजी और 32,355 एसपीओ जिला पुलिस अधीक्षकों या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों की प्रत्यक्ष निगरानी में नागरिकों की सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए विभिन्न जिम्मेदारियों में लगे हुए थे।
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