MP Samwad 2025 Live: 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर में 12 प्राथमिक सेवाएं शामिल', संवाद में बोलीं अनुप्रिया पटेल
Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh 2025 Live News Updates in Hindi: विकास से जुड़ी नीतियां, अर्थव्यवस्था, सिनेमा, खेल और अध्यात्म जैसे विषयों पर सारगर्भित चर्चा के लिए पहचाने जाने वाला 'अमर उजाला संवाद' कार्यक्रम गुरुवार को आयोजित किया गया। सीएम मोहन यादव ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। भोपाल के ताज लेकफ्रंट होटल में 'संवाद' में अलग-अलग क्षेत्रों की हस्तियां जुटीं और मध्य प्रदेश के विकास समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
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इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा- आज देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा 1 लाख 77 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर के द्वारा देश के आम नागरिक को पहुंचाई जा रही है। ये पहले भी थे, लेकिन अंतर क्या है? आज ये नए स्वरूप में हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिर आज केवल पुरानी पद्धति पर चलकर जो मातृत्व और बच्चों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं है। बल्कि इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में आज 12 प्राथमिक सेवाओं का पैकेज इस देश के हर नागरिक को उपलब्ध कराया जा रहा है। और जब हम 12 सेवाओं की जब हम बात करते हैं तो सभी जरूरी सेवाएं इसमें आ जाती है।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा 2047 का भारत कैसा हो, भारत की सेहत कैसी हो? आज देश के ऐसे बहुत सारे ग्रामीण इलाके और पिछड़े इलाके हैं उनमें खासतौर से स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की उपलब्धता की चुनौती रहती है। 2047 में हमें ऐसा भारत नहीं चाहिए। अगर 2047 में ऐसा भारत नहीं चाहिए तो काम तो अभी से करना पड़ेगा। इस दिशा में हमने काम शुरू कर दिया है। 2047 में हमारे देश के अंदर डॉक्टर पॉपुलेशन रेशियो चिंता का विषय न हो। देश के दूरस्थ इलाकों, सबसे ग्रामीण, सबसे पिछड़े इलाकों में डॉक्टर्स हों और विशेषज्ञ डॉक्टर्स हों। कोने-कोने में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स हों इसकी चिंता भी हमारी सरकार ने की। 11 वर्षों में हमने 157 नए मेडिकल कॉलेज बनाकर खड़े किए। आज हमारे देश में 780 से अधिक मेडिकल कॉलेज हो गए हैं। यानी 101 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है मेडिकल कॉलेज की हमारी सरकार में। मध्य प्रदेश में हमने 14 नए मेडिकल कॉलेज बनाए हमारी सरकार आने के बाद।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हमारी सरकार में देश की सेहत को दुरुस्त करने का काम 11 वर्षों से तेजी से आगे बढ़ाया है। 2014 में जब हमारी सरकार बनी तो सबसे पहला काम जो हमने किया वह दशकों पुरानी स्वास्थ्य नीति को बदलने का किया। 2017 में हमने नई स्वास्थ्य नीति इस देश को सौंपी और हमारे देश की नई स्वास्थ्य नीति दशकों पहले से जो स्वास्थ्य नीति चल रही थी उससे कैसे भिन्न है उसको समझना जरूरी है। जहां हमारी पुरानी स्वास्थ्य नीति, केवल बीमारियों के रोकथाम, बीमारियों के उपचार तक सीमित रहती थी। वहीं हमारी नई स्वास्थ्य नीति 2017 समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली इस दृष्टिकोण के साथ आई है। हम पहले क्यूरेटिव हेल्थ की बात करते थे, लेकिन आज जो हमारी नई स्वास्थ्य नीति है, वो निवारक, संवर्धनात्मक, उपचारात्मक, पुर्नवास और उपषामक। इस समग्र दृष्टिकोण के साथ देश के स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत करने में लगी हुई है। हमारी नई स्वास्थ्य नीति के केंद्र में है, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, यानी देश के एक-एक नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा न केवल सुलभ हो, बल्कि किफायती भी हो, गुणवत्तापूर्ण हो। और इसके लिए जरूर है कि स्वास्थ्य का पूरा जो पिरामिड है, यानी प्राइमरी, सेकेंडरी, टर्शरी- इन तीनों पर हम ध्यान दें और मजबूत करें।
सबसे पहले अमर उजाला का अभिनंदन, मध्य प्रदेश के दिल भोपाल में देश और प्रदेश की सेहत की बात करने के लिए संवाद का आयोजन किया। अमर उजाला का शुक्रिया, आपने मुझे इस मंच पर भारत सरकार का दृष्टिकोण रखने का मौका दिया। देश की स्वास्थ्य सेवा में एक नए युग की शुरुआत हुई है। हमारी सरकार ने, देश के प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प इस देश के करोड़ों देशवासियों के साथ लिया है।
