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Omkareshwar: तीर्थनगरी में नर्मदा के किनारे बने कच्ची शराब के गढ़, आबकारी विभाग की कार्रवाई पर उठे सवाल
हरीश शर्मा, ओंकारेश्वर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Sat, 05 Oct 2024 06:38 PM IST
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सार
निमाड़ एरिया धीरे-धीरे अवैध शराब का गढ़ बनता जा रहा है। सीएम मोहन यादव के निर्देश के बावजूद भी आबकारी विभाग कुंभकरणीय नींद सो रहा है। देशी-विदेशी शराब का बड़े पैमाने पर कारोबार कर माफिया करोड़ों कमा रहे हैं, इससे सरकार को काफी नुकसान हो रहा है।
कच्ची शराब का गढ़
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नर्मदा किनारे क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार खूब फल फूल रहा है। उसके बाद भी कई स्थानों पर कच्ची शराब माफिया एवं जिन लोगों के पास लाइसेंस है, वह सीमा क्षेत्र से बाहर जाकर भी देशी-विदेशी शराब का बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार कर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं, जिससे सरकार का करोड़ों का नुकसान हो रहा है। कई बार अवैध शराब जहरीली होने के कारण लोगों की मौत भी हो चुकी है। इतना बड़ा करोबार होता रहे और उसकी जानकारी खंडवा और खरगोन जिले की आबकारी विभाग के अधिकारियों को न हो, यह संभव नहीं?
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मध्यप्रदेश के मुखिया मोहन यादव के अवैध शराब को बंद करने को लेकर दिखाए गए सख्त तेवर के बाद पूर्व एवं पश्चिम निवाड़ के खंडवा, खरगोन, बड़वानी, सेंधवा, धार और धमनोद जिला आबकारी विभाग के द्वारा की गई कार्रवाई मात्र औपचारिकता बनकर रह गई है। समाजसेवी पूर्व फौजी प्रदीप ठाकुर ने कहा कि खंडवा से पूरा आबकारी विभाग का अमला ओंकारेश्वर क्षेत्र से लगे कई गांवों में अवैध शराब कारोबार करने वाले लोगों पर कार्रवाई करे। यह जानकारी दे कि विभाग ने 20 हजार की अवैध शराब पकड़ी है। यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है कि कई गांवों में अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाकर सिर्फ शासन-प्रशासन को दिखाने के लिए आबकारी विभाग ने कार्रवाई की है।
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क्या कहते हैं आबकारी विभाग (खंडवा) के अधिकारी
खंडवा आबकारी विभाग के उप निरीक्षक विकास दत्त शर्मा ने कहा, आबकारी विभाग ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में ओंकारेश्वर थाने के मोरटक्का चौकी क्षेत्र के अंतर्गत मोरटक्का-मोरगड़ी-थापना गांव ओंकारेश्वर क्षेत्र के अंतर्गत गुंजारी, जिल्हार, डुकिया, पंथिया और ओंकारेश्वर नगर आसपास के गांव में आबकारी विभाग ने 20 हजार की अवैध कच्ची शराब पकड़ी है। जितनी राशि की कच्ची शराब पकड़ी है। उसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आबकारी विभाग की कार्रवाई कागजों पर दिखाने के लिए सिर्फ खानापूर्ति है।
मध्यप्रदेश सरकार ने आबकारी विभाग को इसीलिए बना रखा है कि वह समय-समय अवैध शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई करे। मुख्यमंत्री मोहन यादव के सख्त निर्देश के बाद भी अगर इस प्रकार की छोटे-मोटे अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर बड़े-बड़े मगरमच्छ माफिया को छोड़ दें तो कहीं न कहीं आबकारी विभाग भी शंका के दायरे में आता है। आबकारी विभाग ने ओंकारेश्वर क्षेत्र के कई गांवों में शराब बेचने वाले नौ लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर बीस हजार रुपये की अवैध शराब जब्त कर औपचारिकता निभाकर शासन-प्रशासन को दिखाने के लिए कार्रवाई कर इतिश्री कर ली है। जबकि जितनी शराब पकड़ी है, उतनी तो एक मोहल्ले में बिकती है।
शराब बनाने के लिए सागौन की अंधाधुंध कटाई
मध्यप्रदेश के पूर्व-पश्चिम निमाड़ के दो जिले विशेष रूप से खंडवा एवं खरगोन में नर्मदा किनारे करोड़ों रुपये की अवैध शराब का व्यापार फल फूल रहा है। कुछ दिन पहले ही ओंकारेश्वर पुलिस ने ओंकारेश्वर वन विभाग के अंतर्गत ग्राम गुंजारी के जंगलों में 20 लाख रुपये की अवैध शराब बनाने की भट्ठियों कच्ची शराब को नष्ट किया। आबकारी विभाग कई ग्रामों में कार्रवाई की, जिसमें मात्र बीस हजार की अवैध शराब पकड़ना आबकारी विभाग के अधिकारियों के द्वारा बताया जा रहा है। यह कार्रवाई सिर्फ मात्र दिखावा एवं औपचारिकता है।
आबकारी विभाग देशी और विदेशी मदिरा की शराब विक्रय करने की अनुमति देता है। अगर वहां से अन्य जगह आबकारी विभाग द्वारा उपलब्ध की गई शराब बेची जाती है और पकड़ी जाती है तो वह भी अवैध शराब बेचने के दायरे में आता है, जो दायरे में कच्ची अवैध शराब बेचने वाले आते हैं। आबकारी विभाग शराब बेचने के ठेके देता है एवं दायरा भी निश्चित किया जाता है कि किस शहर और गांव में कहां पर कौन सी दुकान पर सरकार की ओर से बनी फैक्ट्री की देशी एवं विदेशी शराब को बेचना है, जिन इलाकों में जहां पर शराब प्रतिबंध है। वहां पर शराब बेचना अवैध शराब के दायरे में आता है तो ठेकेदारों पर अवैध शराब बेचने की कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है?
