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Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर किया था बड़ा कारनामा, चंद्रयान 2 के कैमरे ने कैद किया था अद्भुत नजारा

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Thu, 02 Nov 2023 01:53 PM IST
सार

चंद्रयान-3त के विक्रम लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा पर 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को उड़ाया था। इससे एक बड़ा होल बन गया था जिसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता था।

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Chandrayaan 3 Isro Chandrayaan 3 Moon Lander Kicked Up Halo Of Dust Visible From Space
Chandrayaan 3 Moon Lander Kicked Up Halo Of Dust Visible From Space - फोटो : Isro

Chandrayaan-3: भारत ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया था। इसके बाद पूरी दुनिया ने भारत की तारीफ की। चांद की सतह पर सुरक्षित लैंड करने वाला अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश बना था, जबकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। चांद की सतह पर उतरने के बाद चंद्रयान-3 ने अपना अभियान शुरू किया। अब इस बीच एक नई जानकारी मिली है। 



नई जानकारी में बताया गया है कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा पर 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को उड़ाया था। इससे एक बड़ा होल बन गया था जिसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता था। दरअसल, चंद्रयान-3 के लॉन्च के समय चंद्रयान-2 मिशन पर नजर रखने वाले भी निगाह बनाए थे। 

चंद्रयान-2 के कैमरों ने ही चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चंद्र कक्षा में उसकी लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली थीं। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की तस्वीरों में एक इजेक्ट हेलो देखा गया है, जो चांद की धूल का एक बड़े आकार का ढेर है। 

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चंद्रयान-2 की तस्वीरों से प्रारंभिक सफलता दिखाई देती है। जैसे ही चंद्रयान-3 का लैंडर नीचे पहुंचा और उसके इंजन ने चंद्र रेजोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को नीचे फैला दिया। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि लैंडिंग से करीब 2.06 मीट्रिक टन (4,500 पाउंड) चांद की धूल, जिससे यह 1,167 वर्ग फीट (108.4 वर्ग मीटर) के क्षेत्र में फैल गई।

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जानिए क्या है इतनी धूल उड़ने की वजह 

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग किया था। थ्रस्टर्स के एक्शन और इसके प्रभाव से लैंडिंग के दौरान चांद की सतह से सरफेसियल एपिरेगोलिथ मटेरियल बाहर निकल गया। इसका नतीजा यह हुआ कि इजेक्ट हेलो पैदा हुआ। 

इसरो का कहना है कि हमने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा से लैंडिंग से पहले और बाद की हाई रिजोल्यूशन पंचक्रोमैटिक तस्वीरों की तुलना की। यह लैंडिंग से कुछ घंटे पहले और बांद में हासिल हुआ। 

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