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Kishtwar cloudburst: चिशोती में आस्था ने बचाया अस्तित्व, मंदिरों की जगह पत्थरों ने रोक दी तबाही

अमर उजाला, नेटवर्क जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Sun, 17 Aug 2025 05:55 AM IST
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सार

चिशोती गांव में आए जलसैलाब में तीन प्राचीन मंदिर ढह गए, लेकिन उनके स्थान पर बने पत्थरों की दीवार ने पूरे गांव को तबाही से बचा लिया। गांववासियों ने इसे आस्था का चमत्कार माना और कहा कि मंदिरों ने खुद मिटकर भी गांव की रक्षा की।
 

Three temples were washed away, but stones built in their place to build a wall saved Chishoti village
14 अगस्त को आई आपदा में तीनों मंदिर बह गए - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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चिशोती गांव न सिर्फ मचैल माता यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, बल्कि अपनी धार्मिक मानता के लिए जाना जाता है। यहां तीन मंदिर हैं, मां काली, माऊ नाग और थान देवता मंदिर। 14 अगस्त को आई आसमानी आपदा में तीनों ढह तो गई, लेकिन चिशोती गांव को होने वाले बड़े नुकसान से बचा गए।

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सैलाब में आए बड़े-बड़े पत्थर मंदिर के स्थान दीवार बन गए, जिससे पानी, मलबे और पत्थरों का बहाव गांव की तरफ न होकर नाले की तरफ हो गए। अगर ऐसा न होता तो पूरा गांव जल सैलाब की चपेट में आ जाता।गांव के निवासी रंजीत सिंह ने कहा कि तीन मंदिर हमेशा से हमार रक्षक थे।
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इस सैलाब में भी हमारे रक्षक बने। खुद ढह जाने के बाद भी गांव को बचा लिया। उन्होंने कहा कि तीन मंदिर प्राचीन है। काली माता मंदिर और मचैल माता मंदिर के कपाट एक साथ बैसाखी में खुलते है। इसके बाद गांव वाले छड़ी के साथ मचैल माता के दर्शन करने जाते है। बेसाखी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां बड़ा आयोजन होता है।

गांव में होने वाला हर शुभ कार्य से पहले यहां पूजा-अर्चना होती है। गांव में किसी की शादी हो तो नई दुल्हन मंदिर में जाकर आशीर्वाद लेती है। माऊ नाग ने हमेशा से ही गांव की रक्षा की है। पहले भी नाले में पानी चढ़ता था, लेकिन कभी इतना ज्यादा नहीं चढ़ा।

पहली बार ऐसा रोद्र रूप देखा है। हमें यकीन है मूर्तियां अभी भी मलबे है। वो खंडित नहीं हुई है। मलबा हटाया जाएगा तो मूर्ति मिल सकती है। मंदिरों के प्रति हमारी आस्था है, जो कभी कम नहीं होगी। मलबा हटने के बाद फिर से वहां तीनों मंदिर बनाएगा।

उन्होंने कहा कि मचैल यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करते थे। 14 अगस्त के दिन को याद करते हुए रंजीत की आंखों आंसू थे। उन्होंने कहा कि अचानक तेज आवाज सुनाई दी, ऐसा लगा की भूकंप आया है, गांव में धुंध छा गई और कुछ ही सेकंड में सबकुछ तबाह हो गया। जब नाला के पास जाकर देखा तो तीनों मंदिर ढह चुके थे, लेकिन उन मंदिर के साथ बड़े-बड़े पत्थरों ने दीवार बनकर गांव को बचा लिया था, नहीं तो पूरा गांव श्मशान बन जाता।

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