पूर्व सीएम ने बंद करवाई थी अवैध शराब की दुकान
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी के पांच किलोमीटर के दायरे मध्यप्रदेश सरकार अंतर्गत आबकारी विभाग के द्वारा आवंटित वैधानिक रूप से खुली हुई शराब दुकानों को हमेशा के लिए बंद करवा दिया था। पवित्र नगरियों में शराब बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद उन नगरियों में आबकारी विभाग की शराब जो ठेकेदारों को दी जाती है, वह कैसे बेची जा रही है। यह भी एक बहुत बड़ा मामला निकलकर सामने आया है। सवाल तो यह उठता है कि मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा अधिकृत फैक्ट्रियों में देशी-विदेशी शराब आबकारी विभाग ठेकेदारों को उपलब्ध करवाता है। सील बंद बोतलों में नंबरिंग होती है। कौन सी फैक्ट्री में बनी है, कौन से ठेकेदार को आवंटित की गई है। अगर वह पकड़ी जाती है तो उसे ठेकेदार पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
सीएम को भी मिल रही शिकायत
एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आबकारी विभाग शासन-प्रशासन पुलिस विभाग और विशेष कर आबकारी विभाग को सख्त निर्देश दिए थे कि पवित्र तीर्थ नगरियों में नर्मदा किनारे में कहीं भी अवैध शराब नहीं बेची नहीं जानी चाहिए। नहीं तो मैं अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करूंगा। ओंकारेश्वर पवित्र नगरी होने के कारण पूर्ण रूप से किसी भी प्रकार की शराब प्रतिबंधित है, उसके बावजूद भी आसपास के शराब ठेकेदारों के द्वारा छोटे-छोटे गांव कस्बे शहरों में गली-गली मोहल्ले मोहल्ले शराब के क्वॉर्टर इंग्लिश देशी पहुंचाई जाती है। अपने एजेंट के माध्यम से उन्हें बेचा जाता है, वह शराब भी अवैध शराब के दायरे में आती है। उन ठेकेदारों के खिलाफ आबकारी विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता। जबकि आबकारी विभाग अधिनियम के अनुसार, जो लाइसेंस दिया जाता है, वह सिर्फ दुकान से देशी-विदेशी शराब की बिक्री की जा सकती है।
बड़वाह वन परिक्षेत्र के अंतर्गत जंगलों में कच्ची शराब बनाने वाले माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अधिकारियों को भी नहीं छोड़ते। खरगोन के बड़वाह चोरल नदी के किनारे पर जंगलों की अवैध कटाई कर शराब बनाई जाती है। डिप्टी रेंजर अरविंद सेंगर अपने वनपाल के साथ जंगल अवैधानिक रूप से कटाई करने वालों को पकड़ने गए थे। कुछ लोग मोटर साइकिल पर शराब लेकर जा रहे थे। जब उन्होंने उनको रोकने की कोशिश की तो अवैध शराब माफिया ने उनके ऊपर मोटर साइकिल चढ़ाकर घायल कर भाग गए। दूसरे दिन वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जंगल में अवैधानिक रूप से शराब की भट्ठियों को नष्ट किया एवं कई लोगों को जेल की हवा खिलाई। यह कार्रवाई आबकारी विभाग को करना चाहिए, लेकिन इसे भी वन विभाग कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि खंडवा के ओंकारेश्वर और खरगोन जिले की बड़वाह क्षेत्र में घना जंगल है। ओंकारेश्वर बांध का जलभराव है। इसी का फायदा उठाकर अवैध शराब बनाने वाले जंगलों की भी अवैध कटाई कर कीमती सागौन की लकड़ी काटकर शराब बनाते हैं। इसमें कई प्रकार के नशीले पदार्थ धतूरा, बेशर्म और यूरिया खाद नौसगर मिलाकर शराब बनाकर बेचते हैं। इससे कई परिवार बर्बाद हो गए हैं। कई जवान युवाओं की मौत हो चुकी है। जब शासन का सख्त रूप होता है तो मात्र दिखावे की कार्रवाई करता है, जैसे खंडवा आबकारी विभाग के द्वारा की गई है। मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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