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25 देशों के राजनयिकों ने देखी कश्मीर की जमीनी हकीकत, आज जम्मू में उपराज्यपाल से करेंगे मुलाकात

अमृतपाल सिंह बाली, अमर उजाला, श्रीनगर Published by: Pranjal Dixit Updated Thu, 13 Feb 2020 09:59 AM IST
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The second batch of 25 foreign envoys has reached Srinagar Jammu and Kashmir.
25 विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने की शिकारा की सवारी - फोटो : अमर उजाला
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जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा आधिकारिक जत्था कश्मीर के बाद आज जम्मू का दौरा करेंगे। ये राजनयिक आज जम्मू में उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा ये जम्मू के स्थानीय नागरिकों से मुलाकात भी करेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल को उत्तरी कश्मीर के बारामुला जाना था लेकिन खराब मौसम के चलते वह वहाँ नहीं जा पाए।

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जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर पहले दिन श्रीनगर पहुंचे राजनयिकों की देखने को अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ ने कहा कि वह पर्यटक के तौर पर कश्मीर आए हैं। हालांकि कुछ ने यहां महसूस की गई जमीनी स्थिति को बयान किया। 
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बुधवार को 25 विदेशी राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर पहुंचा। इस दौरान कुछ प्रतिनिधियों ने दौरों को लेकर अलग-अलग विचार रखे। अधिकतर राजनयिकों ने मीडिया से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल डोमनीक रिपब्लिक, लैटिन अमेरिका के राजनयिक फ्रैंक हैंज डनेनबर्ग केस्टेलेनोस ने कहा कि वह यहाँ पर्यटक के तौर पर आए हैं। कश्मीर एक खूबसूरत जगह है इसलिए हम यहां आए। 

वहीं अफगानिस्तान के राजनयिक ताहिर काद्री ने कहा कि उन्होने एयरपोर्ट से आते समय बस्ते लेकर स्कूल जाते बच्चे दिखाई दिए, इसे देखकर सब कुछ ठीक लगा, और यह हालात सामान्य होने के संकेत हैं। इसके अलावा उन्होने कश्मीर के लोगों की मेहमान नवाज़ी की तारीफ  करते हुए कहाए श्हम अफगान मेहमान नवाज़ होने का दावा करते हैं लेकिन कश्मीरी भी मेहमान नवाज़ हैं।  

उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ने उन्हें जानकारी देते हुए बताया कि भारत के 80 प्रतिशत सेब की पैदावार जम्मू कश्मीर से आती है। और इस कारण यहां निवेश की संभावना है। इसलिए वह अपने देशों को व्यापार के प्रोत्साहित करें। डल झील की खूबसूरती की तारीफ  करते हुए उन्होंने तैरने वाली दुकान से एक कश्मीरी अंगूठी भी खरीदी। 

कहां-कहां के प्रतिनिधि शामिल

25 सदस्यीय इस प्रतिनिधि मंडल में यूरोपीय यूनियन के 12 (जर्मनी, आस्ट्रिया, नीदरलैंड, इटली, हंगरी, चेक रिपब्लिक, बुल्गारिया), पड़ोसी देश अफगानिस्तान, उत्तरी अमेरिका के देश मैक्सिको, कनाडा, डोमनिकन रिपब्लिक , न्यूजीलैंड,किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान,तजाकिस्तान,यूगांडा और रवांडा के प्रतिनिधि शामिल हैं। 

अफगानिस्तान के राजदूत ने खरीदी अंगूठी    

अधिकारियों ने कहा कि विदेशी राजनयिकों के दूसरे जत्थे में यूरोपीय संघ, दक्षिण अमेरिका एवं खाड़ी के देशों के राजदूत हैं। इसमें भारत में अफगानिस्तान के राजदूत ताहिर कादरी ने ट्वीट किया, यहां आने के बाद हमने कश्मीर के श्रीनगर में स्थित डल झील में शिकारा सैर का आनंद उठाया । एक नाव पर लगी दुकान से मैंने एक बेहद खूबसूरत कश्मीरी अंगूठी खरीदी।  

इल्तिजा ने किया ट्वीट

 विदेशी राजनयिकों के दौरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विदेशी राजनयिक अधिकारियों से इंटरनेट पर प्रतिबंध और लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत राजनेताओं के हिरासत के बारे में सवाल करेंगे। सामान्य स्थिति केवल एक भ्रम है। 

