Rashi Ke Anusar Yoga: दुनियाभर में योग के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। आज मंगलवार के दिन दुनियाभर में 8वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। जीवन में ऊर्जा और गति को बढ़ावा देने के लिए भरपूर मात्रा में खेलकूद एवं कसरत, योगा, मार्शल आर्ट आदि सीखना जरूरी है। लेकिन अगर मनुष्य अपनी- अपनी राशि के अनुकूल योगा एवं व्यायाम करें तो शरीर को जल्द लाभ तो होगा ही इसका जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और भाग्योदय भी होगा। क्योंकि स्वस्थ तन और मन भाग्य व भविष्य को संवारने वाले साबित होते हैं। जीवन में थोड़ा सा बदलाव लाकर बड़ा लाभ लिया जा सकता है। ज्योतिषविदों के अनुसार राशि के अनुकूल योग करने की सलाह सभी को दी है। ज्योतिष के अनुसार, हर राशि, शरीर के विभिन्न हिस्सों का प्रतीक है। इसलिए ग्रहों के प्रभाव का अनुमान लगाते हुए शरीर के हर अंग के लिए योगासन भी बताए गए हैं। आइए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जानते हैं कि किन राशि के जातकों के लिए कौन सा आसान सही होगा।
Rashi Ke Anusar Yoga: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर अपनी राशि के अनुसार करें योग, चमक जाएगी किस्मत
मेष राशि
मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं। और मेष लग्न भाव का स्वामी है। इस राशि का कारक तत्व अग्नि है और इसका गुण मूल है। इस आधार पर देखा जाए तो मेष राशि के जातक बहुत ऊर्जा और उत्साह से भरे हुए होते हैं। ज्योतिषविदों के अनुसार, मेष राशि के स्वामी मंगल को युद्ध और उत्साह का देवता माना जाता है। मेष राशि के इन्हीं गुणों के कारण इस राशि वालों के लिए वीरभद्रासन सर्वश्रेष्ठ है। इस आसन को खड़े रहकर किया जाता है। इस आसन को करने के लिए एकाग्रता और पक्के इरादे की जरूरत होती है। इस आसन को करने से शरीर में स्थिरता और संतुलन बढ़ता है। अपने स्वभाव के कारण मेष राशि के जातकों में बहुत ज्यादा मानसिक श्रम की प्रवृत्ति होती है जिस वजह से उन्हें तनाव, सिरदर्द जैसी समस्याएं होती है । इसीलिए उन्हें वीरभद्रासन के साथ अधोमुख श्वानासन करने की सलाह भी दी जाती है।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं। और वह स्वयं द्वितीय भाव यानि धन भाव के स्वामी है। इनका कारक तत्व पृथ्वी है और यह स्थिर गुण वाले हैं। इसके आधार पर वृष राशि के जातक अपने राशि चिह्न बैल की तरह ही जिद्दी और हठीले होते हैं। इस राशि के जातक अपने जीवन में शांति और सुख-सुविधाएं तलाशते हैं। वृष राशि के जातकों को वृक्षासन करने की सलाह दी जाती है। वृक्षासन करने से जांघें, कंधे, पिंडली और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। वृक्षासन करने से तंत्रिका तंत्र के विकार दूर होते हैं और शरीर में चेतना भी बढ़ती है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध हैं और वह स्वयं तृतीय भाव यानि पराक्रम भाव के स्वामी है। इनका कारक तत्व वायु है और गुण की बात करें तो यह चर गुण वाले हैं। मिथुन राशि के जातक साफ दिल के, अविष्कारक, तेज दिमाग वाले और मेधावी होते हैं। मिथुन राशि के जातकों को विशेषतौर पर ये सलाह दी जाती है कि वे अपने श्वसन तंत्र का विशेष ध्यान रखें। इस राशि के जातकों के लिए कई योग आचार्य अक्सर हलासन को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। इस योगासन में शरीर हल की मु्द्रा में आ जाता है। हलासन से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ने के साथ ही तंत्रिका तंत्र को भी आराम मिलता है। हलासन करने से तनाव दूर होता है और भूख बढ़ती है। हलासन से पाचनतंत्र बेहतर होती है और अच्छी नींद आती है।
कर्क राशि
कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा है और यह स्वयं चतुर्थ भाव के स्वामी हैं। इनका कारक तत्व जल है और गुण मूल है। कर्क राशि में पैदा होने वाले लोग देशभक्त, जुझारू और तेज याददाश्त वाले होते हैं। कर्क राशि में पैदा हुए जातकों को पेट से संबंधित समस्याएं, गैस और अपच की समस्या के अलावा पानी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। उन्हें टांगों और पैरों में दर्द की समस्या भी होती है। योग और ज्योतिष के जानकारों के अनुसार कर्क राशि के जातकों को अर्ध चंद्रासन आसन करना चाहिए। इस आसन में जातक का शरीर आधे चंद्रमा के आकार में आ जाता है। अर्ध चंद्रासन करने से शरीर का संतुलन सुधरता है। इस आसन के अभ्यास से छाती और भुजाओं का विकास ठीक होता है। योग का अभ्यास करने से कर्क राशि के जातकों को असहनीय पीड़ा का हल तलाशने में मदद मिलती है। इसका कारण ये भी है कि कर्क राशि वाले प्रकृति के बेहद करीब होते हैं।

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