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J&K Terrorist: हिजबुल से फंड लेकर चल रही थी अलगाववादी साजिश, जमात से जुड़े तीन आरोपी और ट्रस्ट पर आरोप तय
अमर उजाला, नेटवर्क जम्मू
Published by: निकिता गुप्ता
Updated Wed, 06 Aug 2025 01:12 PM IST
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सार
एनआईए की विशेष अदालत ने जमात-ए-इस्लामी से जुड़ी पाकिस्तानी फंडिंग मामले में तीन आरोपियों और एक ट्रस्ट पर यूएपीए व आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं।

NIA
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़ी कथित फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने तीन आरोपियों और एक ट्रस्ट के खिलाफ आरोप तय किए हैं। यह फैसला इस मामले में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दिया गया।

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विशेष न्यायाधीश संदीप गंदोत्रा ने अमीर मोहम्मद शम्सी, मुश्ताक अहमद मीर उर्फ जरगर निवासी राजोरी, अब्दुल हमीद गनई उर्फ फैयाज निवासी शोपियां, राजोरी में ही स्थित अल-हुदा एजुकेशनल ट्रस्ट के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए।
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एनआईए के अनुसार, अमीर मोहम्मद शम्सी और अब्दुल हमीद गनई ने प्रतिबंध के बावजूद संगठन की गतिविधियां जारी रखीं व फंड जुटाया। जांच में यह भी पाया गया कि शम्सी को पाकिस्तान में बैठे हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी मुश्ताक अहमद मीर से 1.80 लाख रुपये मिले थे।
इनमें से एक लाख रुपये गनई को अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दिए गए। आरोपी पक्ष के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि किसी प्रकार की ठोस सामग्री जब्त नहीं हुई है और कथित बयान साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं। हालांकि, अदालत ने गवाहों के बयानों, दस्तावेजों और वित्तीय लेनदेन के रिकॉर्ड को देखते हुए आरोप तय करने योग्य माना। इस मामले में आरोपी मुश्ताक अहमद मीर फरार चल रहा है और पाकिस्तान में छिपा बैठा है। जेएनएफ