Jammu Kashmir: आतंकवाद के खिलाफ एआई को बनाएं हथियार हमला हो इससे पहले करें वार, बोले- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए प्रतिक्रियात्मक नहीं बल्कि प्रोएक्टिव रणनीति अपनानी होगी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक प्रभावी हथियार बनाना होगा। आईआईटी जम्मू में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में उन्होंने आतंकियों, उनके समर्थकों और कट्टरपंथी नेटवर्क के ईकोसिस्टम को जड़ से खत्म करने पर जोर दिया।
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकी हमलों का इंतजार करने के बजाय हमें उनके सक्रिय होने से पहले उनको जड़ से मिटाना होगा। आतंकवाद के खिलाफ हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को हथियार बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, आतंकी फंडिंग, कट्टरपंथ और नार्को आतंकवाद के खतरों का मुकाबला करने के लिए एआई से लैस आधुनिक उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
उपराज्यपाल ने ये बातें आईआईटी जम्मू में वीरवार को आयोजित केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय पहले सुरक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहीं। यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ के रायपुर में नवंबर में आयोजित 60वें अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन की तर्ज पर आयोजित किया गया।
सिन्हा ने कहा कि हमें प्रतिक्रियात्मक (रीएक्टिव) रणनीतियों से हटकर सक्रिय (प्रोएक्टिव) सुरक्षा रणनीतियों की ओर बढ़ना होगा। एलजी ने कहा कि रायपुर में डीजीपी-आईजीपी काॅन्फ्रेंस के दौरान विकसित भारत-सुरक्षा आयाम विषय पर विस्तार से चर्चा हुई जो हमारे पुलिस संस्थानों को बदलने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
करीब नौ घंटे तक चले सम्मेलन में एलजी ने कहा कि 2019 से हासिल की गई वास्तविक सुरक्षा उपलब्धियों की रक्षा की जानी चाहिए। छह वर्षों में हमने सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना, खुफिया एजेंसियों और केंद्रीय सशस्त्र बलों के संयुक्त प्रयासों से आतंकी हिंसा, आतंकवादियों की संख्या और भर्तियों में काफी कमी आई है।
उन्होंने कहा कि घाटी, जंगलों, पहाड़ियों या गांवों में सक्रिय हर आतंकी और उसके समर्थकों को खत्म करना होगा। आतंकवादियों, उनके समर्थकों और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने वालों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई करनी होगी ताकि इनके ईको सिस्टम और ठिकानों को खत्म किया जा सके।
एलजी ने कहा, आतंकवादियों, उनके समर्थकों और आम नागरिकों को धमकाने वाले तत्वों के साथ एक जैसा सुलूक किया जाना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे तत्वों को अपने कृत्यों की भारी कीमत चुकानी पड़े। सुरक्षा कॉन्फ्रेंस में पुलिस महानिदेशक, बीएसएफ, सीआरपीएफ के आईजीपी समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अफसर मौजूद रहे।
एआई का इस तरह से हो सकता है इस्तेमाल
डेटा विश्लेषण : साइबर एक्सपर्ट के अनुसार एआई सिस्टम सोशल मीडिया पर किए गए पोस्टों, वित्तीय लेनदेन और कम्युनिकेशन के रिकॉर्ड का तेजी से विश्लेषण कर सकते हैं। इनमें मौजूद विसंगतियों से संदिग्ध आतंकवादी गतिविधियों की ओर इशारा मिल सकता है।
निगरानी और पहचान: अमरनाथ यात्रा, वैष्णो देवी यात्रा के दौरान फेसियल रिकग्निशन सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा है। चेहरे की पहचान और वीडियो का विश्लेषण करने वाला यह सिस्टम कारगर भी रहा है। इससे संदिग्धों की पहचान करना आसान हो जाता है।
खतरों की पहचान : सीसीटीवी कैमरों से मिलने वाली लाइव फुटेज को एआई सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाता है। यह सिस्टम भीड़ में असामान्य हरकत, छोड़े गए बैग या बार-बार एक ही इलाके में घूम रहे व्यक्ति को पहचान लेता है। इससे सुरक्षा एजेंसियों को समय रहते अलर्ट मिल जाता है।
साइबर सुरक्षा: ऑनलाइन दुष्प्रचार, भर्ती और हमले की साजिश का पता लगाने और उनको नाकाम करने के लिए भी एआई का उपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल हो भी रहा है।