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पंथक गढ़ की लड़ाई: आप ने बढ़त बनाई... कांग्रेस को झेलना पड़ा नुकसान; जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के नतीजे
मोहित धुपड़, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 20 Dec 2025 12:21 PM IST
सार
पंजाब में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के नतीजों में आम आदमी पार्टी ने पंथक जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सियासी जमीन को मजबूत किया है। शिअद के प्रदर्शन में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है लेकिन कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा है।
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आप को बढ़त, कांग्रेस को नुकसान
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि पंथक क्षेत्रों में हुई सियासी जंग में आप ने भले ही बढ़त बनाई हो मगर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अपनी साख बचाने में कामयाब रहा है।
कांग्रेस को यहां नुकसान झेलना पड़ा है जबकि भाजपा भी यहां कुछ खास हासिल नहीं कर पाई। उधर शिअद से टूटकर बनी शिअद (पुनर्गठित) का भी यहां कोई खास प्रभाव नजर नहीं आया।
पंजाब में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पंथक मुद्दे और एजेंडे हमेशा असरदार रहते हैं। इन क्षेत्रों के मतदाता सूबे की पंथक सियासत में बड़ा दखल रहते हैं। इन इलाकों में मुख्यत: माझा बेल्ट के अमृतसर, तरनतारन व गुरदासपुर समेत कपूरथला (भुलत्थ), श्री मुक्तसर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना देहात, बठिंडा देहात व पटियाला देहात शामिल हैं।
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कांग्रेस को यहां नुकसान झेलना पड़ा है जबकि भाजपा भी यहां कुछ खास हासिल नहीं कर पाई। उधर शिअद से टूटकर बनी शिअद (पुनर्गठित) का भी यहां कोई खास प्रभाव नजर नहीं आया।
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पंजाब में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पंथक मुद्दे और एजेंडे हमेशा असरदार रहते हैं। इन क्षेत्रों के मतदाता सूबे की पंथक सियासत में बड़ा दखल रहते हैं। इन इलाकों में मुख्यत: माझा बेल्ट के अमृतसर, तरनतारन व गुरदासपुर समेत कपूरथला (भुलत्थ), श्री मुक्तसर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना देहात, बठिंडा देहात व पटियाला देहात शामिल हैं।
2025 के नतीजों में आप की सियासी जमीन मजबूत
यहां पंथक सियासत का सबसे ज्यादा प्रभाव रहता है। यह इलाके शिरोमणि अकाली दल का गढ़ माने जाते रहे हैं मगर साल 2017 के बाद से इन क्षेत्रों की पंथक सियासत ने करवट ली। साल 2018 के जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में एक बड़ा पंथक वोट बैंक सत्तारूढ़ कांग्रेस के पाले में चला गया और शिअद को खासा नुकसान हुआ। अब 2025 के नतीजे देखें तो सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने इन क्षेत्रों में अपनी सियासी जमीन को मजबूत किया है।
यहां पंथक सियासत का सबसे ज्यादा प्रभाव रहता है। यह इलाके शिरोमणि अकाली दल का गढ़ माने जाते रहे हैं मगर साल 2017 के बाद से इन क्षेत्रों की पंथक सियासत ने करवट ली। साल 2018 के जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में एक बड़ा पंथक वोट बैंक सत्तारूढ़ कांग्रेस के पाले में चला गया और शिअद को खासा नुकसान हुआ। अब 2025 के नतीजे देखें तो सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने इन क्षेत्रों में अपनी सियासी जमीन को मजबूत किया है।
इस बार यहां आप का पंथक प्लस विकास एजेंडा असरदार रहा। दूसरी ओर, शिरोमणि अकाली दल ने भी इन क्षेत्रों में अपना प्रदर्शन साल 2018 की अपेक्षाकृत सुधारा है। शिअद ने इन इलाकों में पहले से अधिक सीटें जीतकर यह बताने का प्रयास किया है कि वे यहां अपनी ढीली हो चुकी पकड़ को फिर मजबूत कर रही है।
पंथक एकजुटता पर सभी का जोर
आप अपने पंथक कार्यों के साथ-साथ विकास कार्यों को गिनवाकर अपनी पैठ बढ़ा रही है तो शिअद पंजाब को बचाने की बात कहते हुए सभी पुराने अकालियों से एकजुट होने की अपील कर रहा है। साल 2018 और 2025 में इन्हीं पंथक प्रभावी इलाकों में नतीजों की तुलना करें तो पंचायत समिति चुनाव में इस बार शिअद को तरनतारन में 17 सीटें मिली हैं जबकि साल 2018 में 13 सीटें जीती थीं।
आप अपने पंथक कार्यों के साथ-साथ विकास कार्यों को गिनवाकर अपनी पैठ बढ़ा रही है तो शिअद पंजाब को बचाने की बात कहते हुए सभी पुराने अकालियों से एकजुट होने की अपील कर रहा है। साल 2018 और 2025 में इन्हीं पंथक प्रभावी इलाकों में नतीजों की तुलना करें तो पंचायत समिति चुनाव में इस बार शिअद को तरनतारन में 17 सीटें मिली हैं जबकि साल 2018 में 13 सीटें जीती थीं।
पटियाला में शिअद ने 11 से 24 सीटों, लुधियाना में 31 से 44 सीटों, श्री मुक्तसर साहिब में 35 से 48, फरीदकोट में 5 से 25 और बठिंडा में 15 से 79 सीटों की बढ़त ली है। फतेहगढ़ साहिब और अमृतसर में शिअद को नुकसान हुआ है। अमृतसर में शिअद 44 से 27 सीटों और फतेहगढ़ में 12 से 9 सीटों पर सिमट गई है।
शिअद ने किया सुधार
जिला परिषद की बात करें तो अपना प्रबल गढ़ माने जाने वाले बठिंडा में शिअद का साल 2018 में खाता भी नहीं खुला था मगर इस बार शिअद ने यहां जिला परिषद की 13 सीटें जीती हैं। इसी तरह इस बार शिअद लुधियाना में 0 से 3, फरीदकोट में 0 से 5 व श्री मुक्तसर साहिब में 2 से 7 सीटें तक पहुंची है।
जिला परिषद की बात करें तो अपना प्रबल गढ़ माने जाने वाले बठिंडा में शिअद का साल 2018 में खाता भी नहीं खुला था मगर इस बार शिअद ने यहां जिला परिषद की 13 सीटें जीती हैं। इसी तरह इस बार शिअद लुधियाना में 0 से 3, फरीदकोट में 0 से 5 व श्री मुक्तसर साहिब में 2 से 7 सीटें तक पहुंची है।
अमृतसर (4) व तरनतारन (1) में कोई बढ़त नहीं मिली। जितनी सीटें पिछली बार थीं, उतनी ही अबकी बार हैं। इन सभी पंथक प्रभावी सीटों पर आप की परफॉर्मेंस शानदार रही। साल 2018 में अधिकतर सीटों पर आप का खाता भी नहीं खुला था।