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Jammu News: रंग लाई कोशिश...कश्मीर के वेटलैंड्स में 65 फीसदी बढ़े विदेशी पक्षी

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वेटलैंड में प्रवासी पक्षी।   - फोटो : shrinagar news
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श्रीनगर। कश्मीर घाटी के वेटलैंड्स में पिछले छह वर्षों में विदेशी मेहमान करीब 65 फीसदी बढ़े हैं। इस सीज़न में 26 वेटलैंड्स में 67 प्रजातियों के 13.43 लाख पक्षी पहुंचे हैं। विभाग के संरक्षण के प्रयासों और आवास व जल प्रबंधन से सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
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वर्ष 2025 की गणना के अनुसार 26 वेटलैंड्स में 67 प्रजातियों के कुल 1,343,506 पक्षी पहुंचे। होकरसर में कुल पक्षियों का 29.97 प्रतिशत, शालबुघ में 29.44 प्रतिशत जबकि अन्य वेटलैंड्स में 40.59 प्रतिशत पक्षी आए। घाटी में सबसे ज्यादा 292,039 (22.17%) पक्षी यूरेशियन टील के आए। उसके बाद मल्लार्ड 226,023 (17.16%) और नॉर्दर्न शॉवलर (स्पैटुला क्लाइपेटा) 209,715 (15.92%) रहे।
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सात प्रजातियों मल्लार्ड, यूरेशियन टील, नॉर्थेर्न पिंटेल, यूरेशियन कूट, नॉर्थेर्न शॉवलर, गैडवाल और यूरेशियन विगॉन के एशियाई जलपक्षी गिने गए, जो कुल पक्षियों का 91.08% थे। एशियन वाटरबर्ड सेंसस (एडब्ल्यूसी) ने 2019-2025 की अवधि में की गई गणना का मूल्यांकन किया। इससे वन्य जीव विभाग की कवायद का सकारात्मक पक्ष सामने आया।
आंकड़ों के अनुसार यूरेशियन टील लगातार सबसे अधिक संख्या में घाटी पहुंचे। यह वर्ष 2022 में 336,053 और 2025 में 292,039 तक पहुंचे। इससे इस क्षेत्र की उथली, वनस्पतियुक्त वेटलैंड का पता चलता है।
विभाग ने वेटलैंड प्रबंधन, विशेष रूप से बांधों के निर्माण और आवास पुनर्स्थापन के साथ सार्थक प्रयास किया। बांध का निर्माण शीतकालीन समय में स्थिर जल स्तर बनाए रखने में सहायक रहा है। इससे मल्लार्ड, नॉर्दर्न शॉवलर और गैडवाल जैसी डबलिंग बत्तखों के लिए बसेरा बनाने की स्थिति में सुधार हुआ है।
इनकी संख्या हाल के वर्षों में अपेक्षाकृत उच्च और स्थिर रही है। उदाहरण के लिए उत्तरी शॉवलर की आबादी 2019 में 53,868 से बढ़कर 2025 में 209,715 हो गई। पिछले छह वर्षों, 2020 से 2025 तक, कश्मीर के वेटलैंड्स में जलीय पक्षियों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 2020 में 813,043 से बढ़कर 2025 में 1,343,506 हो गई है जो इस अवधि में 65.28% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
पांच लाख से अधिक पक्षियों की यह वृद्धि वन्यजीव संरक्षण विभाग, जम्मू और कश्मीर द्वारा कार्यान्वित निरंतर संरक्षण प्रयासों और आर्द्रभूमि प्रबंधन रणनीतियों की सफलता को दर्शाती है। गाद हटाने के प्रयासों ने विशेष रूप से 2020 के बाद तीव्र गति से खुले जल क्षेत्रों का कायाकल्प किया और जलीय आवासों की गहराई और गुणवत्ता में सुधार किया।
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