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कुंडली के इस घर में शनि के होने से लगता है खुशियों में ग्रहण, जानिए उपाय

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: रुस्तम राणा Updated Wed, 12 Feb 2020 11:24 AM IST
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शनि देव - फोटो : अमर उजाला

कुंडली में शनि को लेकर एक प्रकार का भय रहता है। क्योंकि शनि दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए इसे एक क्रूर ग्रह माना गया है। शनि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है। यह तुला में उच्च का और मेष राशि में नीच का होता है। आइए जानते हैं कुंडली में शनि दोष कैसे बनता है और इसे दूर करने के ज्योतिष शास्त्र में क्या उपाय बताए गए हैं।

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कुंडली में शनि दोष - फोटो : kundali

किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की टेढ़ी नजर पड़ जाए तो उस व्यक्ति के जीवन में समस्याओं का भंडार लग जाता है। इसकी चाल धीमी है इसलिए जातकों के जीवन पर इसका असर लंबे समय तक रहता है। जन्म कुंडली में शनि का स्थान यह बताता है कि उसके प्रभाव जातक के ऊपर शुभ पड़ेंगे या अशुभ। क्योंकि अगर कुंडली शनि का स्थान शुभ नहीं होता है तो यह जातक की कुंडली में शनि दोषों का निर्माण करता है जो व्यक्ति के लिए समस्याकारक होता है। कुंडली का चौथा भाव जिसे सुख भाव कहते हैं इस भाव में शनि का होना अच्छा नहीं माना जाता है। यानि यहां शनि की उपस्थिति से व्यक्ति के सुखों में ग्रहण लग जाता है।

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शनिदेव

शनि का राहु और मंगल के साथ होने से दुर्घटना का प्रचंड दुर्योग बनता है। ऐसी स्थिति में जातक को संभल कर वाहन चलाना चाहिए और यात्रा करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए । शनि का सूर्य के साथ संबंध होने से कुंडली में दोष पैदा होता है। इस दोष के कारण पिता-पुत्रों के संबंध खराब रहते हैं। दोनों के बीच मतभेद रहता है। दरअसल शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं और दोनों के बीच शत्रुता का भाव है। शनि का वृश्चिक राशि या चंद्रमा से संबंध होने पर कुंडली में विष योग का निर्माण होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में असफल होता है। शनि अगर अपनी नीच राशि मेष में हो तो भी जातक को इसके नकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

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शनिदेव - फोटो : अमर उजाला
शनिवार के दिन करें शनि दोषों से बचने के उपाय
  • प्रत्येक शनिवार को शनि देव का उपवास रखें।
  • शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः, का १०८ बार जाप करें।
  • काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • भिखारियों को अन्न-वस्त्र दान करें।
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