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Nitin Gadkari: नितिन गडकरी ने कहा- निर्यात भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का अगला इंजन है, जानें डिटेल्स
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Thu, 11 Sep 2025 02:23 PM IST
सार
सातवें FADA ऑटो रिटेल कॉन्क्लेव में, नितिन गडकरी ने भारतीय वाहन निर्माताओं से घरेलू बाज़ारों से आगे देखने का आग्रह किया। निर्यात, वैकल्पिक ईंधन और एक मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति श्रृंखला के साथ, भारत पांच वर्षों के भीतर एक वैश्विक ऑटो पावरहाउस बन सकता है।
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नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री
- फोटो : ANI
भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस समय एक अहम मोड़ पर खड़ी है। यात्री वाहन (पैसेंजर व्हीकल्स) की बिक्री फिलहाल स्थिर बनी हुई है, लेकिन एंट्री-लेवल सेगमेंट में गिरावट के संकेत दिखने लगे हैं। दूसरी तरफ, इलेक्ट्रिक वाहन अभी भी सरकारी सब्सिडी पर निर्भर हैं। और इन्हें बड़े पैमाने पर अपनाने का रास्ता अभी लंबा और अनिश्चित लग रहा है।

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Car Plant
- फोटो : Freepik
घरेलू बाजार की सीमाएं
गडकरी ने साफ कहा कि घरेलू बाजार बड़ा जरूर है, लेकिन इसकी भी सीमाएं हैं। दुनिया में असली मुकाबला करने के लिए भारतीय कंपनियों को विदेशी सड़कों पर अपनी काबिलियत साबित करनी होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मारुति सुजुकी अपने एक्सपोर्ट FY25 के 2.83 लाख यूनिट्स से बढ़ाकर FY26 में 4 लाख यूनिट्स करने की योजना बना रही है। इसके लिए वह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, ASEAN देशों और जापान को लक्ष्य कर रही है। वहीं ह्यूंदै और किआ पहले से ही भारत को कॉम्पैक्ट एसयूवी और हैचबैक एक्सपोर्ट करने का हब बना चुके हैं। टाटा मोटर्स भी धीरे-धीरे अपने ईवी विदेशी बाजारों में भेज रही है।
गडकरी का कहना था कि एक्सपोर्ट सिर्फ घरेलू बाजार की उतार-चढ़ाव से बचने का रास्ता नहीं होना चाहिए। बल्कि यह घरेलू ग्रोथ के साथ-साथ दूसरा इंजन बनकर चले।
यह भी पढ़ें - Automatic Gearbox: AMT, iMT, CVT, DCT या टॉर्क कन्वर्टर? जानिए कौन सा ऑटोमैटिक गियरबॉक्स आपके लिए सही है
गडकरी ने साफ कहा कि घरेलू बाजार बड़ा जरूर है, लेकिन इसकी भी सीमाएं हैं। दुनिया में असली मुकाबला करने के लिए भारतीय कंपनियों को विदेशी सड़कों पर अपनी काबिलियत साबित करनी होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मारुति सुजुकी अपने एक्सपोर्ट FY25 के 2.83 लाख यूनिट्स से बढ़ाकर FY26 में 4 लाख यूनिट्स करने की योजना बना रही है। इसके लिए वह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, ASEAN देशों और जापान को लक्ष्य कर रही है। वहीं ह्यूंदै और किआ पहले से ही भारत को कॉम्पैक्ट एसयूवी और हैचबैक एक्सपोर्ट करने का हब बना चुके हैं। टाटा मोटर्स भी धीरे-धीरे अपने ईवी विदेशी बाजारों में भेज रही है।
गडकरी का कहना था कि एक्सपोर्ट सिर्फ घरेलू बाजार की उतार-चढ़ाव से बचने का रास्ता नहीं होना चाहिए। बल्कि यह घरेलू ग्रोथ के साथ-साथ दूसरा इंजन बनकर चले।
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Petrol Pump
- फोटो : Adobe Stock
वैकल्पिक ईंधन: सिर्फ आयात घटाने तक सीमित नहीं
