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Harda News: पढ़ाई के लिए जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं मासूम बच्चे, माचक नदी पर पुल का 27 साल से इंतजार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा Published by: हरदा ब्यूरो Updated Tue, 12 Aug 2025 05:14 PM IST
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सार

Harda News: ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दौरान बच्चों का स्कूल जाना, महिलाओं का रोजमर्रा का सामान लाना या बीमार मरीजों को अस्पताल पहुंचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्र रतनपुर और आसपास के गांव इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

Harda News: children go to school risking their lives for studies, bridge on Machak river awaited for 27 years
जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाते बच्चे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्यप्रदेश के हरदा जिले से एक हैरान करने वाला और चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां स्कूली बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए रोजाना जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार करनी पड़ रही है। मामला हरदा मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम मगरधा का है। जहां से बच्चे शासकीय स्कूल पहुंचने के लिए माचक नदी के बहते पानी को पार करते हैं। यह नदी हरदा और टिमरनी विधानसभा क्षेत्र को जोड़ने वाले ग्राम मगरधा और रतनपुर के बीच बहती है, लेकिन अब तक यहां पुल का निर्माण नहीं हुआ है।

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पुल के बिना 27 साल का सफर, लेकिन समस्या जस की तस
हरदा जिला बनने के बाद से अब तक करीब 27 साल बीत चुके हैं, लेकिन माचक नदी पर पुल का निर्माण अभी भी अधूरा सपना है। पुल न होने के कारण केवल बच्चों ही नहीं, बल्कि ग्रामीणों को भी बारिश के दिनों में जान हथेली पर रखकर नदी पार करनी पड़ती है। इस समस्या से मगरधा और रतनपुर के अलावा दर्जनों गांव प्रभावित हैं। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की, लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला।
 
बारिश में और भी बढ़ जाती है मुश्किल
बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बहते पानी में फिसलने या बह जाने का डर हमेशा बना रहता है। ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के दौरान बच्चों का स्कूल जाना, महिलाओं का रोजमर्रा का सामान लाना या बीमार मरीजों को अस्पताल पहुंचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्र रतनपुर और आसपास के गांव इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
 
बीमारी की स्थिति में भी बड़ी परेशानी
ग्रामीणों के अनुसार, अगर किसी की तबीयत अचानक खराब हो जाए तो मरीज को जिला अस्पताल पहुंचाना चुनौती बन जाता है। पुल न होने से मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल पाता, जिससे हालात गंभीर हो सकते हैं।

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इस मामले में हरदा जिला कलेक्टर सिद्धार्थ जैन का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल योजना है कि नदी के उसी तरफ कोई खाली कमरा ढूंढकर वहां बच्चों की क्लास लगाई जाए, ताकि उन्हें खतरनाक तरीके से नदी पार न करनी पड़े।
 

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