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Sehore news: भैरूंदा प्यासा ही रहेगा! 9 करोड़ की अमृत योजना सुस्त, नर्मदा जल का इंतज़ार 2025 में भी अधूरा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: सीहोर ब्यूरो Updated Sun, 14 Dec 2025 03:53 PM IST
सार

भैरूंदा में अमृत 2.0 योजना तय समय पर पूरी नहीं हो सकी। 8.90 करोड़ की योजना का केवल 40% काम हुआ है। 70 हजार आबादी आज भी जल संकट झेल रही है। टंकियां बनीं, लेकिन पाइपलाइन और ट्रीटमेंट प्लांट अधूरे हैं।

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Sehore news:Bhairunda Still Thirsty: ₹9 Crore AMRUT 2.0 Delay Means No Narmada Water Supply Even in 2025
भैरूंदा की बुझी आस,नर्मदा जल अभी भी दूर
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विस्तार
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भैरूंदा शहर के लोग आज भी नर्मदा जल की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत 2.0 योजना का उद्देश्य था कि किसी भी घर में प्यास न बचे। 8 करोड़ 90 लाख की लागत से शुरू हुई यह योजना 29 दिसंबर 2023 को बड़े वादों के साथ शुरू हुई थी। दावा किया गया था कि 29 सितंबर 2024 तक हर घर तक नर्मदा का स्वच्छ जल पहुंचेगा। पर हकीकत यह है कि निर्धारित समय सीमा बीत जाने पर भी योजना का सिर्फ 40% काम जमीन पर दिखाई देता है। शहर की हजारों आबादी आज भी उम्मीद और निराशा के बीच झूल रही है कि शायद अबकी बार पानी की कमी दूर होगी, पर समय बीतता जा रहा है और प्यास की पीड़ा सिर्फ गहरी होती जा रही है।

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70 हजार आबादी के सपनों पर सुस्ती का ग्रहण
इस योजना का लक्ष्य था कि वर्ष 2054 तक भैरूंदा की बढ़ती आबादी लगभग 70 हजार लोगों को रोजाना 35 लाख लीटर नर्मदा जल मिले। शहर में पहले से नर्मदा जल आवर्द्धन योजना के तहत 25 किमी पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है। बाकी 24 किमी क्षेत्र को अमृत 2.0 के तहत कवर करने का वादा किया गया था। लेकिन इस पाइपलाइन का बड़ा हिस्सा अब भी अधूरा पड़ा है, जबकि 15 से अधिक कॉलोनियों के लोग रोजमर्रा की जल संकट से जूझ रहे हैं। घरों में पानी के लिए लड़ाई होती है, टैंकर और ट्यूबवेल ही उम्मीद का सहारा बने रहते हैं। लेकिन यह उम्मीद भी कई बार निराश करती है। शहरवासियों की बेचैनी को बढ़ाता है यह तथ्य कि दिसंबर 2025 की बढ़ाई गई समय सीमा भी पूरी होती नहीं दिखती।
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टंकियां बन गईं, पर पानी पहुंचाने वाली लाइनें अटकीं
अमृत योजना का एक बड़ा हिस्सा 18 लाख लीटर क्षमता वाली दो विशाल पानी की टंकियां तो बनकर तैयार हो चुकी हैं। शहर में पहले ही 11 लाख लीटर की चार टंकियों से पानी की सप्लाई होती रही है। ट्यूबवेलों के सहारे रोज 20 लाख लीटर पानी किसी तरह लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यह आपूर्ति शहर की पूरी आवश्यकताओं से बहुत कम है। नई बनी दो टंकियां भी सिर्फ दिखावा बनकर खड़ी हैं, क्योंकि इनके जुड़ाव वाली पाइपलाइन का आधा से ज्यादा कार्य अभी भी अधूरा है। लोगों के घर तक पानी पहुंचाने का रास्ता ही तैयार नहीं हो पाया है, तो इन 18 लाख लीटर टंकियों की क्षमता भी आज तक सिर्फ कागजों में ही चमकती दिखाई देती है।

