Damoh: मतदाता पुनरीक्षण के दौरान दो बीएलओ की मौत, प्रशासन ने दबाव के आरोपों से किया इनकार
दमोह जिले में मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) सर्वे के दौरान दो बीएलओ की मौत के मामलों पर उठे दबाव के आरोपों को प्रशासन ने खारिज कर दिया है। पहला मामला सड़क दुर्घटना का बताया गया है, जबकि दूसरे बीएलओ की मौत मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण हुई।
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दमोह जिले में चल रहे मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) सर्वे के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) पर बढ़ते दबाव को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में दो अलग-अलग बीएलओ की मौत के मामलों ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। परिजनों ने अधिकारियों पर दबाव बनाने के आरोप लगाए थे, जिसके बाद प्रशासन ने इन घटनाओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, श्याम सुंदर शर्मा स्कूल शिक्षा विभाग में उच्च माध्यमिक शिक्षक थे और विधानसभा क्षेत्र 56 जबेरा के मतदान केंद्र क्रमांक 193 बैरागढ़ में बीएलओ के रूप में पदस्थ थे। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि 4 नवंबर को विशेष गहन पुनरीक्षण संबंधी प्रशिक्षण के बाद वे अपने निजी वाहन से लौट रहे थे, तभी अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। सिर पर गंभीर चोट आने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई थाना तेजगढ़ की शव परीक्षण रिपोर्ट में मृत्यु का कारण सिर पर लगी गंभीर चोट और कठोर एवं कुंद वस्तु के प्रहार को बताया गया है। प्रशासन का कहना है कि यह पूरी तरह सड़क दुर्घटना का मामला है और ड्यूटी के दबाव से इसका कोई संबंध नहीं है।
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दूसरा मामला विधानसभा क्षेत्र 55 दमोह के मतदान केंद्र क्रमांक 220 रंजरा का है, जहां बीएलओ सीताराम गौड़ की तबीयत 21 नवंबर को अचानक बिगड़ गई। प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज जबलपुर रेफर किया गया, जहां उसी रात इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उनके किडनी और लीवर फंक्शन में गंभीर खराबी पाई गई, साथ ही मल्टी ऑर्गन फेल्योर और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण भी मिले। कलेक्टर कोचर ने स्पष्ट किया कि मेडिकल जांच के आधार पर इसे ड्यूटी के अत्याधिक दबाव से नहीं जोड़ा जा सकता। प्रशासन ने दोनों मामलों पर कहा कि मौतों का कारण चिकित्सा और दुर्घटना संबंधी है और बीएलओ पर किसी भी तरह के प्रशासनिक दबाव का आरोप तथ्यहीन है।
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