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Rajgarh News: मोहनपुरा परियोजना से बदली जिले की तस्वीर, पंप हाउस शुरू होने से लक्ष्य से अधिक सिंचाई संभव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़
Published by: राजगढ़ ब्यूरो
Updated Mon, 24 Nov 2025 04:48 PM IST
सार
जिले में मोहनपुरा परियोजना से सिंचाई का पूरा लाभ लेने के लिए शुरू किए गए पंप हाउस के चलते 2,155 हैक्टेयर अधिक क्षेत्र में सिंचाई संभव हो पाई है।
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पंप हाउस की शुरुआत करते हुए विधायक अमर सिंह यादव और परियोजना प्रशासक विकास राजोरिया
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विस्तार
बरसों तक सूखे की मार झेलती और बंजर होती जा रही जिले की धरती अब हरियाली की ओर लौट आई है। मोहनपुरा प्रेशराइज्ड सिंचाई परियोजना से यहां का भूगोल ही नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन भी पूरी तरह बदल गया है।
इस परियोजना से जहां खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है, वहीं किसानों के जीवन में स्थायित्व और समृद्धि आई है। इस वर्ष डेम से तय लक्ष्य 1 लाख 45 हजार हैक्टेयर से बढ़कर 1 लाख 47 हजार 155 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाएगी।
इस साल मोहनपुरा डेम से पूर्ण क्षमता के साथ सिंचाई की जाएगी। जिले में लक्ष्य से 2,155 हैक्टेयर अधिक क्षेत्र में सिंचाई संभव हो पाई है। यह रिकॉर्ड रोज्या पंप हाउस के पूर्ण होते ही हासिल हुआ है। इसका शुभारंभ हाल ही में विधायक अमरसिंह यादव ने किया था। इसके साथ ही जिला मुख्यालय पर एक एकीकृत नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है, जिससे मोहनपुरा और कुंडालिया परियोजनाओं के सभी सात पंप हाउस की निगरानी और नियंत्रण किया जा सकेगा। यह डेम साल 2018 में तैयार हुआ था और तब से लेकर अब तक किसानों के खेतों तक सीधे पानी पहुंचाने का कार्य निरंतर जारी है।
मोहनपुरा डेम के तहत चार अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से मूलतः 1 लाख 45 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का प्रस्ताव था लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए तकनीकी अमले ने परियोजना को और प्रभावी बनाया, जिससे अब सिंचाई क्षमता बढ़कर 1 लाख 47 हजार 155 हैक्टेयर हो गई है।
ये भी पढ़ें: Chhatarpur News: गल्ला मंडी में बर्तन की दुकान में लगी आग, फायर ब्रिगेड ने एक घंटे में काबू पाया
डेम के सभी पंप हाउस की रियल-टाइम निगरानी के लिए एक अत्याधुनिक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। इससे मोहनपुरा के 4 और कुंडालिया के 3 पंप हाउस की गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जाता है। किसी भी तकनीकी खराबी या जल प्रवाह में गड़बड़ी की तुरंत जानकारी मिल जाती है। इस नियंत्रण कक्ष से कुल 2 लाख 88 हजार हैक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई पर निगरानी रखी जाएगी।
परियोजना प्रशासक विकास राजोरिया ने बताया कि कंट्रोल रूम से पंप हाउस से छोड़े गए पानी की मात्रा, टंकियों में जलस्तर, प्रेशर और किसानों की शिकायतों का समाधान एक ही स्थान से किया जा सकता है।
बता दें कि जिले की वर्षों पुरानी मांग पर नेवज नदी पर मोहनपुरा डेम तो बना था लेकिन परंपरागत गुरुत्वाकर्षण आधारित प्रणाली से केवल 87 हजार हैक्टेयर क्षेत्र तक ही सिंचाई संभव थी। ऐसे में 510 मिलियन घन मीटर जल भंडारण को उपयोगी बनाने हेतु प्रेशराइज्ड सिंचाई प्रणाली की शुरुआत की गई। आज इस प्रणाली से 1,47,155 हैक्टेयर क्षेत्र में खेतों तक सीधे दबावयुक्त जल आपूर्ति की जा रही है।
यह प्रणाली परंपरागत गुरुत्वाकर्षण पद्धति की जगह भूमिगत पाइप नेटवर्क के माध्यम से दबावयुक्त जल आपूर्ति करती है। इससे जल उपयोग दक्षता दोगुनी हो गई है। इस प्रणाली में पंपिंग स्टेशन, राइजिंग मेन, ब्रेक प्रेशर टैंक, ग्रेविटी मेन, ब्रांच लाइन, वितरण नेटवर्क, नियंत्रण और विनियमन तंत्र शामिल हैं। इसके माध्यम से जलाशय से पंप हाउस तक और वहां से सीधे किसानों के खेतों तक समान मात्रा में प्रेशरयुक्त जल पहुंचाया जाता है।