नीलकंठ प्लांट और स्काडा सिस्टम-नाम बड़े, काम कम
अमृत योजना में नीलकंठ क्षेत्र में एक एकड़ भूमि पर आधुनिक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार होना है, जिसके माध्यम से शहर को रोज 35 लाख लीटर शुद्ध नर्मदा जल मिल सकेगा। इस प्लांट का मात्र 5% कार्य ही शुरू हो पाया है। फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म और स्काडा सिस्टम जैसे जरूरी कार्य तो अभी तक शुरू भी नहीं हो सके हैं। स्काडा सिस्टम पाइपलाइन लीकेज का डिजिटल पता लगाने के लिए जरूरी है, लेकिन इसकी फाइलें भी शायद अभी योजनाओं के पन्नों में ही अटकी हुई हैं। धीमी रफ्तार का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर परिषद द्वारा एजेंसी को नोटिस पर नोटिस भेजे जा चुके हैं, पर काम दिल की धड़कन की तरह धीमा, कभी चलता, कभी रुकता रहा है।

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15 से अधिक कॉलोनियां अब भी नर्मदा जल से वंचित
शहर की आधे से अधिक बसाहटें अब भी ट्यूबवेल के जल पर निर्भर हैं। मुस्लिम मोहल्ला, छोटा बाजार, आईटीआई कॉलोनी, किसान मोहल्ला, बजरंग कुटी, चौकीदार कॉलोनी, सुभाष कॉलोनी, नर्मदा कॉलोनी, भाईलाल कॉलोनी, आजाद मार्केट, चांदनी गार्डन सहित कई हिस्सों तक नर्मदा जल आज तक नहीं पहुंच सका है। इन इलाकों में गर्मी के दिनों में पानी की स्थिति और बदतर हो जाती है। लोग सुबह-सुबह बर्तनों लेकर लाइनों में खड़े दिखते हैं। घरों में खाना बनाना तक मुश्किल हो जाता है। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की सेहत, सब पानी की कमी की मार झेलते हैं। ऐसे में अमृत योजना से उम्मीदें थीं कि अब राहत मिलेगी, पर राहत का वादा अब तक अधूरा ही है।

क्या फिर दो साल और इंतजार?
भैरूंदा के लोगों ने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई है कि पानी की समस्या जल्द दूर की जाए। नगर परिषद ने भी तेजी का दावा किया, लेकिन मौके पर काम की सुस्ती ने सभी दावों की पोल खोल दी है। पाइपलाइन का 8 किमी हिस्सा अब भी बाकी है। ट्रीटमेंट प्लांट में सिर्फ 5% काम हुआ है। फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म और स्काडा सिस्टम का काम प्रारंभ भी नहीं हुआ। ऐसे में यह अनुमान लगाना कठिन नहीं कि वर्ष 2025 भी शायद शहर तक नर्मदा जल की निर्बाध सप्लाई का वर्ष नहीं बन पाएगा। लोगों में निराशा बढ़ रही है, लेकिन उम्मीद अब भी जिंदा है। उम्मीद कि जब भी यह योजना पूरी होगी, भैरूंदा की प्यास सचमुच बुझ सकेगी। पानी सिर्फ एक सुविधा नहीं, जीवन की शर्त है; और जब तक योजना पूरी नहीं होती, शहर का हर परिवार इस अधूरे वादे का बोझ अपने जीवन में ढोता रहेगा।

इनका कहना
नप अध्यक्ष मारुति शिशिर ने बताया कि शहर की आबादी को नर्मदा का जल 10 करोड़ की लागत से तैयार हुई नर्मदा जल आर्वधन योजना के तहत बनाई गई तीन टंकियों के माध्यम से प्रतिदिन 9.5 लाख लीटर पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ट्यूबवेल के माध्यम से भी दोनों टाइम पानी की सप्लाई की जा रही है। लगभग 20 लाख लीटर पानी वर्तमान में दिया जा रहा है। अमृत 2.0 के तहत नीलकंठ में एक एकड़ भूमि पर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरु हो चुका है। इसमें प्रतिदिन 35 लाख लीटर पानी शहरवासियों के लिए उपलब्ध रहेगा। इस योजना में स्काडा सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, जिससे पानी के फ्लो के हिसाब से लीकेज आसानी से पता चल सकेगा और सप्लाई बाधित नहीं हो पाएगी। नर्मदा जल से वंचित शहर के यह भाग आधे से अधिक शहर में नप द्वारा ट्यूबवेल के माध्यम से जल सप्लाई की जाती है।

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