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आतंकियों की नई चाल बेनकाब: आतंकी अब PUBG जैसे गेम्स के जरिए कर रहे हैं बातचीत, बच्चों को बना रहे निशाना
अमर उजाला, नेटवर्क जम्मू
Published by: निकिता गुप्ता
Updated Fri, 25 Jul 2025 05:03 PM IST
सार
मोबाइल गेमिंग ऐप्स, खासकर चैट फीचर वाले वॉर गेम्स, अब आतंकियों और पाकिस्तानी आईएसआई के लिए घाटी में संवाद का नया माध्यम बन गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने चार मामलों की पहचान की है, जिनमें युवाओं को इन ऐप्स के जरिए कट्टरपंथी बनाया जा रहा था।
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- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब ऑनलाइन वॉर गेम्स (जैसे पबजी) की चैटिंग सुविधा का इस्तेमाल अपने संदेश भेजने और युवाओं को गुमराह करने के लिए कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इस नए खतरे को गंभीरता से लिया है।
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अधिकारियों के मुताबिक, गेम खेलते समय यूजर्स आपस में चैट कर सकते हैं, यही सुविधा अब आतंकवादी अपने फायदें के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। चार मामलों की पहचान भी की जा चुकी है, जिनमें एक नाबालिग लड़के को उसके गेमिंग पार्टनर ने उकसाया। हालांकि, समय रहते उसे काउंसलिंग देकर परिवार को सौंप दिया गया।
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इन गेम्स में वॉयस, वीडियो और टेक्स्ट चैट की सुविधा होती है और अब कई गेम्स में मजबूत एन्क्रिप्शन (गुप्त कोडिंग) तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।
हालांकि भारत में कई गेमिंग ऐप्स पर बैन है, लेकिन उन्हें वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए डाउनलोड किया जा रहा है। इससे यूजर की लोकेशन और पहचान छिपाई जा सकती है।
एक नया खतरा वर्चुअल सिम कार्ड्स का है, जो विदेशी कंपनियों से लिए जाते हैं। इसी तकनीक का इस्तेमाल 2019 में पुलवामा हमले में भी किया गया था, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे।
अधिकारियों ने बताया कि अब आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कुछ ऐप्स ऐसे हैं जो न तो फोन नंबर मांगते हैं और न ही ईमेल, जिससे यूजर की पहचान पूरी तरह से छुपी रहती है।