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सिगरेट का ऐसा नुकसान अब तक नहीं जानते होंगे आप

Updated Fri, 07 Mar 2014 10:21 AM IST
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harms of passive smoking
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'पैसिव स्मोकिंग' यानि परोक्ष धूम्रपान बच्चों की रक्त धमनियों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा इससे उनकी रक्त नलिकाएं असमय ही विकसित हो जाती हैं। ये जानकारी एक शोध के जरिए सामने आई है।

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वे माता-पिता जो बच्चों की मौजूदगी में सिगरेट पीते हैं, उनके बच्चों की रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं। इससे भविष्य में उनको दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक के खतरे बढ़ जाते हैं। ह्रदय से संबंधित यूरोप की पत्रिकाओं में ये जानकारियां छपी हैं।
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शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया गया कि तीन से 18 साल की आयु के वैसे 2,000 से अधिक बच्चों की सेहत को खतरा है जिनके माता-पिता दोनों ही सिगरेट पीते हैं।

विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि 'पैसिव स्मोकिंग' यानि सेकेंड हैंड स्मोकिंग से हाने वाले खतरे का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।

फिनलैंड और ऑस्ट्रेलिया में किए जाने वाले इस शोध में यह बात सामने आई है कि धुंए से भरे घर में पल-बढ़ रहे् बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि स्मोकिंग से शरीर को होने वाले नुकसान के अलावा दूसरे नुकसानों को नकारना कठिन है।

जिस बच्चे के माता-पिता दोनों धूम्रपान करते हैं जब उनका अल्ट्रासाउंड किया गया तो उसमें ये देखा गया कि बच्चे के गले से सिर तक जाने वाली मुख्य धमनी की दीवारों में कुछ बदलाव आए हैं।

जांचकर्ताओं का कहना है कि हालांकि धमनी की दीवारों में आया ये परिवर्तन मामूली है लेकिन 20 साल बाद बच्चे के वयस्क हो जाने पर यही बदलाव महत्वपूर्ण और असरकारक हो जाते हैं।

शोध करने वाले तस्मानिया विश्वविद्यालय के डॉ सिएना गल का कहना है, "हमारा अध्ययन बताता है कि जो बच्चा बचपन में पैसिव स्मोकिंग का शिकार होता है उसकी धमनियों की संरचना को प्रत्यक्ष और अपूरणीय क्षति पहुंचती है।"

उन्होंने बताया, "माता-पिता को, यहां तक कि जो अभी मां या पिता बनने वाले हैं, उन्हें बिना देर किए सिगरेट पीना छोड़ देना चाहिए। इससे न केवल उनकी सेहत पर सकारात्मक असर पड़ेगा बल्कि उनके बच्चों को भी भविष्य में बुरी सेहत का सामना नहीं करना पड़ेगा।"

इस अध्ययन में सिगरेट पीने वाले बच्चों को शामिल करने के बावजूद शोध के नतीजे नहीं बदलें।

हां, माता या पिता में से किसी एक के ही सिगरेट पीने की स्थिति में बच्चों की सेहत पर कोई असर नहीं देखा गया। संभवतः ऐसा इसलिए हुआ हो कि इस स्थिति में सिगरेट के धुंए का ज्यादा बड़ा प्रभाव क्षेत्र बन पाया।

डॉ गल कहते हैं, "यदि घर में कोई एक ही व्यस्क सिगरेट पीता हो और वह घर के बाहर जाकर सिगरेट पीता हो, तो इससे पैसिव स्मोकिंग का असर कम हो जाता है। लेकिन हमारे पास इसे साबित करने के लिए आंकड़े नहीं हैं, इसके बारे में केवल अटकल ही लगाया जा सकता है।"

स्थितियां चाहे जो हों, शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चों को सेकेंड हैंड स्मोकिंग से बचाया जाना चाहिए।
अफवाहों से बचें

धुंए से भरे घर में पल रहे बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन में ह्रदय रोग की वरिष्ठ नर्स डोरियन मड्डोक का कहना है, "पैसिव स्मोकिंग से सेहत को हाने वाला नुकसान जगजाहिर है। मगर ये अध्ययन इससे एक कदम आगे जाकर यह बताता है कि इससे बच्चों की धमनियों को प्रत्यक्ष और अपूरणीय क्षति पहुंचती है, जिससे भविष्य में बच्चों के दिल से जुड़े रोगों के पनपने के खतरे बढ़ जाते हैं।"

वे कहती हैं, "अगर आप सिगरेट पीते हैं तो बच्चे को इससे होने वाले नुकसान से बचाने का सबसे असरदार उपाय है कि आप सिगरेट पीना तुरंत छोड़ दें।"

उन्होंने आगे कहा, "और यदि ये मुमकिन नहीं तो कम से कम घर, या कार में सिगरेट बिलकुल ना पिएं। यह बेहतर विकल्प है।"

वहीं दूसरी ओर स्मोकर्स ग्रुप 'फॉरेस्ट' के प्रमुख साइमन क्लार्क कहते हैं, "हमें दहशत फैलाने वाली इन अफवाहों से दूर रहना चाहिए। क्योंकि धमनियों को नुकसानदेह भोजन और वायु प्रदूषण सहित कई और कारणों से भी नुकसान पहुंचता है।"

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