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Chhindwara News: छिंदवाड़ा की राजनीति गर्माई, कमलनाथ के ‘अभेद्य किले’ पर भाजपा का बड़ा संगठनात्मक वार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा Published by: छिंदवाड़ा ब्यूरो Updated Sat, 15 Nov 2025 11:33 PM IST
सार

बिहार चुनाव की सफलता के बाद प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने संगठन को नए ढांचे में ढालते हुए तीन नए संभागों का गठन किया और 13 संभागीय प्रभारियों की नियुक्ति कर दी। सबसे बड़ा बदलाव—छिंदवाड़ा को जबलपुर से अलग कर एक स्वतंत्र संभाग का दर्जा दिया गया। इसका मतलब साफ है, बीजेपी अब कमलनाथ के गढ़ को अलग फोकस ज़ोन बनाकर काम करेगी। इसकी बागडोर राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी को सौंपी गई है।

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Chhindwara politics heated up: BJP's biggest organisational attack on Kamal Nath's 'impermissible fort'
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विस्तार
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मध्य प्रदेश की राजनीति में छिंदवाड़ा हमेशा से चर्चा का केंद्र रहा है। कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ का परंपरागत गढ़… लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार इस किले की दीवारों में दरार डाल दी। अब पार्टी इस जीत को स्थायी बढ़त में बदलने के लिए मैदान में बड़े बदलाव कर चुकी है।

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बिहार चुनाव की सफलता के बाद प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने संगठन को नए ढांचे में ढालते हुए तीन नए संभागों का गठन किया और 13 संभागीय प्रभारियों की नियुक्ति कर दी। सबसे बड़ा बदलाव—छिंदवाड़ा को जबलपुर से अलग कर एक स्वतंत्र संभाग का दर्जा दिया गया। इसका मतलब साफ है, बीजेपी अब कमलनाथ के गढ़ को अलग फोकस ज़ोन बनाकर काम करेगी। इसकी बागडोर राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी को सौंपी गई है।
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पार्टी इसे नियमित संगठनात्मक पुनर्गठन बता रही है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर हलचल तेज है। जानकारों का कहना है कि छिंदवाड़ा को अलग संभाग बनाने का फैसला चुनावी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि यहां कांग्रेस को मात देना बीजेपी की सबसे बड़ी प्राथमिकता बन चुका है।

इसी कड़ी में उज्जैन से मंदसौर और इंदौर से निमाड़ को अलग करते हुए दो और नए संभाग बनाए गए हैं। इनमें नए चेहरों को अहम जिम्मेदारियां मिली हैं—

नई जिम्मेदारियां

  • भोपाल संभाग: डॉ. तेज बहादुर सिंह
  • इंदौर संभाग: रणवीर सिंह रावत
  • जबलपुर संभाग: राहुल कोठारी
  • उज्जैन संभाग: लता वानखेड़े
  • सागर संभाग: गौरव रणदिवे
  • ग्वालियर: निशांत खरे
  • चंबल: अभय यादव
  • नर्मदापुरम: कांत देव सिंह
  • निमाड़: सुरेंद्र शर्मा
  • रीवा: विजय दुबे
  • शहडोल: गौरव सिरोठिया
  • मंदसौर: सुरेश आर्य


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फेरबदल संगठनात्मक मजबूती से ज्यादा भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर किया गया है। खासतौर पर छिंदवाड़ा में, जहां पिछले कुछ समय में कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई है और भाजपा अपनी जड़ें तेज़ी से विस्तार दे रही है। साफ संकेत है—छिंदवाड़ा अब सिर्फ एक जिला नहीं, बल्कि बीजेपी का नया चुनावी प्रयोगशाल बन चुका है। आने वाले महीनों में यहां बड़ी राजनीतिक चहल-पहल देखने को मिलेगी।

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