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'सफेदपोश' आतंकी मॉड्यूल: बांग्लादेश गए बिना ही मिल जाती है MBBS की डिग्री, जांच में चौंकाने वाला खुलासा

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: विजय पुंडीर Updated Tue, 18 Nov 2025 04:17 AM IST
सार

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 450 से 500 युवा हर साल विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेकर लौट रहे हैं। इनमें से 99 फीसदी तक कश्मीर संभाग से हैं जिनकी पहली पसंद बांग्लादेश या फिर अन्य मुस्लिम देश हैं। 

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MBBS degree can be obtained without going to Bangladesh, reveals J&K police investigation
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : istock
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विस्तार
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सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल में डॉक्टरों के शामिल होने की बात सामने आने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस क्राइम ब्रांच की बांग्लादेशी कनेक्शन की पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। बिना बांग्लादेश गए ही एमबीबीएस की डिग्री मिल जा रही है। जिनकी आर्थिक स्थिति चार-पांच रुपये खर्च करने की भी नहीं है, वे कहां से 40-50 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं, इसकी जांच की जा रही है।

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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 450 से 500 युवा हर साल विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेकर लौट रहे हैं। इनमें से 99 फीसदी तक कश्मीर संभाग से हैं जिनकी पहली पसंद बांग्लादेश या फिर अन्य मुस्लिम देश हैं। सूत्रों के अनुसार 2021 से अब तक प्रदेश के 3,700 युवाओं ने विदेश से मेडिकल स्नातक की डिग्री ली है। इनमें जम्मू संभाग के छात्रों की संख्या बमुश्किल एक फीसदी है।

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जानकारों का कहना है कि पहले 20 से 40 युवा ही हर साल एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए विदेश जाते थे। इन छात्रों की पसंद चीन, यूक्रेन, कजाकिस्तान जैसे देश होते थे। पिछले कुछ वर्षों में विदेशी मेडिकल स्नातकों (एफएमजी) के रुझान में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पाकिस्तान पसंद में शामिल हुआ। जब पाकिस्तान के साथ हालात खराब हुए तो बांग्लादेश पहली पसंद बन गया। जानकारों का यह भी कहना है कि  एनएमसी ने बांग्लादेश के 13 कॉलेजों की डिग्री को मान्यता दी है।

जांच हुई तो पता चला घर बैठे थे और एमबीबीएस हो गए
सूत्रों के मुताबिक 2024 में एनएमसी ने सभी राज्य मेडिकल काउंसिल से एफएमजी का रिकॉर्ड तलब किया था। इसके बाद एनएमसी ने वीजा व पासपोर्ट स्टाम्पिंग की जांच करवाई। इसमें पता चला कि कई छात्र तो देश में ही थे, लेकिन विदेश के कॉलेज लिखकर दे रहे थे कि वे उनके यहां पढ़ रहे हैं। इसके बाद एनएमसी ने नियमों को सख्त किया। पासपोर्ट की जांच बढ़ाई लेकिन इसको चकमा देने के लिए नए पासपोर्ट बनवाने जैसे हथकंडे भी छात्र अपना रहे हैं।

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