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Rajgarh News: नियम विरुद्ध भर्ती 114 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को दिखाया बाहर का रास्ता, विरोध भड़का
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़
Published by: राजगढ़ ब्यूरो
Updated Wed, 12 Nov 2025 08:23 PM IST
सार
सरकारी आदेश के 114 दैनिक वेतनभोगियों की सेवा समाप्त किए जाने के बाद विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। इसी के चलते हटाए गए कर्मचारियों ने आज सवेरे निकाय के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
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हटाने का विरोध करते हुए कर्मचारी
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विस्तार
मध्यप्रदेश सरकार के आदेश के बाद अंततः राजगढ़ नगर पालिका ने लंबे इंतजार के बाद 114 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है। मंगलवार देर रात को उन्हें हटाने के आदेश जारी करने के साथ ही संबंधित कर्मचारियों के नाम नगर पालिका कार्यालय पर चस्पा कर दिए गए हैं।
बता दें कि अक्टूबर माह में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से रखे गए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को हटाने के निर्देश जारी किए गए थे। जिले के अधिकांश निकायों से कर्मचारियों को हटा दिया था लेकिन राजगढ़ में राजनीतिक रसूख के चलते कर्मचारियों को हटाया नहीं गया था। अब लंबी खींचतान के बाद मंगलवार को 114 कर्मचारियों को निकाय से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
जिन 114 कर्मचारियों को हटाया गया है उनमें 2016 से लेकर अभी तक जो भर्तियां की गई थीं, उन्हीं को हटाया गया है। इसमें सफाई कर्मचारी, वाटर बॉक्स कर्मचारी सहित अन्य सभी पदों पर कार्यरत कर्मचारी शामिल हैं। हटाए गए कर्मचारियों ने बुधवार सुबह निकाय के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदेश में वर्ष 2000 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी रखने पर प्रतिबंध लगाया गया था। यह व्यवस्था सभी विभागों के साथ-साथ निगम, मंडल, सार्वजनिक उपक्रम आदि में भी लागू की गई थी लेकिन नगरीय निकायों में नियुक्तियां होती रहीं। इसके बाद अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मंत्रालय में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने विभागीय समीक्षा की थी।
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इसमें निकायों की आर्थिक स्थिति पर चर्चा के दौरान कई जगहों पर दैनिक वेतनभोगियों का वेतन रुके होने की बात सामने आई। इसके बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए नगर निगम आयुक्तों और नगर पालिका व परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों से पूछा था कि नियुक्ति किस आधार पर की गई, वेतन कहां से दिया जा रहा है और इसके लिए शासन से अनुमति ली गई या नहीं।
इसके साथ ही 2016 के बाद जिन कर्मचारियों को रखा गया, उस समय कौन अधिकारी पदस्थ थे, इसकी रिपोर्ट भी 25 अक्टूबर तक मांगी गई थी, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि जिन 114 दैनिक वेतनभोगियों को हटाया गया है उनमें कई ऐसे लोग थे, जो कभी नौकरी नहीं करते थे।
सूची जारी होते ही शहर में चर्चा है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बंगले ओर निजी काम देखने वाले कर्मचारियों के नाम भी सूची से गायब हैं, ऐसे में हटाए गए कर्मचारियों की सूची पर पक्षपात के आरोप लगाए जा रहे हैं।
इधर राजगढ़ सीएमओ पवन अवस्थी का कहना है कि शासन के नियम के अनुसार यह कार्रवाई की गई है और इसमें किसी प्रकार की गलतियां नहीं हैं।
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बता दें कि अक्टूबर माह में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से रखे गए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को हटाने के निर्देश जारी किए गए थे। जिले के अधिकांश निकायों से कर्मचारियों को हटा दिया था लेकिन राजगढ़ में राजनीतिक रसूख के चलते कर्मचारियों को हटाया नहीं गया था। अब लंबी खींचतान के बाद मंगलवार को 114 कर्मचारियों को निकाय से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
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जिन 114 कर्मचारियों को हटाया गया है उनमें 2016 से लेकर अभी तक जो भर्तियां की गई थीं, उन्हीं को हटाया गया है। इसमें सफाई कर्मचारी, वाटर बॉक्स कर्मचारी सहित अन्य सभी पदों पर कार्यरत कर्मचारी शामिल हैं। हटाए गए कर्मचारियों ने बुधवार सुबह निकाय के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदेश में वर्ष 2000 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी रखने पर प्रतिबंध लगाया गया था। यह व्यवस्था सभी विभागों के साथ-साथ निगम, मंडल, सार्वजनिक उपक्रम आदि में भी लागू की गई थी लेकिन नगरीय निकायों में नियुक्तियां होती रहीं। इसके बाद अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मंत्रालय में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने विभागीय समीक्षा की थी।
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इसमें निकायों की आर्थिक स्थिति पर चर्चा के दौरान कई जगहों पर दैनिक वेतनभोगियों का वेतन रुके होने की बात सामने आई। इसके बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए नगर निगम आयुक्तों और नगर पालिका व परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों से पूछा था कि नियुक्ति किस आधार पर की गई, वेतन कहां से दिया जा रहा है और इसके लिए शासन से अनुमति ली गई या नहीं।
इसके साथ ही 2016 के बाद जिन कर्मचारियों को रखा गया, उस समय कौन अधिकारी पदस्थ थे, इसकी रिपोर्ट भी 25 अक्टूबर तक मांगी गई थी, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि जिन 114 दैनिक वेतनभोगियों को हटाया गया है उनमें कई ऐसे लोग थे, जो कभी नौकरी नहीं करते थे।
सूची जारी होते ही शहर में चर्चा है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बंगले ओर निजी काम देखने वाले कर्मचारियों के नाम भी सूची से गायब हैं, ऐसे में हटाए गए कर्मचारियों की सूची पर पक्षपात के आरोप लगाए जा रहे हैं।
इधर राजगढ़ सीएमओ पवन अवस्थी का कहना है कि शासन के नियम के अनुसार यह कार्रवाई की गई है और इसमें किसी प्रकार की गलतियां नहीं हैं।

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