सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Lifestyle ›   Health & Fitness ›   CDC data shows 350 Americans died from COVID-19 last week know its cause and risk

Covid-19: भारत में फैल रहा वैरिएंट अमेरिका में साबित हो रहा है 'घातक', मौत के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Wed, 28 May 2025 03:33 PM IST
विज्ञापन
सार

अमेरिका में जिस NB.1.8.1 वैरिएंट के कारण संक्रमण और मौत दोनों के मामले बढ़ रहे है, वही वैरिएंट भारत में भी फिलहाल सबसे ज्यादा सक्रिय देखा जा रहा है। इस वैरिएंट की प्रकृति और जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत कर दिया है।

CDC data shows 350 Americans died from COVID-19 last week know its cause and risk
कोरोना संक्रमण और खतरा - फोटो : Amarujala.com
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

कोरोनावायरस के बढ़ते मामले इन दिनों दुनियाभर के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। इस बार के प्रकोप की शुरुआत हांगकांग-सिंगापुर, चीन जैसे देशों से हुई, देखते ही देखते भारतीय आबादी में भी संक्रमण का खतरा काफी तेजी से बढ़ने लगा। बढ़ते मामलों के लिए ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स को प्रमुख कारण माना जा रहा है। संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले JN.1 वैरिएंट और इसमें हुए म्यूटेशन से उत्पन्न सब-वैरिएंट्स (NB.1.8.1 और LF.7) के हैं।  

Trending Videos


एशियाई देशों के साथ अमेरिका से प्राप्त हो रही जानकारियां भी कोरोना को लेकर लोगों के मन में डर बढ़ा रही हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां न सिर्फ संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं बल्कि हर सप्ताह 300 से ज्यादा लोगों की मौतें भी हो रही हैं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


अमेरिका स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में संक्रामक रोग प्रभाग के प्रोफेसर डॉ. टोनी मूडी कहते हैं, हकीकत यह है कि हम अभी भी मौतें देख रहे हैं, कोरोनावायरस फिर से न सिर्फ फैल रहा है, बल्कि लोगों की जान भी ले रहा है।

CDC data shows 350 Americans died from COVID-19 last week know its cause and risk
अमेरिका में कोरोना का खतरा - फोटो : Freepik.com

भारत वाला वैरिएंट अमेरिका में भी एक्टिव

यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि अमेरिका में जिस NB.1.8.1 वैरिएंट के कारण संक्रमण और मौत दोनों के मामले बढ़ रहे है, वही वैरिएंट भारत में भी फिलहाल सबसे ज्यादा सक्रिय देखा जा रहा है। इस वैरिएंट की प्रकृति और जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत कर दिया है, अब तक इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में रखा गया था। वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग का मतलब है कि अब वायरस के इस रूप को लेकर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने और निगरानी की आवश्यकता है।  



तो क्या ये वैरिएंट, जिसे अधिकतर रिपोर्ट्स में ज्यादा चिंताजनक नहीं माना जा रहा है, वो असल में डेल्टा जैसा खतरनाक हो सकता है? अमेरिका में बढ़ते मौत के मामलों को देखें तो ये सवाल लाजमी है।

CDC data shows 350 Americans died from COVID-19 last week know its cause and risk
कोरोना के कारण गंभीर समस्याओं का खतरा - फोटो : Freepik.com

अमेरिका में बढ़ती मौत की क्या वजह है?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार,  पिछले हफ्ते अमेरिका में 350 से अधिक लोगों की मौत हुई। हालांकि इसमें से ज्यादातर मौतें उन लोगों की देखी गई हैं, जो उच्च जोखिम वाले जैसे पहले से कोमोरबिडिटी के शिकार या फिर कमजोर इम्युनिटी वाले थे। 

यूएस. सीडीसी डेटा के अनुसार, अप्रैल तक यहां 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के केवल 23% वयस्कों ने ही अपडेटेड कोविड-19 वैक्सीन ली है। बच्चों में ये आंकड़ा 13 प्रतिशत का है। 

वैक्सीनोलॉजिस्ट और एट्रिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. ग्रेगरी पोलैंड ने कोविड से संबंधित मौतों की संख्या में वृद्धि के प्रमुख कारण के रूप में वैक्सीनेशन न कराने, या फिर अपडेटेड वैक्सीन न लेने को प्रमुख माना है। 

CDC data shows 350 Americans died from COVID-19 last week know its cause and risk
कोरोना के अपडेटेड वैक्सीन - फोटो : Freepik.com

उच्च जोखिम वालों को अपडेटेड वैक्सीन लेनी की सलाह

गौरतलब है कि नए वैरिएंट्स में देखे गए परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कई कंपनियों ने अपने वैक्सीन्स को अपडेट किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि सभी लोगों को कोरोना से बचाव के लिए फ्लू की तरह ही कोरोना के टीके भी लेते रहने चाहिए। 65 से अधिक आयु या फिर उच्च जोखिम वालों के लिए ये और भी आवश्यक है।

मेडिकल एक्सपर्ट्स कहते हैं, समय के साथ वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है, इसके अलावा वायरस में लगातार बदलाव आ रहे हैं। यही कारण है कि इस बार फिर से नया प्रकोप देखा जा रहा है। NB.1.8.1 वैरिएंट में वृद्धि के कारण एशिया, सिंगापुर और हांगकांग में कई गंभीर मामले सामने आ चुके हैं, जिसको देखते हुए सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

इस वायरस को लेकर कितना डरने की जरूरत?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, NB.1.8.1 वैरिएंट निश्चित ही चिंता का कारण बना हुआ है पर इससे घबराने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत। भारत में भी कोविड के अपडेटेड टीके उपलब्ध हैं, उच्च जोखिम वाले अपने डॉक्टर की सलाह पर टीके ले सकते हैं, हालांकि इसके लिए सभी को भागने की भी जरूरत नहीं है। कोविड उपयुक्त व्यवहार को संक्रमण के खतरे क कम करने के लिए पर्याप्त माना जाता है, इसके अलावा भारत में पहले से हर्ड इम्युनिटी बन चुकी है तो यहां ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। 


------------
नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

विज्ञापन
विज्ञापन

सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें  लाइफ़ स्टाइल से संबंधित समाचार (Lifestyle News in Hindi), लाइफ़स्टाइल जगत (Lifestyle section) की अन्य खबरें जैसे हेल्थ एंड फिटनेस न्यूज़ (Health  and fitness news), लाइव फैशन न्यूज़, (live fashion news) लेटेस्ट फूड न्यूज़ इन हिंदी, (latest food news) रिलेशनशिप न्यूज़ (relationship news in Hindi) और यात्रा (travel news in Hindi)  आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़ (Hindi News)।  

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed