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Bhopal: मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे सिकल सेल के मरीज, एम्स का दावा जांच में औसतन 25 फीसदी लोग मिले पॉजिटिव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Fri, 11 Jul 2025 08:42 PM IST
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सार

एम्स भोपाल द्वारा बैतूल जिले में लगाए गए शिविर में औसतन 25% लोग सिकल सेल की बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। जोकि काफी चिंता का विषय है। हालांकि कि बैतूल कलेक्टर ने इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही है। 

Bhopal: Sickle cell patients are increasing rapidly in Madhya Pradesh, AIIMS claims that on an average 25 perc
एम्स भोपाल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्यप्रदेश में खौफनाक बीमारी सिकल सेल के खात्मे के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने इस रोग को खत्म करने के लिए स्क्रीनिंग के बाद जेनेटिक काउंसलिंग पर विशेष ध्यान देने की भी बात कह चुके हैं। इसके एम्स भोपाल द्वारा बैतूल जिले में लगाए गए कैंप में औसतन 25% लोग इस बीमारी से ग्रसित पाए जा रहे हैं। जोकि काफी चिंता का विषय है। दरअसल एम्स द्वारा लगाई गई शिविर में जांच रिपोर्ट आने पर पता चला कि जिन लोगों की जांच की गई उनमें से 24.7 फीसदी लोग पॉजिटिव पाए गए। हालांकि वैतूल कलेक्टर का कहना है कि हमारे पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है। सिकल सेल एक वंशानुगत रक्त विकार है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अनजाने में फैलता रहता है। समय पर जांच और जानकारी से इस रोग की रोकथाम संभव है।
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एम्स ने एक संस्था के साथ लगाया था शिविर
 एम्स भोपाल और मध्य प्रदेश थैलेसीमिया जन जागरण समिति के संयुक्त तत्वावधान में 28 जून को आमला तहसील के बोदरझी स्थित पैराडाइज स्कूल में एक दिवसीय निःशुल्क सिकल सेल स्क्रीनिंग एवं जनजागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य गंभीर आनुवंशिक रक्त विकारों जैसे सिकल सेल एनीमिया व बीटा थैलेसीमिया के प्रति जनसामान्य को जागरूक करना और निःशुल्क परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराना था। शिविर में कुल 169 लोगों की पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्ट के माध्यम से जांच की गई, जिनमें 101 बच्चे, 68 वयस्क शामिल थे। इनमें से 44 लोग (लगभग 24.7%) प्रारंभिक परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए, जिन्हें एम्स भोपाल के पैथोलॉजी विभाग में एचपीएलसी कन्फर्मेटरी जांच के लिए भेजा गया। जांच में 28 लोग (लगभग 16%) सिकल सेल ट्रेट से ग्रसित पाए गए, जबकि 14 लोग (लगभग 7.8%) सिकल सेल डिजीज के रोगी पाए गए। इसके अतिरिक्त, दो लोग बीटा थैलेसीमिया से पीड़ित पाए गए।
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प्रभावित क्षेत्रों में जांच और इलाज की सुविधा दुर्लभ
 एम्स के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने कहा कि आज भी सिकल सेल प्रभावित क्षेत्रों में जांच और इलाज की सुविधा दुर्लभ है। ऐसे शिविरों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाई जा सकती है। एम्स भोपाल लगातार इन क्षेत्रों में रोगियों की पहचान, जांच और काउंसलिंग कर रहा है ताकि इस आनुवंशिक रोग की श्रृंखला को समय पर तोड़ा जा सके।
 
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हमारे डेटा में केवल एक प्रतिशत मरीज
बैतूल कलेक्ट नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि एम्स के शिविर में क्या रिपोर्ट आई मुझे अभी तक नहीं दी गई है। अभी तक हम लोगों ने साढ़े 6 लाख जांच की है, जिसमें से केलव 6,500 लोग पॉजिटिव पाए गएं हैं। जोकि केवल एक प्रतिशत है। अगर इस तरह की कोई रिपोर्ट आई है तो हम इस पर काम करेंगे।
 

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सिकल सेल रोग के बारे में प्रमुख बातें

कहां पाया जाता हैः
मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों में सिकल सेल रोग के मामले ज्यादा पाए जा रहे हैं। मुख्य रूप से, बालाघाट, अलीराजपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, और डिंडोरी जिलों में सिकल सेल के मरीज अधिक हैं। इन जिलों में, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों जैसे गोंड, बैगा, भारिया, पनिका और प्रधान में यह रोग अधिक पाया जाता है।

क्या है बीमारीः सिकल सेल रोग, एक आनुवंशिक रक्त विकार है जो हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है और लाल रक्त कोशिकाओं को सिकल (हंसिया) के आकार का बना देता है। यह रोग आमतौर पर जन्म के समय नवजात शिशुओं में रक्त परीक्षण के दौरान पता चलता है।

एमपी में क्या है सुविधाः प्रदेश सरकार ने सिकल सेल रोग की रोकथाम और उपचार के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि 20 आदिवासी जिलों में गर्भावस्था देखभाल में सिकल सेल रोग की जांच को अनिवार्य करना। इसके अतिरिक्त, सिकल सेल रोग से प्रभावित लोगों के लिए विशेष केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, जैसे कि भोपाल और इंदौर में, और तीसरा केंद्र रीवा में स्थापित किया जा रहा है।
 
 
 
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