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Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में युवाओं ने बदली इंटरनेट की तस्वीर, घर-घर पहुंचा वाईफाई नेटवर्क

गौरव रावत अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Mon, 10 Nov 2025 01:45 PM IST
सार

जम्मू-कश्मीर में स्थानीय युवाओं ने लोकल इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर बनकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों तक वाईफाई नेटवर्क पहुंचाया है। इस पहल से इंटरनेट की स्पीड, पहुंच और रोजगार बढ़े हैं, जिससे डिजिटल इंडिया का सपना जमीनी हकीकत बन रहा है।

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Jammu Kashmir: Youth in Jammu and Kashmir have changed the face of the internet, with WiFi network reaching ev
इंटरनेट उपकरणों में आई समस्या को ठीक करते फहीम हुसैन। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की तस्वीर अब तेजी से बदल रही है। जहां पहले एयरटेल, जियो व बीएसएनएल जैसी बड़ी कंपनियों का एकछत्र राज था। अब स्थानीय युवा भी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर बनकर इस क्षेत्र में कदम बढ़ा रहे हैं।

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इन युवाओं ने न सिर्फ इंटरनेट की स्पीड और पहुंच को बेहतर बनाया है बल्कि ग्रामीण इलाकों तक वाईफाई नेटवर्क पहुंचाकर लोगों की जिंदगी आसान कर दी है। कभी नेटवर्क की कमी के लिए चर्चित जम्मू और श्रीनगर अब स्थानीय इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (लोकल आईएसपी) के नए केंद्र बन रहे हैं।
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फाइबर नेटवर्क बिछाकर ये युवा न सिर्फ रोजगार दे रहे हैं बल्कि डिजिटल इंडिया के सपने को जमीनी हकीकत में बदल रहे हैं। श्रीनगर के फहीम हुसैन उन युवाओं में से हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में शुरुआत की।
उन्होंने वर्ष 2017 में इंटरनेट सेवा का काम शुरू किया और वर्ष 2019 में लाइसेंस हासिल किया। आज उनकी फर्म श्रीनगर और जम्मू दोनों जगह घरेलू और व्यावसायिक सेवा दे रही है।

फहीम कहते हैं कि बड़ी कंपनियों की पहुंच सीमित है जबकि हम स्थानीय हैं इसलिए हर जगह पहुंच सकते हैं। ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में जहां बड़ी कंपनियों का नेटवर्क कमजोर है वहां लोग अब लोकल प्रोवाइडर पर भरोसा कर रहे हैं।

लाइसेंस लेकर ही चल सकती है इंटरनेट की ‘डोर’
देश में इंटरनेट सेवा देने के लिए सरकार से बाकायदा अनुमति यानी आईएसपी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) लाइसेंस लेना जरूरी होता है। यह लाइसेंस दूरसंचार विभाग (डीओटी) जारी करता है। लाइसेंस राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर और जिला स्तर के होते हैं।

लाइसेंस के लिए कंपनी को पहले अपनी फर्म रजिस्टर्ड करानी पड़ती है और फिर तय सिक्योरिटी डिपॉजिट (करीब 50 हजार से दो लाख रुपये तक) जमा करनी होती है। सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप नीति 2024’ के तहत अब ऐसे स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो अपने शहर या गांव में इंटरनेट सेवा शुरू करना चाहते हैं। इस पूरी प्रक्रिया का मकसद यही है कि देश के हर कोने में इंटरनेट पहुंचे और लोग बड़ी कंपनियों पर पूरी तरह निर्भर न रहें।

गांव-गांव तक पहुंचा रहे सर्विस
आरएस पुरा के मदन सिंह चार साल से इंटरनेट सेवा दे रहे हैं। उन्होंने अपना नेटवर्क आरएस पुरा से आसपास के 20 गांवों तक फैलाया है। मदन बताते हैं कि शुरुआत में कुछ ही घरों को कनेक्शन दिया था। अब चार सौ से ज्यादा घर हमारी सेवा ले रहे हैं।

हमारे प्लान 500 से शुरू होते हैं और 1,000 रुपये तक जाते हैं। जम्मू के सनम महाजन बताते हैं कि उन्होंने 2019 में यह काम शुरू किया था। अब उनके पास पास हजार से ज्यादा कनेक्शन हैं, जिनमें ज्यादातर दुकानदार और छोटे कारोबारी शामिल हैं। सनम कहते हैं कि बड़ी कंपनियों के पास पैसा और साधन जरूर हैं, लेकिन वे ग्राहक को उतनी जल्दी सुविधा नहीं दे पातीं। हम एक कॉल पर कनेक्शन देते हैं, इसलिए लोग हम पर भरोसा करते हैं। इसके साथ ही वह और उन जैसे कई और सर्विस प्रोवाइडर अब दर्जनों युवाओं को तकनीकी, इंस्टॉलेशन और सर्विस सपोर्ट से जोड़ रहे हैं।

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