Kark Sankranti Ka Rashiyon Par Prabhav: ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति तिथियां केवल पंचांग की गणनाओं तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि ये ब्रह्मांडीय ऊर्जा के महत्वपूर्ण बदलाव की सूचक होती हैं। वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं, लेकिन इन सभी में कर्क और मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। कर्क संक्रांति वह समय होता है जब सूर्य, मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश करता है। इसी के साथ उत्तरायण काल समाप्त हो जाता है और दक्षिणायन काल की शुरुआत होती है, जिसे देवताओं का शयन काल भी कहा गया है।
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यह समय ज्योतिषीय दृष्टि से संवेदनशील माना गया है। दक्षिणायन के छह महीने वह अवधि होती है जब सकारात्मक शक्तियां मंद पड़ जाती हैं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ने लगता है। ऐसे में इस बदलाव का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है, लेकिन कुछ राशियां विशेष रूप से इसकी चपेट में आती हैं, जिन्हें इस समय विशेष सतर्कता और संयम के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी जाती है। आइए जानें कि 2025 में कर्क संक्रांति कब है और इसका प्रभाव किन जातकों पर अधिक पड़ सकता है।
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