गडकरी लंबे समय से एथेनॉल, मेथेनॉल, बायोफ्यूल और फ्लेक्स-फ्यूल इंजन के समर्थक रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने इन्हें सिर्फ तेल आयात घटाने के उपाय के तौर पर नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट अवसरों के रूप में पेश किया।
उन्होंने कहा कि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे कई देश सस्ते डिकार्बोनाइजेशन सॉल्यूशंस ढूंढ रहे हैं। और भारत अपने फ्लेक्स-फ्यूल इंजन और ब्लेंडिंग पॉलिसी की वजह से ऐसी टेक्नॉलजी और वाहन एक्सपोर्ट करने की पोजीशन में है।
यह भी पढ़ें - Petrol Pump: गाड़ी में तेल भरवाते समय 'पहले क्लिक' के बाद भी डलवाते हैं ईंधन? तो जान जाइए इसके खतरे
गडकरी लंबे समय से एथेनॉल, मेथेनॉल, बायोफ्यूल और फ्लेक्स-फ्यूल इंजन के समर्थक रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने इन्हें सिर्फ तेल आयात घटाने के उपाय के तौर पर नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट अवसरों के रूप में पेश किया।
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Maruti Suzuki e Vitara
- फोटो : Maruti Suzuki
ईवी और सप्लाई चेन की हकीकत
गडकरी ने साफ किया कि इलेक्ट्रिफिकेशन तो होना ही है, लेकिन सिर्फ बड़े पैमाने पर ईवी बनाना काफी नहीं होगा। इसके लिए भारत को बैटरियों, मोटर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में मजबूत घरेलू सप्लाई चेन बनानी होगी। वरना हम सिर्फ एक निर्भरता छोड़कर दूसरी निर्भरता की तरफ चले जाएंगे। उन्होंने साफ कहा कि एक्सपोर्ट की महत्वाकांक्षा तभी सफल होगी जब वह स्थानीय क्षमता पर टिके।
यह भी पढ़ें - EV: मुंबई में 85 प्रतिशत ऑटो और टैक्सी ड्राइवर क्यों नहीं अपना पा रहे इलेक्ट्रिक वाहन? सर्वे ने बताई वजह
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Car Plant
- फोटो : Freepik
भारत की मजबूती
गडकरी ने कहा कि भारत के पास पहले से ही बड़ा फायदा है - कुशल वर्कफोर्स, मजबूत इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम और कम प्रोडक्शन कॉस्ट। उन्होंने JCB (जेसीबी) और Mercedes (मर्सिडीज) जैसी कंपनियों का उदाहरण दिया जो भारत में उत्पादन करके दुनियाभर में वाहन भेज रही हैं। यह इस बात का सबूत है कि 'मेड इन इंडिया' सिर्फ सस्ता नहीं, बल्कि गुणवत्ता (क्वालिटी) और भरोसे का प्रतीक भी बन सकता है।
उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार निश्चित रूप से बड़ा है, लेकिन असली मुकाम, जो भारत की ऑटोमोबाइल महत्वाकांक्षाओं को सही मायने में परिभाषित कर सकता है, उसकी सीमाओं से परे है। सक्षम जनशक्ति, लागत लाभ और बढ़ती तकनीकी विशेषज्ञता के साथ, गडकरी का मानना है कि भारत में पांच वर्षों के भीतर दुनिया के अग्रणी ऑटोमोबाइल उद्योग के रूप में उभरने के लिए आवश्यक सभी चीजें मौजूद हैं।
यह भी पढ़ें - EV Fire Safety Tips: अपने इलेक्ट्रिक वाहन को आग से कैसे बचाएं, जानें पांच जरूरी टिप्स
गडकरी ने कहा कि भारत के पास पहले से ही बड़ा फायदा है - कुशल वर्कफोर्स, मजबूत इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम और कम प्रोडक्शन कॉस्ट। उन्होंने JCB (जेसीबी) और Mercedes (मर्सिडीज) जैसी कंपनियों का उदाहरण दिया जो भारत में उत्पादन करके दुनियाभर में वाहन भेज रही हैं। यह इस बात का सबूत है कि 'मेड इन इंडिया' सिर्फ सस्ता नहीं, बल्कि गुणवत्ता (क्वालिटी) और भरोसे का प्रतीक भी बन सकता है।
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