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Jammu News: कैबिनेट में आज मानसून सत्र की तारीख तय करने के प्रस्ताव पर चर्चा के आसार

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monsoon session
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-मंत्रिमंडल की बैठक में आपदा के आकलन पर भी चर्चा संभव
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-अक्तूबर में पूरे हो रहे हैं विधानसभा में सत्र के छह माह

अमर उजाला ब्यूरो
जम्मू-श्रीनगर। कैबिनेट बैठक मंगलवार को श्रीनगर में प्रस्तावित है। इसमें विधानसभा के मानसून सत्र की तारीख पर चर्चा हो सकती है। उपराज्यपाल की सहमति के बाद सत्र का आयोजन होगा। मानसून सत्र को लेकर पिछली कैबिनेट में भी प्रदेश सरकार की सहमति से प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा था लेकिन तारीख तय नहीं हो पाई है। इस बार प्रदेश सरकार सत्र की तारीख तय करने के बाद मंजूरी के लिए पत्र उपराज्यपाल को भेजने की तैयारी में है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार एक सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की पहली बैठक के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में कहा गया है कि उपराज्यपाल समय-समय पर विधानसभा को ऐसे समय और स्थान पर बुलाएंगे जो वह उचित समझें लेकिन एक सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की पहली बैठक के लिए नियत तिथि के बीच छह महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। चूंकि पिछले सत्र की अंतिम बैठक 29 अप्रैल को हुई थी। इस नियम के अनुसार कि दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए और अगला सत्र 28 अक्तूबर तक होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पिछला विशेष सत्र पुलवामा हमले के बाद 28 अप्रैल को हुआ था। प्रदेश सरकार ने श्रीनगर में पांच मई से अपना कार्यकाल शुरू किया था। नियम के अनुसार छह माह बाद सरकार को जम्मू लौटना है। यह समय भी अक्तूबर में ही पूरा हो रहा है।
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आपदा के नुकसान की रिपोर्ट पर भी चर्चा की संभावना
मंत्रिमंडल की बैठक में मानसून सत्र के अलावा आपदा के नुकसान की रिपोर्ट पर भी चर्चा होने की संभावना है। प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को नुकसान का आकलन जल्द पूरा करने के आदेश दिए हैं। आगामी दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी जम्मू-कश्मीर आने की संभावना है। प्रदेश सरकार इस नुकसान की रिपोर्ट को उनके सामने प्रस्तुत करने वाली है। ऐसे में मंत्रिमंडल की बैठक में इस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने पर बात हो सकती है।
सदन में इन मुद्दों के छाए रहने के आसार
सदन की कार्यवाही में राज्य का दर्जा और आरक्षण के मुद्दे छाए रहने की संभावना है। पिछले विधानसभा सत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर अपने विधायकों द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने के बाद उत्पन्न व्यवधान के कारण राज्य के दर्जे पर तीन प्रस्ताव रद्द हो गए थे। सदन में चर्चा के दौरान आरक्षण का मुद्दा भी बार-बार उठा और पीसी अध्यक्ष व हंदवाड़ा से विधायक सज्जाद गनी लोन ने इस मामले पर सरकार को घेरा। बता दें कि इस सत्र के दौरान डोडा के विधायक मेहराज मलिक की नजरबंदी और उन पर लगाए गए पीएसए का मामला भी चर्चा में आ सकता है।
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