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माइनिंग लीज मामला: 31 मई को सुनवाई करेगा चुनाव आयोग, झारखंड सीएम को पेश होने के निर्देश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची Published by: विजय पुंडीर Updated Sat, 21 May 2022 05:13 PM IST
सार

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग ने सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी है। इस मामले में चुनाव आयोग 31 मई को सुनवाई करेगा। सीएम को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। 

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Election Commission will hear on May 31 in the mining lease case against Jharkhand Chief Minister Hemant Soren
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन - फोटो : PTI
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विस्तार
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग 31 मई को सुनवाई करेगा। चुनाव आयोग ने इस मामले में सीएम सोरेन को जवाब सब्मिट करने के लिए 20 मई तक का समय दिया था। शुक्रवार को सोरेन ने चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखा था। चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है।

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चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई की तारिख निर्धारित की। वहीं हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है। इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग को दिए अपने जवाब में कहा कि वह निर्दोष हैं, माइनिंग लीज मामले में उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन के मामले में सुनवाई हो सकती है।
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सीएम ने चुनाव आयोग से समय मांगा था
चुनाव आयोग ने माइनिंग लीज मामले में हेमंत सोरेन को 10 मई तक जवाब देने के लिए कहा था। लेकिन सीएम ने जवाब सब्मिट करने के लिए कुछ समय मांगा था। जिसके बाद चुनाव आयोग हेमंत सोरेन को 20 मई तक का समय दिया था। हेमंत सोरेन ने अपनी मां रूपी सोरेन के बीमार होने की बात कहते हुए चुनाव आयोग से समय मांगा था।

चुनाव आयोग ने 10 मई तक का समय दिया था 
चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा था कि उनके पक्ष में खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। जो आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है। आयोग उन्हें इन गंभीर आरोपों पर अपना रुख पेश करने के लिए एक न्यायोचित मौका देना चाहता है। उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 मई तक का समय दिया जाता है।

हेमंत सोरेन के भाई पर भी लटकी तलवार
सीएम के अलावा उनके भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन और पेयजल आपूर्ति मंत्री मिथिलेश ठाकुर की सदस्यता भी खतरे में है। बसंत सोरेन को भी चुनाव आयोग की तरफ से नोटिस भेजा गया था। मिथिलेश ठाकुर पर नामांकन फॉर्म में गलत जानकारी देने का आरोप है। इस मामले में डीसी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों ने दोबारा रिपोर्ट सौंपने की बात कहते हुए लौटा दिया था।

क्या है मामला?
झारखंड में खदान और उद्योग विभाग दोनों सीएम सोरेन के पास है। वे पहले से ही रांची में उनके नाम पर पत्थर की खदान के कथित आवंटन के कारण कानूनी उलझन में हैं। 2019 में बरहेट निर्वाचन क्षेत्र से सदन के लिए चुने गए सोरेन ने 13 साल पहले रांची जिले के अंगारा ब्लॉक के प्लाट संख्या 482 पर 0.88 एकड़ के पत्थर के खनन पट्टे के लिए आवेदन किया था। वहीं, चुनाव आयोग पहले से मामले की जांच कर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने पद का इस्तेमाल लाभ के लिए किया है? बताया जा रहा है कि मामले में दोषी पाए जाने पर विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता की नौबत भी आ सकती है।

झारखंड हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई
भाजपा ने आरोप लगाया कि यह मुख्यमंत्री द्वारा लाभ का पद धारण करने का मामला था, क्योंकि उन्होंने एक खनन पट्टा प्राप्त किया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन किया। इसी मामले पर एक जनहित याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा भी सुनवाई की जा रही है, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की गई है।

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