{"_id":"62862c8ddec4f30ea9754065","slug":"election-commission-can-take-a-decision-on-the-membership-of-jharkhand-chief-minister-hemant-soren-anytime","type":"story","status":"publish","title_hn":"झारखंड: हेमंत सोरेन की सदस्यता पर कभी भी फैसला ले सकता है चुनाव आयोग, सीएम के करीबियों पर भी लटकी है तलवार","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
झारखंड: हेमंत सोरेन की सदस्यता पर कभी भी फैसला ले सकता है चुनाव आयोग, सीएम के करीबियों पर भी लटकी है तलवार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: विजय पुंडीर
Updated Thu, 19 May 2022 05:10 PM IST
सार
झारखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज मामले में सुनवाई को मंगलवार तक टाल दिया है। लेकिन इस मामले में अब चुनाव आयोग सोरेन की सदस्यता पर कभी भी फैसला ले सकता है। चुनाव आयोग ने सीएम को जवाब सब्मिट करने के लिए 20 मई तक का समय दिया था।
विज्ञापन
CM HEMANT SOREN
- फोटो : social media
विज्ञापन
विस्तार
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर तलवार लटक रही है। माइनिंग लीज पर भले की हाईकोर्ट ने सुनवाई का मामला मंगलवार तक टाल दिया हो लेकिन चुनाव आयोग सोरेन की सदस्यता का फैसला कभी भी कर सकता है।
Trending Videos
सीएम ने चुनाव आयोग से समय मांगा था
चुनाव आयोग ने माइनिंग लीज मामले में हेमंत सोरेन को 10 मई तक जवाब देने के लिए कहा था। लेकिन सीएम ने जवाब सब्मिट करने के लिए कुछ समय मांगा था। जिसके बाद चुनाव आयोग हेमंत सोरेन को 20 मई तक का समय दिया था। हेमंत सोरेन ने अपनी मां रूपी सोरेन के बीमार होने की बात कहते हुए चुनाव आयोग से समय मांगा था।
विज्ञापन
विज्ञापन
चुनाव आयोग ने 10 मई तक का समय दिया था
चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा था कि उनके पक्ष में खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। जो आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है। आयोग उन्हें इन गंभीर आरोपों पर अपना रुख पेश करने के लिए एक न्यायोचित मौका देना चाहता है। उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 मई तक का समय दिया जाता है।
हेमंत सोरेन के भाई पर भी लटकी तलवार
सीएम के अलावा उनके भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन और पेयजल आपूर्ति मंत्री मिथिलेश ठाकुर की सदस्यता भी खतरे में है। बसंत सोरेन का भी चुनाव आयोग की तरफ से नोटिस भेजा गया था। मिथिलेश ठाकुर पर नामांकन फॉर्म में गलत जानकारी देने का आरोप है। इस मामले में डीसी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों ने दोबारा रिपोर्ट सौंपने की बात कहते हुए लौटा दिया था।
क्या है मामला?
झारखंड में खदान और उद्योग विभाग दोनों सीएम सोरेन के पास है। वे पहले से ही रांची में उनके नाम पर पत्थर की खदान के कथित आवंटन के कारण कानूनी उलझन में हैं। 2019 में बरहेट निर्वाचन क्षेत्र से सदन के लिए चुने गए सोरेन ने 13 साल पहले रांची जिले के अंगारा ब्लॉक के प्लाट संख्या 482 पर 0.88 एकड़ के पत्थर के खनन पट्टे के लिए आवेदन किया था। वहीं, चुनाव आयोग पहले से मामले की जांच कर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने पद का इस्तेमाल लाभ के लिए किया है? बताया जा रहा है कि मामले में दोषी पाए जाने पर विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता की नौबत भी आ सकती है।
झारखंड हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई
भाजपा ने आरोप लगाया कि यह मुख्यमंत्री द्वारा लाभ का पद धारण करने का मामला था, क्योंकि उन्होंने एक खनन पट्टा प्राप्त किया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन किया। इसी मामले पर एक जनहित याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा भी सुनवाई की जा रही है, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की गई है।