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Jabalpur Court: प्रमोशन में आरक्षण मामले में पक्ष प्रस्तुत करने मिला अवसर, अगली सुनवाई 6 जनवरी को

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Fri, 19 Dec 2025 08:04 AM IST
सार

मप्र हाईकोर्ट में कर्मचारियों के प्रमोशन नियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सरकार और याचिकाकर्ताओं ने पक्ष रखा। कोर्ट ने हस्तक्षेपकर्ताओं को सुनने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बीच अगली सुनवाई 6 जनवरी तय की गई है।

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Jabalpur News: High Court hears arguments on employee promotion rules.
जबलपुर हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मप्र हाईकोर्ट में प्रदेश के कर्मचारियों को प्रमोशन मामले में याचिकाकर्ता और सरकार के द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने हस्तक्षेपकर्ताओं को अपना पक्ष प्रस्तुत करने निर्देश दिये हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 6 जनवरी को निर्धारित की गई है।
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गौरतलब है कि भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी और अन्य तरफ से दायर याचिकाओं में मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2002 के नियमों को हाईकोर्ट के द्वारा समाप्त किया जा चुका है। इसके विरुद्ध मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी लंबित है। इसके बावजूद मप्र शासन ने महज नाम मात्र का शाब्दिक परिवर्तन कर पूर्व के नियम लागू कर दिये है।
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याचिका पर गुरुवार को सुनवाई दौरान सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने दलील दी कि नियम बनाने के पहले सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप बनाई गई है। नियम बनाते समय क्वांटिफायर डाटा का परीक्षण तथा कर्मचारियों की प्रशासनिक क्षमता का आकलन भी किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कमेटी गठित कर कैडर वॉइस डाटा का परीक्षण करने के बाद पद आरक्षित किये गये हैं।

शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता नीलेश यादव, जान्हवी पंडित और धीरेंद्र सिंह परमार भी उपस्थित हुए। वहीं सरकार की दलीलों के पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व का डाटा भी पेश किया गया है। उनकी तरफ से दलील दी गयी कि आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को अधिक प्रमोशन दिए गए हैं, जिस कारण एससी और एसटी वर्ग के कर्मचारी ऊंचे पदों पर पदस्थ हैं। अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को कम या देरी प्रमोशन दिये गये। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये।

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