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'आप पर कार्रवाई क्यों न की जाए': झारखंड सीएम सोरेन को चुनाव आयोग का नोटिस, खनन पट्टा मामले में मांगा जवाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Mon, 02 May 2022 10:48 PM IST
सार
चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है कि उनके पक्ष में खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
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हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)
- फोटो : Facebook
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विस्तार
चुनाव आयोग ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को नोटिस भेजा है। चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है कि उनके पक्ष में खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। जो आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है। एक पदाधिकारी ने कहा कि आयोग उन्हें इन गंभीर आरोपों पर अपना रुख पेश करने के लिए एक न्यायोचित मौका देना चाहता है। उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 मई तक का समय दिया जाता है।
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इससे पहले जब यह मामला भारत निर्वाचन आयोग पहुंचा था, तब भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को तलब करते हुए उनसे पूछताछ की थी। आयोग ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से लीज आवंटन से संबंधित दस्तावेज का प्रमाणीकरण करने को कहा था कि उक्त दस्तावेज सही हैं या नहीं।
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क्या है मामला?
झारखंड में खदान और उद्योग विभाग दोनों सीएम सोरेन के पास है। वे पहले से ही रांची में उनके नाम पर पत्थर की खदान के कथित आवंटन के कारण कानूनी उलझन में हैं। 2019 में बरहेट निर्वाचन क्षेत्र से सदन के लिए चुने गए सोरेन ने 13 साल पहले रांची जिले के अंगारा ब्लॉक के प्लाट संख्या 482 पर 0.88 एकड़ के पत्थर के खनन पट्टे के लिए आवेदन किया था। वहीं, चुनाव आयोग पहले से मामले की जांच कर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने पद का इस्तेमाल लाभ के लिए किया है? बताया जा रहा है कि मामले में दोषी पाए जाने पर विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता की नौबत भी आ सकती है।
भाजपा ने लगाए हैं गंभीर आरोप
राज्य की विपक्षी पार्टी की भाजपा की शिकायत के बाद राज्यपाल बैस ने शिकायत को चुनाव आयोग के पास राय के लिए भेजा था। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार, 13 साल बाद 10 जुलाई 2021 को जिला खनन कार्यालय, रांची ने सोरेन के पक्ष में पट्टे को मंजूरी दी, जो उस समय के मुख्यमंत्री-सह-खान मंत्री थे।
झारखंड हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई
भाजपा ने आरोप लगाया कि यह मुख्यमंत्री द्वारा लाभ का पद धारण करने का मामला था, क्योंकि उन्होंने एक खनन पट्टा प्राप्त किया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन किया। इसी मामले पर एक जनहित याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा भी सुनवाई की जा रही है, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की गई है।
निर्वाचन आयोग को राज्य के राज्यपाल से इस मुद्दे पर एक प्रतिवेदन मिला है। आयोग अपने विचार राज्यपाल को भेजेगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए किसी सरकारी अनुबंध के लिए किसी सांसद या विधायक को अयोग्य करार देने से संबद्ध है। आयोग ने कहा कि नोटिस इस धारा को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया हैं। आयोग ने धारा 9ए के प्रावधानों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाया है। आयोग ने हाल में राज्य सरकार को पत्र लिख कर खनन पट्टे से संबद्ध दस्तावेज साझा करने को कहा था।