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MP News: प्रशासन मेहरबान तो ठेकेदार पहलवान, 300 रुपये की सालाना लीज पर दी तीन गांवों को जोड़ने वाली सड़क

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कटनी Published by: प्रिया वर्मा Updated Mon, 10 Nov 2025 04:46 PM IST
सार

तीन गांवों को जोड़ने वाली सड़क को मात्र 300 रुपये सालाना की लीज पर क्रेशर ठेकेदार को सौंपे जाने के बाद इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई 10 नवंबर को होनी है।

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MP News: Road Connecting 3 Villages Leased for ₹300 a Year; High Court Takes Strict Note, Hearing on Nov 10
मप्र हाईकोर्ट - फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
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कटनी जिले से प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां तीन गांवों को जोड़ने वाली शासकीय सड़क को महज 300 रुपये सालाना लीज पर एक ठेकेदार को सौंप दिया गया। इतना ही नहीं ठेकेदार ने इस सड़क पर अवैध रूप से क्रेशर प्लांट स्थापित कर दिया। जब अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की तो एक स्थानीय निवासी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जिस पर अदालत ने कटनी कलेक्टर, ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। 

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यह मामला ग्राम पंचायत कनौर का है, जहां खसरा नंबर 861, रकबा 0.65 हैक्टेयर भूमि राजस्व रिकॉर्ड में सड़क मद के रूप में दर्ज है। नियमों के अनुसार इस प्रकार की भूमि का उपयोग केवल सार्वजनिक हित के लिए किया जा सकता है लेकिन खनिज विभाग की मिलीभगत से इसे ठेकेदार को लीज पर दे दिया गया।
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ग्रामीण भैयालाल कोल और अशोक कोल का आरोप है कि यह लीज न केवल अवैध है बल्कि इसकी अवधि समाप्त होने के बाद भी ठेकेदार इस पर कब्जा बनाए हुए है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार तक शिकायतें पहुंचने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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इसके बाद स्थानीय निवासी संदीप जायसवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अर्पण पवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए 10 नवंबर को सुनवाई तय की है और सभी संबंधित पक्षों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि सड़क मद की भूमि पर निजी या औद्योगिक कब्जा कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।

ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क तीन गांवों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है, जिस पर कब्जा होने से लोगों का आवागमन बाधित है। वहीं पंचायत पर भी फर्जी एनओसी जारी करने का आरोप है, जिसमें दिखाया गया है कि उद्योग से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा लेकिन न रोजगार मिला, ना ही कोई विकास हुआ बल्कि क्रेशर की धूल और प्रदूषण से ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं।



बरही तहसीलदार आदित्य द्विवेदी ने बताया कि सड़क मद भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत की जांच की गई है और रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई है। अब सबकी नजरें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर हैं, जहां यह तय होगा कि शासकीय भूमि से कब्जा हटेगा या फिर जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरेगी।

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