महान ग्रह मंगल वृषभ राशि की यात्रा समाप्त करके 14 अप्रैल को अपने शत्रु बुध की राशि मिथुन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 2 जून तक गोचर करेंगे, उसके बाद अपनी नीचराशि कर्क में प्रवेश कर जाएंगे। इनके राशि परिवर्तन का पृथ्वी और प्राणियों पर सीधा असर पड़ता है। मिथुन राशि वायुतत्व की राशि है इसलिए इस राशि में मंगल के जाने से प्राकृतिक आपदाएं, आंधी-तूफान और आगजनी की घटनाओं का बोलबाला रहेगा।
मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल मकर राशि में उच्चराशिगत तथा कर्क राशि में नीचराशिगत संज्ञक माने गए हैं। जन्म कुंडली में इनके द्वारा सबसे महान रुचक योग का निर्माण होता है जिसके प्रभाव से जातक जीवन में कुशल नेतृत्व शक्ति संपन्न वाला, पुलिस, सेना, इंजीनियरिंग, पावर सेक्टर, अग्निशमन सेवा में काम करने वाला, रियल स्टेट, लकड़ी का व्यापार करने वाला, खदान का काम करने वाला, ठेकेदार, कृषि संबंधित कार्य, सर्जन कथा कुशल वक्ता होता है। इनके राशि परिवर्तन का राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिष विश्लेषण करते हैं।
मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल मकर राशि में उच्चराशिगत तथा कर्क राशि में नीचराशिगत संज्ञक माने गए हैं। जन्म कुंडली में इनके द्वारा सबसे महान रुचक योग का निर्माण होता है जिसके प्रभाव से जातक जीवन में कुशल नेतृत्व शक्ति संपन्न वाला, पुलिस, सेना, इंजीनियरिंग, पावर सेक्टर, अग्निशमन सेवा में काम करने वाला, रियल स्टेट, लकड़ी का व्यापार करने वाला, खदान का काम करने वाला, ठेकेदार, कृषि संबंधित कार्य, सर्जन कथा कुशल वक्ता होता है। इनके राशि परिवर्तन का राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिष विश्लेषण करते हैं।