जनवरी में 15 विदेशी राजनयिकों ने किया था दौरा

इससे पहले जनवरी में 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू कश्मीर गया था और स्थिति का आकलन किया था। इस दल में अमेरिकी राजदूत केनेथ आई जस्टर भी शामिल थे। इनके अलावा दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, मालदीव, मोरक्को, फिजी, नार्वे, फिलीपींस अर्जेंटीना, पेरू, नाइजीरिया, टोगो औहर गुयाना के प्रतिनिधि शामिल थे।

दिसंबर में आया था यूरोपीय यूनियन का दल

पिछले वर्ष दिसंबर माह में यूरोपीय यूनियन के  28 सांसदों के प्रतिनिधि मंडल ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था। हालांकि इस दौरे को उनकी निजी यात्रा बताया गया था।

सुरक्षा मे 2000 जवान तैनात

प्रतिनिधिमंडल के दौरे के चलते श्रीनगर शहर के साथ-साथ उनके दौरे के रूट प्लान को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। श्रीनगर अंतररष्ट्रीय हवाई अड्डे से गुपकार और फिर होटल ग्रैंड ललित वाले रूट पर लगभग 2000 तैनात किए गए थे। डल झील की ओर जाने वाले सभी रास्तों और आस पास के इलाकों में सुरक्षाबलों को सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए गए थे। डल झील में भी सीआरपीएफ़ और जम्मू कश्मीर पुलिस की वॉटर विंग के जवान मोटर बोट्स में पेट्रोलिंग करते दिखाई दिये। 

एक घंटे की शिकारा राइड    

विदेशी राजनयिकों ने स्थानीय प्रतिनिधिमंडलों से मिलने से पूर्व विश्व प्रसिद्ध डल झील में शिकारा राइड का लिया आनंद। राजनयिक नेहरू पार्क से अलग-अलग शिकारे में बैठे और करीब एक घंटे में ललित घाट पहुंचे। इस दौरान मोटर बोट्स में सुरक्षा कर्मी इन्हे एस्कॉर्ट करते दिखाई दिये। इतना ही नहीं कुछ राजनयिकों ने शिकारा राइड के दौरान शिकारा में तैरती दुकानों में बिकने वाली चीज़ें भी खरीदी। उन्हे ंचार चिनारी और डल में स्थित मीना बाज़ार भी ले जाया गया।

पत्रकारों के दल से मिले

पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने इंटरनेट सुविधा के अभाव में पेश आने वाली दिक्कतों से विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल को कराया गया अवगत। 12 सदस्यीय पत्रकारों के दल ने उनके सामने जमीनी हकीकत रखी।
पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने इंटरनेट सुविधा के अभाव में पेश आने वाली दिक्कतों से विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल को कराया गया अवगत। 12 सदस्यीय पत्रकारों के दल ने उनके सामने जमीनी हकीकत रखी।

विदेशी राजनयिक आज मिलेंगे उप राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश से

जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर आए 25 विदेशी राजनयिकों को आज राज्य के सुरक्षा हालात से अवगत कराया जाएगा। राजनयिकों की आज जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश, उप राज्यपाल, जिला प्रशासन के अधिकारियों और सिविल सोसायटी के लोगों से मुलाकात भी होनी है। 

किसी भारतीय के जम्मू-कश्मीर जाने पर रोक नहीं: रेड्डी

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को सदन को बताया कि किसी भी भारतीय नागरिक के जम्मू-कश्मीर जाने पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं है। उनसे सवाल पूछा गया था कि सरकार भारतीय प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर जाने की मंजूरी कब देगी। इसके जवाब में रेड्डी ने बताया कि ऐसी कोई रोक ही नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि 15 देशों के प्रमुखों ने 9 से 10 जनवरी के बीच जम्मू-कश्मीर की यात्रा की थी। इन देशों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, फिजी, गुयाना, मालदीव, मोरक्को, नाइजर, नाइजीरिया, नॉर्वे, फिलीपींस, पेरू, दक्षिण कोरिया, टोगो, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं।

एक अन्य सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में बताया देश में खास तौर पर जम्मू-कश्मीर में किसी प्रकार के डिरेडिकलाइजेशन शिविर के अस्तित्व की सूचना नहीं है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कश्मीर में डिरेडिकलाइजेशन सेंटर के विचार का जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने स्वागत किया था। सिंह ने यह बयान चीफ  ऑफ  डिफेंस स्टॉफ  जनरल बिपिन रावत के सुझाव पर दिया था। सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारगर मुकाबला करने के लिए विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों को हाथ मिलाने की जरूरत है।
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