Indore: स्वच्छता में नंबर वन इंदौर तरस रहा पानी को, 25 प्रतिशत इलाके में नहीं पहुंची नर्मदा
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विस्तार
इंदौर में जलसकंट धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। गली में टैंकर पहुंचते ही लोगों की भीड़ पानी भरने के लिए लग जाती है। इंदौर नगर निगम का सबसे ज्यादा बजट पानी का है। 70 किलोमीटर दूर नर्मदा के तटबंधों से पहाड़ों की ऊंचाई चढ़कर नर्मदा का पानी इंदौर आता है।
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इसमें हर साल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा बिजली का खर्च हो जाता है। यह देश की महंगी परियोजना में से एक है। इंदौर के लोगों को प्रदेश के दूसरे शहरों की तुलना में जलकर भी ज्यादा देना पड़ रहा है, लेकिन उसके बावजूद प्यास नहीं बुझ पा रही है। स्वच्छता में नंबर वन इंदौर के कई इलाके पानी के लिए तरस रहे है।
25 प्रतिशत क्षेत्र में नर्मदा लाइन नहीं
इंदौर में नर्मदा का तीसरा चरण वर्ष 2030 के हिसाब से डिजाइन किया गया था, लेकिन अभी से पानी की मांग बढ़ गई है। प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह यह है कि नगर निगम में 29 गांव बढ़ गए। अब उन गांवों में भी नर्मदा पेयजल की डिमांड आ रही है।
नई बसाहट में ज्यादा जलसंकट
बाइपास की ज्यादातर टाउनशिपों में नर्मदा लाइन नहीं पहुंच पाई है। शहर के सुपर काॅरिडोर में अभी सिर्फ टीसीएस और इंफोसिस जैसी कंपनियों को यशवंत सागर से सप्लाई हो रही है। कई काॅलोनियां बोरिंगों पर निर्भर है। एरोड्रम, भानगढ़, निरंजनपुर, लसुडि़या जैसे कई क्षेत्र नर्मदा लाइन से अधूते है। इन इलाकों में ही सबसे ज्यादा जलसंकट है,क्योकि बोरिंगों के अधिक उपयोग के कारण वहां का भूजल स्तर भी प्रभावित हो रहा है।
नलों में गंदा पानी, कांग्रेस ने खाली मटके फोड़े
शहर के पुराने इलाके में भी जलसंकट छाया हुआ है। लाइने वर्षों पुरानी है और नलों में गंदा पानी आता है। कांग्रेस नेता देवेंद्र सिंह यादव के नेतृत्व में छत्रीपुरा क्षेत्र में रहवासियों के साथ प्रदर्शन किया। लोगों ने खाली मटके फोड़कर विरोध दर्ज कराया। उनका कहना था कि नलों में गंदा पानी आ रहा है और मोहल्ले में टैंकरों से भी जल वितरण नहीं हो रहा है।
