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MP News: ओबीसी आरक्षण पर सरकार का सुप्रीम कोर्ट में जवाब: ट्रांसफर याचिकाओं के निपटारे तक 27% आरक्षण नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sun, 06 Jul 2025 11:22 AM IST
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सार

मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने संबंधी कानून को लेकर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि जब तक ट्रांसफर की गई याचिकाओं पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा। जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून पर कोई रोक नहीं है, फिर भी सरकार इसे लागू नहीं कर रही हैं। 

MP News: Government's reply to Supreme Court on OBC reservation: No 27% reservation until transfer petitions a
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार
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मध्य प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि जब तक ओबीसी आरक्षण से जुड़ी ट्रांसफर याचिकाओं पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा। शासन की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को जानकारी दी कि भले ही इस कानून पर रोक नहीं है, लेकिन संबंधित याचिकाओं पर फैसला लंबित होने के कारण सरकार फिलहाल इसे लागू नहीं कर सकती। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए इसे छत्तीसगढ़ के समान मामले के साथ जोड़कर सुनवाई की व्यवस्था की है।
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क्या है याचिकाकर्ताओं की मांग?
यह याचिका जबलपुर निवासी कीर्ति चौकसे, बालाघाट के निश्चय सोन वर्षे सहित अन्य ने दायर की है। उन्होंने बताया कि वे ओबीसी वर्ग से हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित होने के बावजूद आरक्षण का लाभ न मिलने के कारण नियुक्ति से वंचित हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने तर्क रखा कि सरकार ने 8 मार्च 2019 को अध्यादेश लाकर ओबीसी को 27% आरक्षण देने का फैसला लिया था और 14 अगस्त 2019 को इसे कानून का रूप दे दिया गया। इस कानून पर किसी भी न्यायालय ने रोक नहीं लगाई है, बावजूद इसके सरकार इसे लागू नहीं कर रही है।
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छत्तीसगढ़ का उदाहरण भी दिया
याचिका में यह भी कहा गया कि छत्तीसगढ़ में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत 50% से अधिक आरक्षण को लागू करने की अनुमति दी है। समानता के आधार पर मध्य प्रदेश में भी 27% आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। सरकार ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि मध्य प्रदेश के मामले पहले से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, अतः फिलहाल ऐसा नहीं किया जा सकता। वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि 2019 का कानून पूरी तरह प्रभावी है और इस पर किसी भी कोर्ट ने स्टे नहीं दिया है। यदि सरकार चाहे, तो इसे आज भी लागू कर सकती है, लेकिन उसने निर्णय से बचते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर दिया है। वास्तविक समाधान तभी आएगा जब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी संविधान पीठ अंतिम निर्णय देगी। 

अब तक कब क्या हुआ
- 8 मार्च 2019: कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश लाकर 27% आरक्षण की घोषणा की।
- 14 अगस्त 2019: विधानसभा ने कानून पारित किया, अध्यादेश की जगह एक्ट ने ले ली।
कानून के समर्थन में 35 और विरोध में 63 याचिकाएं दाखिल हुईं।
- अक्टूबर 2019: कमलनाथ सरकार ने कोर्ट में पक्ष रखा, जिसे भाजपा सरकार ने भी जारी रखा।
- 18 दिसंबर 2024: हाईकोर्ट में पहली सुनवाई हुई, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो गया।

 
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