परियोजना प्रशासक विकास राजोरिया का कहना है कि डेम से सीधे किसानों के खेत तक लक्ष्य से अधिक रकबे में सिंचाई का पानी पहुंचाया गया है। यह कार्य हमने वर्ष 2018-19 से निरंतर किया, जो इस वर्ष सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। इसके पीछे पूरी टीम की सतत मेहनत है।
गौरतलब है कि डेम बनने से पहले हर साल जिले से 51 हजार लोग स्थायी और एक लाख से अधिक अस्थायी पलायन करते थे। परियोजना शुरू होने के बाद यह पलायन लगभग रुक गया है। अब किसान दो और तीन फसली खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
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इस साल मोहनपुरा डेम से पूर्ण क्षमता के साथ सिंचाई की जाएगी। जिले में लक्ष्य से 2,155 हैक्टेयर अधिक क्षेत्र में सिंचाई संभव हो पाई है। यह रिकॉर्ड रोज्या पंप हाउस के पूर्ण होते ही हासिल हुआ है। इसका शुभारंभ हाल ही में विधायक अमरसिंह यादव ने किया था। इसके साथ ही जिला मुख्यालय पर एक एकीकृत नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है, जिससे मोहनपुरा और कुंडालिया परियोजनाओं के सभी सात पंप हाउस की निगरानी और नियंत्रण किया जा सकेगा। यह डेम साल 2018 में तैयार हुआ था और तब से लेकर अब तक किसानों के खेतों तक सीधे पानी पहुंचाने का कार्य निरंतर जारी है।
मोहनपुरा डेम के तहत चार अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से मूलतः 1 लाख 45 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का प्रस्ताव था लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए तकनीकी अमले ने परियोजना को और प्रभावी बनाया, जिससे अब सिंचाई क्षमता बढ़कर 1 लाख 47 हजार 155 हैक्टेयर हो गई है।
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डेम के सभी पंप हाउस की रियल-टाइम निगरानी के लिए एक अत्याधुनिक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। इससे मोहनपुरा के 4 और कुंडालिया के 3 पंप हाउस की गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जाता है। किसी भी तकनीकी खराबी या जल प्रवाह में गड़बड़ी की तुरंत जानकारी मिल जाती है। इस नियंत्रण कक्ष से कुल 2 लाख 88 हजार हैक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई पर निगरानी रखी जाएगी।
परियोजना प्रशासक विकास राजोरिया ने बताया कि कंट्रोल रूम से पंप हाउस से छोड़े गए पानी की मात्रा, टंकियों में जलस्तर, प्रेशर और किसानों की शिकायतों का समाधान एक ही स्थान से किया जा सकता है।
बता दें कि जिले की वर्षों पुरानी मांग पर नेवज नदी पर मोहनपुरा डेम तो बना था लेकिन परंपरागत गुरुत्वाकर्षण आधारित प्रणाली से केवल 87 हजार हैक्टेयर क्षेत्र तक ही सिंचाई संभव थी। ऐसे में 510 मिलियन घन मीटर जल भंडारण को उपयोगी बनाने हेतु प्रेशराइज्ड सिंचाई प्रणाली की शुरुआत की गई। आज इस प्रणाली से 1,47,155 हैक्टेयर क्षेत्र में खेतों तक सीधे दबावयुक्त जल आपूर्ति की जा रही है।
यह प्रणाली परंपरागत गुरुत्वाकर्षण पद्धति की जगह भूमिगत पाइप नेटवर्क के माध्यम से दबावयुक्त जल आपूर्ति करती है। इससे जल उपयोग दक्षता दोगुनी हो गई है। इस प्रणाली में पंपिंग स्टेशन, राइजिंग मेन, ब्रेक प्रेशर टैंक, ग्रेविटी मेन, ब्रांच लाइन, वितरण नेटवर्क, नियंत्रण और विनियमन तंत्र शामिल हैं। इसके माध्यम से जलाशय से पंप हाउस तक और वहां से सीधे किसानों के खेतों तक समान मात्रा में प्रेशरयुक्त जल पहुंचाया जाता है।
परियोजना प्रशासक विकास राजोरिया का कहना है कि डेम से सीधे किसानों के खेत तक लक्ष्य से अधिक रकबे में सिंचाई का पानी पहुंचाया गया है। यह कार्य हमने वर्ष 2018-19 से निरंतर किया, जो इस वर्ष सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। इसके पीछे पूरी टीम की सतत मेहनत है।
गौरतलब है कि डेम बनने से पहले हर साल जिले से 51 हजार लोग स्थायी और एक लाख से अधिक अस्थायी पलायन करते थे। परियोजना शुरू होने के बाद यह पलायन लगभग रुक गया है। अब किसान दो और तीन फसली खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

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