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Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने ईडी को तीन हफ्ते का और समय दिया, सीएम हेमंत सोरेन के हलफनामे पर देना है जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची Published by: पवन पांडेय Updated Thu, 02 Jan 2025 10:24 PM IST
सार

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले साल जनवरी में दिल्ली और रांची में अपने आवासों पर तलाशी लेने के संबंध ईडी अधिकारियों के खिलाफ यहां एससी/एसटी थाने में मामला दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य 'आदिवासियों को अपमानित करना' था।

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Jharkhand High Court grants three weeks' time to ED to respond to Soren affidavit
झारखंड हाईकोर्ट - फोटो : ANI
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विस्तार
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झारखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया। बता दें कि, ईडी ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ सीएम हेमंत सोरेन की तरफ से दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में अर्जी दायर की थी।
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ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य 'आदिवासियों को अपमान' था- सोरेन
सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले साल जनवरी में दिल्ली और रांची में अपने आवासों पर तलाशी लेने के संबंध ईडी अधिकारियों के खिलाफ यहां एससी/एसटी थाने में मामला दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य 'आदिवासियों को अपमानित करना' था। मामले के जांच अधिकारी ने ईडी अधिकारियों को नोटिस जारी कर पेश होने को कहा था।
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ईडी के इन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हैं मामला
मामले में सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी के अतिरिक्त निदेशक कपिल राज, सहायक निदेशक देवरत झा, अनुमान कुमार, अमन पटेल और कई अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। कपिल राज और अन्य अधिकारियों ने उनके खिलाफ जारी नोटिस और शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर ईडी अधिकारियों की तरफ से दिए गए बयानों का खंडन किया और प्राथमिकी को उचित ठहराया। ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन के हलफनामे का जवाब देने के लिए समय मांगा है।

'मुझे-मेरे परिवार को मानसिक, मनोवैज्ञानिक नुकसान हुआ'
अधिकारियों के अनुसार, एफआईआर में सीएम सोरेन ने कहा, 'मेरे परिवार के सदस्यों और मुझे किए गए कृत्यों के कारण बहुत अधिक मानसिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक नुकसान हुआ है'। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इनमें अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के खिलाफ झूठे, दुर्भावनापूर्ण या परेशान करने वाले मुकदमे या आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के साथ-साथ किसी सार्वजनिक स्थान पर उन्हें "अपमानित करने के इरादे से" अपमानित या डराने-धमकाने से संबंधित आरोप शामिल हैं। 

ईडी ने पिछले साल जनवरी में ली थी सोरेन के आवासी की तलाशी
इन धाराओं में किसी भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य को सार्वजनिक रूप से जाति के नाम से गाली देना या उनके विरुद्ध शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावना को बढ़ावा देने के लिए लिखित या मौखिक शब्दों का प्रयोग करना भी शामिल है, विशेष रूप से 'किसी ऐसे व्यक्ति की तरफ से, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य न हो।' बता दें कि, ईडी की एक टीम ने पिछले साल जनवरी में सोरेन के दिल्ली आवास की तलाशी ली थी, जहां उन्होंने झारखंड में एक भूमि सौदे से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में उनसे पूछताछ करने के लिए लगभग 13 घंटे तक डेरा डाला था।
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