अपर सत्र न्यायाधीश प्रवेंद्र कुमार सिंह की अदालत ने जेएमएफसी कोर्ट का वह आदेश निरस्त कर दिया है, जिसके जरिए जगदगुरु राघवाचार्य के विरुद्ध परिवाद पर क्षेत्राधिकार न होने के आधार पर सुनवाई से मना कर दिया गया था। प्रकरण तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य पर अनर्गल टिप्पणी से जुड़ा है। सत्र न्यायालय ने जेएमएफसी कोर्ट के पूर्व आदेश को अनुचित करार दिया है। इसके साथ ही परिवाद पर नये सिरे से सुनवाई के निर्देश जारी किये हैं।
परिवादी जबलपुर निवासी राम प्रकाश अवस्थी की ओर से यह मामला दायर किया गया है। उनकी ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि परिवादी तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य का दीक्षित शिष्य और बीएसएनएल में कार्यरत कर्मचारी नेता हैं। उसने जगदगुरु राघवाचार्य द्वारा रामभद्राचार्य के विरुद्ध इंटरनेट मीडिया पर जारी अपमानजनक बयान को गंभीरता से लेकर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने की मांग की थी। परिवादी ने जबलपुर में उक्त वायरल वीडियो सुना था, जिसके बाद कानूनी कार्रवाई का निर्णय लिया। आवेदक की ओर से कहा गया कि जेएमएफसी कोर्ट द्वारा उसके परिवाद को क्षेत्राधिकार के आधार पर निरस्त करना सर्वथा अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांतों की रोशनी में इस तरह के परिवाद को सुनने से मना नहीं किया जा सकता।
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दरअसल राघवाचार्य ने अपने बयान में कहा था कि रामभद्राचार्य द्वारा ब्रह्मसूत्र पर लिखा गया भाष्य कचरा है। एक अंधे व्यक्ति को आचार्य बनने का अधिकार नहीं है। रामभद्राचार्य स्वयंभू संत हैं। इस बयान का वायरल वीडियों सुनने के बाद परिवादी के जबलपुर निवासी रिश्तेदार व परिचित तंज कस रहे थे, जिससे उसे एहसास हुआ कि न केवल गुरु और शिष्यों का बल्कि सनातन धर्म का भी अपमान किया गया है। इसीलिए परिवाद दायर किया गया। लेकिन जेएमएफसी कोर्ट ने यह कहकर सुनवाई से मना कर दिया कि जिस वीडियों को चुनौती दी गई है, वह जबलपुर का नहीं है।