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दुर्गावती टाइगर रिजर्व: पर्यटकों को देखने को मिलेगी काले हिरन की रफ्तार, नौरादेही रेंज में छोड़े गए 53 हिरन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Mon, 10 Nov 2025 10:08 AM IST
सार

टाइगर रिजर्व में पहले से बाघ, तेंदुआ और चीतल मौजूद हैं, लेकिन काले हिरण पहली बार यहां बसेरा बना रहे हैं। रिजर्व में घास के मैदान तेजी से विकसित किए जा रहे हैं, जो इन शाकाहारी वन्यजीवों के लिए उपयुक्त आवास प्रदान कर रहे हैं।

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Damoh News: 53 blackbucks released in Nauradehi range of Rani Durgavati Tiger Reserve
जंगल में घूमते काले हिरण। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दमोह जिले के रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में काले हिरणों की दूसरी खेप भी पहुंच चुकी है। बाघों की बढ़ती संख्या और चीता प्रोजेक्ट की तैयारी के बीच काले हिरन की इस टाइगर रिजर्व में एंट्री होनी शुरू हो गई है। अब यहां सैलानियों को काले हिरण की रफ्तार और ऊंची छलांग देखने को मिलेगी। शाजापुर जिले से दक्षिण अफ्रीका की टीम द्वारा काले हिरण रेस्क्यू किए जा रहे हैं, जिन्हें दुर्गावती टाइगर रिजर्व में छोड़ा जा रहा है। इससे पहले वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में पहली खेप में 153 काले हिरन टाइगर रिजर्व की नौरादेही रेंज में छोड़े गये थे। अब दूसरी खेप में यह काले हिरन डोंगरगांव रेंज के अधीन छोड़े गए हैं, जिससे चारों ओर काले हिरण उछल कूद करते दिखाई दे रहे हैं।
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बता दें वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व दमोह, सागर और नरसिंहपुर जिले की सीमा में फैला है। तेंदूखेड़ा ब्लाक टाइगर रिजर्व के चारों और से घिरा हुआ है। इसके एक ओर सागर जिला दूसरे और महाराजपुर ओर तीसरी और से सिंगौरगढ़ संरक्षित क्षेत्र लगा हुआ है। सागर मार्ग और देवरी मार्ग पर बाघों का बसेरा है, जबकि सैलवाडा और सिग्रामपुर क्षेत्र में तेंदुआ का बसेरा है। टाइगर रिजर्व में चीतल पूर्व से अपना बसेरा बनाये हैं। कभी पन्ना तो कभी बांधवगढ़ से यह आते हैं, लेकिन काले हिरन पहली बार पहुंचे हैं। पूर्व में इसको सागर मार्ग पर बसी रेंजों में छोड़ा गया था। अब दूसरी खेप में 53 काले हिरन महाराजपुर मार्ग पर तीन दिन पूर्व छोड़े गये हैं। इसकी ऊंची छलांग और तेज रफ्तार सैलानियों को आसानी से देखने मिल सकती है। अभी तक जो भी पर्यटक टाइगर रिजर्व में आते हैं वह मोहली, नौरादेही, सिंगपुर के जंगलों का भ्रमण करते हैं, क्योंकि बाघ इसी मार्ग और इन्हीं रेंजों के अधीन अपना बसेरा बनाये हैं, जबकि महाराजपुर मार्ग पर सर्रा और डोंगरगांव रेंज है। इस मार्ग पर बाघ, बाघिन और शावकों का बसेरा तो बन गया है, लेकिन इस जंगल में अभी सफारी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है।
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किसी भी जंगल या संरक्षित वन के लिए घास के मैदान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये मिट्टी और जंगल के जल स्त्रोतों के संरक्षण के साथ जीव-जंतुओं के लिए आवास प्रदान करते हैं। इसके साथ ही जंगल में रह रहे शाकाहारी जानवरों का भोजन होते हैं। इसके अलावा इनके आवास, प्रजनन और आराम के लिए भी जरूरी होते हैं। इसी को ध्यान में रखकर टाइगर रिजर्व में तेजी से घास के मैदान विकसित किए जा रहे हैं। पिछले दिनों भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने यहां चीता बसाने के लिए सर्वे किया था और उन्होंने भी प्रबंधन को घास के मैदान बढ़ाने के निर्देश दिए थे। कई जगह अब अच्छे घांस के मैदान बन गये हैं, जो काले हिरन के रहवास के लिए काफी उचित माने जा रहे हैं।

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ऐसे करते हैं निगरानी
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा में वन अमला लगा हुआ है। वनकर्मी जंगल के बीचों बीच बने टावरों पर खड़े होकर जंगल की निगरानी करते हैं। ये टावर काफी ऊंचे होते हैं। इन पर वनकर्मी चढ़कर आसानी से आसपास के साथ दूर दराज के जंगलों पर नजर बनाये रखते हैं। भ्रमण करने वाले जंगली जानवरों की देखरेख इन्हीं टावरों से रहती है। वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के उपवनमण्डल अधिकारी बीपी तिवारी ने बताया टाइगर रिजर्व में अभी तक शाजापुर जिले से 206 काले हिरन आये है। पहली खेप में 153 काले हिरन आये थे, जिनको नौरादेही के जंगली एरिया में छोड़ा गया था। दूसरी खेप में 53 काले हिरन आये हैं इनको तीन दिन पहले डोगरगांव रेंज के अधीन छोड़ा गया है।
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