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Jabalpur News: 38 वर्ष पुरानी नियुक्ति को अवैध बताने पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव से कार्रवाई का ब्योरा तलब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Fri, 14 Nov 2025 04:12 PM IST
सार
याचिकाकर्ता ने कहा कि 38 साल सेवा लेने के बाद उसकी नियुक्ति को अवैध बताना अनुचित है, जबकि हाईकोर्ट पहले ही ऐसे मामलों में 10 वर्ष से अधिक सेवा वाले कर्मचारियों के नियमितीकरण हेतु स्थायी समिति बनाने के निर्देश दे चुका है। अदालत ने राज्य सरकार से पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
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जबलपुर हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
चार दशक तक सेवा लेने के बावजूद भी पूर्व में पारित आदेश का पालन करते हुए नियमितीकरण किये जाने की बजाय, नियुक्ति को अवैध ठहराया जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पूर्व में दिये गये आदेश पर मुख्य सचिव के द्वारा की कार्रवाई का ब्यौरा पेश किया जाये।
उप संचालक कार्यालय उद्यान जिला जबलपुर में कार्यरत राकेश कुमार चौरसिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पूर्व में उनकी तरफ से दायर की सुनवाई करते हुए राज्य शासन को नियमितीकरण हेतु आवश्यक कार्रवाई करने हेतु आदेश जारी किये थे। आदेश के कथित परिपालन में राज्य शासन के द्वारा निर्णय में कहा गया है कि 38 वर्ष पूर्व जो नियुक्ति की गई थी वह अवैध है, क्योंकि तत्समय में स्वीकृत पद नहीं थे।
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याचिकाकर्ता की तरफ तर्क दिया गया कि चार दशक तक सेवा लेने के दौरान उसकी नियुक्ति को अवैध नहीं ठहराया गया था। हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश है कि ऐसे कर्मचारी जो कि 10 वर्ष से अधिक सेवारत है और उनकी नियुक्ति अवैध या अनियमित हो से ऐसे प्रकरणों में नियुक्तिकरण हेतु स्थाई समिति गठित की जानी चाहिये। हाईकोर्ट के द्वारा उक्त आदेश मुख्य सचिव दिये थे। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अधिवक्ता पंकज दुबे एवं अक्षय खंडेलवाल पैरवी की।
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उप संचालक कार्यालय उद्यान जिला जबलपुर में कार्यरत राकेश कुमार चौरसिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पूर्व में उनकी तरफ से दायर की सुनवाई करते हुए राज्य शासन को नियमितीकरण हेतु आवश्यक कार्रवाई करने हेतु आदेश जारी किये थे। आदेश के कथित परिपालन में राज्य शासन के द्वारा निर्णय में कहा गया है कि 38 वर्ष पूर्व जो नियुक्ति की गई थी वह अवैध है, क्योंकि तत्समय में स्वीकृत पद नहीं थे।
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याचिकाकर्ता की तरफ तर्क दिया गया कि चार दशक तक सेवा लेने के दौरान उसकी नियुक्ति को अवैध नहीं ठहराया गया था। हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश है कि ऐसे कर्मचारी जो कि 10 वर्ष से अधिक सेवारत है और उनकी नियुक्ति अवैध या अनियमित हो से ऐसे प्रकरणों में नियुक्तिकरण हेतु स्थाई समिति गठित की जानी चाहिये। हाईकोर्ट के द्वारा उक्त आदेश मुख्य सचिव दिये थे। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अधिवक्ता पंकज दुबे एवं अक्षय खंडेलवाल पैरवी की।