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Bhopal: एमपी में दो साल में 36 हजार से ज्यादा बाल विवाह रोके गए, राजगढ़ में 46% बच्चियां बाल विवाह की शिकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Mon, 01 Sep 2025 06:40 PM IST
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सार

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु ने बताया कि एमपी के 41 जिलों में पिछले दो साल में 36,838 बाल विवाह रोके गए, 4,777 बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया और 1200 से ज्यादा पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाया गया। राजगढ़ में बाल विवाह की दर 46 प्रतिशत है।

Bhopal: More than 36 thousand child marriages were stopped in MP in two years, 46% girls in Rajgarh are victim
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु की प्रेसवार्ता - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि बाल अधिकारों की सुरक्षा में मध्य प्रदेश अग्रिम मोर्चे पर है और इस राज्य के पास बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने की राष्ट्रीय लड़ाई के नेतृत्व की पूरी क्षमता व संभावना है। भुवन ऋभु ने भोपाल में एक प्रेसवार्ता में बताया कि एमपी के 41 जिलों में पिछले दो साल में 36,838 बाल विवाह रोके गए, 4,777 बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया और 1200 से ज्यादा पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाया गया।
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बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत के मुकाबले मामूली कम
उन्होने कहा कि मध्य प्रदेश में बाल विवाह की दर 23.1 है जो राष्ट्रीय औसत 23.3 के मुकाबले मामूली कम है लेकिन कुछ जिलों में स्थिति गंभीर है। जैसे राजगढ़ में बाल विवाह की दर 46.0, श्योपुर में 39.5, छतरपुर में 39.2, झाबुआ में 36.5 और आगर मालवा जिले में 35.6 प्रतिशत है। कानून पर सख्ती से अमल के अभाव में बाल विवाह से बच्चियों का पढ़ाई छोड़ना और उनका शोषण व गरीबी के अंतहीन दुष्चक्र में फंसना जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि अब सरकार को साफ संदेश देना होगा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) हर धर्म, परंपरा और पर्सनल लॉ से ऊपर है।
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रेप पर मौत की सजा का प्रावधान
ऋभु ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने बच्चियों से रेप पर मौत की सजा का प्रावधान किया था। अब यही सख्ती बाल विवाह पर भी दिखनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम बच्चों की सुरक्षा का धर्मनिरपेक्ष कानून है, इसे किसी भी पर्सनल लॉ से कमतर मानना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। प्रदेश की 7.3 करोड़ आबादी में 40% बच्चे हैं। यहां बाल विवाह की दर 23.1% है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3% से थोड़ी कम है। वहीं कई जिलों में हालात चिंताजनक हैं। ऋभु ने कहा कि इन जिलों में बच्चियां समय से पहले पढ़ाई छोड़ रही हैं और गरीबी व शोषण के अंतहीन चक्र में फंस रही हैं।

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2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त करना लक्ष्य
ऋभु ने कहा कि मध्यप्रदेश में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के साथ 17 सहयोगी संगठन बाल विवाह, ट्रैफिकिंग, बाल श्रम और यौन शोषण के खिलाफ दोहरी रणनीति-जागरुकता और कानूनी हस्तक्षेप पर काम कर रहे हैं। यह नेटवर्क चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया अभियान के साथ जुड़ा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त करना है।

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बैंड और घोड़ी वाले पर भी सजा व जुर्माने का प्रावधान
ऋभु ने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 बाल विवाह पर पूरी तरह पाबंदी लगाता है। यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के को बच्चे के तौर परिभाषित करता है। इस कानून के तहत बाल विवाह को प्रोत्साहित करने या उसमें किसी भी तरह का सहयोग करने जैसे बारात में शामिल मेहमानों, हलवाई, सजावट करने वाले, बैंड वाले या घोड़ी वाले पर भी सजा व जुर्माने का प्रावधान है। 
 
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