स्वस्थ भारत ही, समृद्ध भारत-विकसित भारत की नींव: अनुप्रिया पटेल
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प इस देश के करोड़ों-करोड़ों देशवासियों के साथ मिलकर लिया है। जब 2047 में हम विकसित भारत की बात करते हैं तो हमारे मन में लाजमी हो जाता है जब देश आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा तो देश की सेहत कैसी होनी चाहिए, मध्य प्रदेश की सेहत कैसी होनी चाहिए। मैं यह मानती हूं कि स्वस्थ भारत ही, समृद्ध भारत-विकसित भारत की नींव है।
कॉलेज के दिनों में रिजल्ट को लेकर दोस्त की हताशा का उल्लेख करते हुए अमोघ लीला दास ने बताया कि कुछ ही समय पहले जब तक रिजल्ट नहीं आया था वे और उनके दोस्त क्रिस्पी छोले-भटूरे का नाश्ता एंजॉय कर रहे थे। रिजल्ट आने पर जैसे ही उसे पता लगा कि वह असफल हो गया है उसके लिए लजीज नाश्ते की खुशी बेमानी हो गई। दोस्त की हताशा देख जब उन्होंने पूछा कि इतना डरा हुआ क्यों है? इस पर दोस्त ने बताया कि उसके पिता जाट हैं। पिता ने कहा है कि अगर बीटेक की पढ़ाई समय से पूरी नहीं हुई तो गोली मार दूंगा। इस पर उसे सांत्वना देते हुए अमोघ लीला दास ने कहा, पिता डराते हैं, ऐसा होगा नहीं। लेकिन उनके दोस्त ने कहा कि सात बेटे हैं। एक को मारने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। रिजल्ट के कारण वह वहां से चला गया। इस घटना से साफ है कि चीजों से हमेशा खुशियां मिलेंगी, ऐसा सोचना सही नहीं है। इसके साफ मायने हैं कि हर समय फिजिकल कंफर्ट का मतलब खुशी नहीं होता। सारा खेल मन का है।
इंसान के जीवन में खुशी के मायने को लेकर अमोघ लीला दास ने पूछा, सब लोग खुश रहना चाहते हैं। इसका मतलब केवल यही है कि असली सफलता का मतलब है- आप अपने जीवन में खुश हैं या नहीं। उन्होंने एक और सवाल पूछा- क्या शारीरिक या भौतिक सुख को खुशी कहा जा सकता है? क्या वाकई फिजिकल कंफर्ट से खुशी होती है? इस पर अमोघ लीला दास ने कहा, एक अर्थ में देखने पर ऐसा लग सकता है। आरामदेह कुर्सी, लग्जरी गाड़ी, इसमें साउंड सिस्टम कमाल का हो, हवाएं चल रही हों... इनसे भी खुशी मिल सकती है, लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है? कई ऐसे लोग भी हैं जिनके पास ताकत, पैसा, पद, आरामदेह जीवन सबकुछ है, लेकिन ये सबकुछ होने के बावजूद लोग जीवन में खुश नहीं हैं। कई ऐसे लोग हैं, जिनके पास इन सबमें कुछ नहीं होने पर भी वे बेहद खुश हैं। इसका मतलब है कि खुशी का भौतिक चीजों के साथ कोई रिश्ता नहीं होता।
अमोघ लीला दास ने संवाद के दौरान कहा कि सभी लोग अपने जीवन में खुश रहना चाहते हैं। इसका मतलब है कि हम सब अपने जीवन में खुश रहने के लिए ही अधिकांश काम करते हैं। उन्होंने बताया, एक शख्स ने उनसे कहा कि वह मरना चाहता है। इस पर उन्होंने उसे बताया कि 40 हजार बिच्छू एक साथ काट रहे हों, मरते समय इस तरह की पीड़ा होती है। इस पर उस शख्स ने कहा कि अभी उसका जीवन ऐसा है, मानो 80 हजार बिच्छू डंक मार रहे हों। इससे अच्छा है कि मर जाऊं। ऐसा करने पर केवल 40 हजार ही बचेंगे। मरकर खुशी मिलेगी।
हम सभी के जीवन का लक्ष्य एक ही है। हम सभी जो करते हैं वो खुशी के लिए करते हैं। असली सफलता का मतलब है कि क्या आप अपने जीवन में वाकई में खुश हैं।
इससे पहले संवाद के सत्र की शुरुआत होने पर अमोघ लीला दास ने अमर उजाला के मंच पर एक बार फिर आने को लेकर खुशी का इजहार किया। उन्होंने जनता से सवाल किया कि सफलता के मायने क्या हैं? इस पर दर्शकों में मौजूद एक शख्स ने कहा, सक्सेस आपको मिलती नहीं है, आपको प्रयास करने के बाद सफलता अर्जित करनी पड़ती है। एक अन्य शख्स ने कहा कि अगर आप अपनी इच्छा से काम कर सकते हैं तो आप सफल हैं।
चीजों का खुशियों से लेना देना नहीं होता: मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास
मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने बताया कि खुशियों का चीजों के साथ लेना देना नहीं होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई ऐसे लोग हैं जिनके पास पावर है, पोस्ट है, पोजीशन है, न कम्फर्ट है। उनके पास सबकुछ है लेकिन फिर भी वह खुश नही हैं। दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिनके पास न पावर है, न पोस्ट है, न ब्यूटी है, न पोजीशन है... उनके पास कुछ भी नहीं है, लेकिन फिर भी वह खुश हैं। यानी की खुशियों का चीजों के साथ लेना देना नहीं होता है।
'संवाद' के मंच पर अमोघ लीला दास
'अमर उजाला संवाद' कार्यक्रम में जाने माने मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने शिरकत की। इस दौरान उनसे अध्यात्म से जुड़े कई विषयों पर बात की। अमोघ लीला दास ऐसे विषयों पर अपनी बात रखी, जिनसे सार्थक जीवन की राह निकलती है।